Sunday, November 24

सुरक्षा से खिलवाड़:नेपाल से पैदल ही पश्चिम बंगाल को चल दिये 19 मजदूर,कोई पूछवैया नहीं!

*बॉर्डर सील होने के बावजूद 19 मजदूर सीमा पार कर पहुंच गए रामगढ़वा, एसएसबी या पुलिस ने कहीं नही रोका

रक्सौल।( vor desk )।भारत- नेपाल के रक्सौल बॉर्डर पर सुरक्षा में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। नेपाल में लॉक डाउन और भारत नेपाल की बीच बॉर्डर सील होने के बावजूद 19 मजदूर भारत मे प्रवेश कर गए है।
वो भी जब पूर्वी चंपारण जिला में 9 कोरोना मरीज मिलने के बाद जिला को रेड जोन में शामिल कर दिया गया है । रेड जोन होने का मतलब जिले में कर्फ्यू जैसे स्थित रहेंगे। आपातकालीन सेवा और अनिवार्य ट्रेड सेवा छोड़कर किसी के घूमने फिरने पर सख्त मनाही है। आसपास दो से ज्यादा लोग खड़ा नही हो सकते ।लेकिन ये 19 मजदूर आराम से हाइवे पकड़ कर पैदल पश्चिम बंगाल के मालदा जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि हम सभी बारा जिला के जीतपुर स्थित स्टील फैक्ट्री में काम करते हैं।लेकिन,फैक्ट्री सञ्चालक कोई मदद नही कर रहे।उल्टे घर जाने को कह दिए।ठेकेदार भी भाग गया है।

सुनिए क्या कहा नेपाल से पहुंचे मजदूरों ने


सबसे चिंता की बात है कि नेपाल में अभी तक 75 कोरोना के मरीज मिल चुके है। जिसमे बॉर्डर से मात्र 1 किलो मीटर नजदीक नेपाल के छपकहिया में 5 कोरोना के मरीज मिले हैं। ऐसे में वहाँ से 19 की संख्या में मजदूर को भारत मे प्रवेश करना सुरक्षा पर बड़ा सवाल है।
लॉक डाउन , रेड जोन , और बॉर्डर सील बस दिखावा बनकर रह गया है।
मजदूरों का कहना है कि जब हम लोग नेपाल गए, उसके चार दिन बाद लॉक डाउन हो गया । हमलोगों को रहने खाने में दिक्कत होने लगी। इसके बाद हमलोग पैदल ही पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित अपने घर के लिए निकल गए है। बॉर्डर पर सुरक्षा के सबंन्ध में पूछने पर बताया कि बॉर्डर सुरक्षा डयूटी में कोई नही था। इसलिए हमलोग आराम से बॉर्डर पार करके आ गए है। ये सभी मजदूर बॉर्डर से 6 किलोमीटर दूर रामगढ़वा थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर गाँव मे दिखे।

सबसे अहम बात यह है कि अधिकतर मामलों में नेपाल प्रशासन इन्हें जाने देने के लिए सहयोगी भूमिका में दिखती है।यदि इन्हें मदद मिलती होती,तो,ये दिन नही देखने पड़ते।मजदूर स्वीकारते हैं कि भारतीय दूतावास से उन्हें कोई मदद नही मिल रही।न तो राशन पानी मे कोई सहयोग मिल रहा है।न ही उन्हें देश भेजने की कोई पहल की जा रही है।

उनका आरोप है कि नेपाल सरकार भी कोई सहयोग नही कर रही।जबकि,हम नेपाली फैक्ट्रियों में काम करते आ रहे हैं।हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है।जबकि,नेपाली मजदूरों को वहां पूरी सहायता मिल रही है।

ऐसे में भारतीय मजदूरों की मुश्किलें बढ़नी तय है।यही कारण है कि मुश्किलों के बावजूद जान जोखिम में डाल कर वे पलायन कर रहे हैं।

इधर,सीमा सुरक्षा में लापरवाही का आलम दृष्टिगोचर हो रहा है। बॉर्डर सील होने के बावजूद इतने के संख्या में लोगो का भारत मे प्रवेश करना सुरक्षा पर सचमुच बड़ा सवाल खड़े करता है।

फिलहाल,इस मामले पर अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।( रिपोर्ट :लव कुमार )

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