Sunday, November 24

बॉर्डर पर कोरोना मरीजो के शव की अंत्येष्टि से नाराज लोगों ने किया नेपाल सरकार के विरोध में उग्र प्रदर्शन,नारेबाजी!

रक्सौल।( vor desk )।काठमांडू-दिल्ली को जोड़ने वाले मुख्य सड़क व व्यापारिक मार्ग से सम्बद्ध ‘रक्सौल -बीरगंज मैत्री पुल’ के पास नेपाल सेना व प्रशासन द्वारा कोरोना मरीजो के शव की अंत्येष्टि किये जाने के विरोध में सीमा क्षेत्र के लोगों ने नेपाल सरकार के खिलाफ जम कर विरोध प्रदर्शन व नारेबाजी किया।रविवार को सैकड़ो आक्रोशित लोग बॉर्डर पहुंच गए।और नाराजगी प्रकट करते हुए उक्त स्थल से शव को हटाने की मांग की।

रक्सौल के वार्ड 7 अंतर्गत अहिरवा टोला,प्रेम नगर आदि इलाको के नागरिकों ने एक सुर में नेपाल सरकार का विरोध किया। जबकि रक्सौल सीमा पर तैनात एसएसबी के अधिकारी उन्हें घण्टो समझाते रहे पर वे अपना विरोध छोड़ने को तैयार नही दिखे।।
लोगो का कहना है कोरोना ऐसी महामारी है जो किसी को हो सकता है। पर यहाँ कोरोना मरीज की लाश दफनाए जाने से मवेशी उन्हें नोच कर खाएंगे।बगल में सरिसवा नदी है।जो शहर के बीच से गुजरती है। जिससे उन्हें कठिनाई हो सकती है ।नाराज लोगों का सवाल था कि आज तक किसी भी नेपाली लोगो का अंतिम संस्कार यहां नही किया गया है तो आखिर आज क्यो किया गया?
नगर पार्षद चीनी राम समेत वीरबहादुर यादव,महम्मद असरफ आदि ने कहा कि यदि शव नही हटाये गए,तो,हम आंदोलन करेंगे।बॉर्डर से आवाजाही बन्द कर देंगे।इसकी जवाबदेही नेपाल सरकार की होगी।

बता दे कि नेपाल में विवादित नक्शा संविधान सभा मे पारित हो जाने के बाद से बिहार नेपाल के सीमाई इलाको में नेपाल द्वारा न केवल बेवजह तनाव पैदा किया जा रहा है,बल्कि, उकसाया भी जा रहा है।सीमा पर कोरोना नियंत्रण के बहाने मेडिकल टीम की आड़ में सेना की गतविधियों में इजाफा हुआ है।इसी क्रम में नेपाल सेना व बीरगंज प्रशासन के द्वारा काठमांडू-दिल्ली को जोड़ने वाले रक्सौल बीरगंज सड़क खण्ड के मैत्री पुल के पास कोरोना मरीजो का शव की अंत्येष्टि की गई।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जब आपत्ति जताई गई,तो,उसे अनसुनी कर दी गई।यही नही तीखी नोक झोंक भी हुई।बताया गया कि सेना व प्रशासन पूरी तरह तैयार हो कर आई थी।वे अंत्येष्टि के बाद आराम से चलते बने।

भारत नेपाल के मित्रता के साथ बेटी रोटी सम्बन्धो व मानवीय संवेदना को आघात पहुचाने वाले इस तरह के गतिविधियों से सीमा क्षेत्र में रोष व्याप्त है।
इसी कड़ी में कोरोना संक्रमितो के शव को नो मेंस लैंण्ड एरिया में दफन किया गया।जबकि, नेपाली नागरिक कभी शव इस क्षेत्र में नही दफनाते थे।

शव की संख्या 2 थी या ज्यादा यह जांच से ही इसका खुलासा होगा।

गौरतलब है कि यह रक्सौल-बीरगंज सड़क आवाजाही व व्यापार के लिए अधिकृत मार्ग है।आरोप है कि जान बूझ कर कोरोना मरीजो का शव की अंत्येष्टि यहां की गई है।(रिपोर्ट:गणेश शंकर/लव कुमार )

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