Saturday, November 23

भारतीय महावाणिज्य दुतावास की पहल पर बीरगंज पुलिस के ‘लॉक अप’ से बाहर निकले भारतीय नागरिक!

  • आलोचनाओं के बाद राहत मिली,मगर,मच्छड़ व गन्दगी से रहना मुश्किल,ठीक से नही मिल पा रहा भोजन!

रक्सौल।( vor desk )।चौतरफ़ा आलोचना के बाद नेपाल पुलिस -प्रशासन द्वारा लॉक डाउन में पकड़े गए भारतीय मजदूरों को ‘लॉक अप’ से निकाल कर क्वरेंटाइन किया गया है।बताया गया है कि सभी को बीरगंज के ठाकुर राम बहुमुखी कैम्पस के अलग अलग 17 कमरों में इन्हें रखा गया है।साथ ही खाने पीने का इंतजाम भी किया गया है।


सूत्रों ने बताया कि नेपाल के बीरगंज स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास की पहल पर लॉक डाउन उल्लंघन में पकड़े गए भारतीय नागरिकों के मेडिकल जांच ,भोजन व क्वरेंटाइन की व्यवस्था हुई। उन्हें 14 अप्रैल तक के लिए क्वरेंटाइन किया गया है।महावाणिज्य दूत नितेश कुमार के पहल पर उन्हें मेडिकल स्क्रिनिंग व चेक अप ,भोजन व रहने की सुविधा मिल सकी।

मच्छड़ व गंदगी के कारण ठीक से सो नही पा रहे भारतीय

इस बाबत महावाणिज्य दूतावास के सूचना अधिकारी बी. सुरेश कुमार ने बताया कि 162 भारतीय नागरिको को कॉलेज के कमरों में रखा गया व सुविधा बहाल की गई। उन्होंने कहा कि नेपाली प्रशासन के सहयोग से मौजूद परिस्थिति में भारतीय नागरिकों को हर सम्भव मदद को प्रतिबध्द है।उधर,नेपाल के पर्सा ,बारा,रौतहट,चितवन आदि जिलों के पकड़े गए कुछ लोगों को बीरगंज पुलिस ने अपने नियंत्रण में रखा है।वहीं, अधिकांश नेपाली लोगों को पुलिस ने छोड़ दिया या घर पहुचा दिया है।जबकि सूचना है कि जिन भारतीय नागरिकों के बीरगंज या आस पास रिश्तेदारी या परिचित थे।वैसे करीब 174 लोगों को उनके पास उनके मर्जी से लोकल गारंटी पर जाने दिया गया। जबकि,बारा में 31,चितवन में 14 व मकवानपुर में 12 भारतीय नागरिकों को क्वरेंटाइन में रखे जाने की सूचना है।

बताते चले कि मंगलवार की रात को विशेष अभियान में करीब 492 लोगों को पकड़ा गया था।जिसमे करीब 422 भारतीय नागरिक थे।इस बीच,भारतीय नागरिकों की पहचान के बाद उन्हें क्वरेंटाइन किया गया।इसकी पुष्टि करते हुए बीरगंज के डीएसपी वीरेंद्र शाही ने बताया कि 168 भारतीय नागरिकों की पहचान की गई। जिनकी पहचान हुई ,उन्हें क्वरेंटाइन किया गया है।इनके खान पान का इंतजाम बीरगंज प्रशासन के देख रेख में बीरगंज के आदर्श नगर ग्रीन सिटी सामुदायिक केंद्र व रूंगटा वेलफेयर सोसाइटी जैसी संस्था कर रही है।

इधर,वहां रखे गए लोगों की शिकायत है कि वे इस हालत में बिमार पड़ जाएंगे।क्योंकि,उन्हें न भर पेट खाना मिल रहा है।न समय पर खाना मिलता है।वहीं,मच्छड़ व गंदगी व सीलन से नींद नही आती।रात भर जाग कर काटना पड़ रहा है।बेतिया के मुन्ना दास व मोतिहारी के भाग्य नारायण महतो का कहना था कि 14 दिन में निश्चित ही हम बिमार पड़ जाएंगे।मंगलवार को पकड़ने के बाद बुधवार को 12 बजे बजे खाना मिला था।गुरुवार को फिर दो पहर में खाना मिल सका।

बता दे कि बीरगंज पुलिस ने जिले के इनरवा, गण्डक, परवानी पुर, समेत विभिन्न जगहों से नियंत्रण में लिया था।इसके बाद ठाकुर राम कैम्पस के एक कमरे में पुलिस ने अमानवीय व्यवहार करते हुए भेड़ बकरी की तरह ठूस कर रख दिया था।भोजन नही दिया गया।यहां तक कि शौच भी नही जाने दिया गया।वहीं,सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ने व कड़ी आलोचना शुरू होने के बाद यह व्यवस्था की गई।

गौर तलब है कि लॉक डाउन व बॉर्डर सील होने के बावजूद भारतीय कामगार -मजदूर जान जोखिम पर ले कर अपने वतन पहुचने के जद्दोजहद में हैं।इसी क्रम में पर्सा जिला पुलिस द्वारा लॉक डाउन में उन्हें नियंत्रण में ले लिया गया था।जिसमे पूर्वी व पश्चिम चंपारण के साथ सीतामढ़ी,गोपालगंज आदि जिलों के लोग शामिल थे।

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