
रक्सौल।(Vor desk)। रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड कर्मियों ,जीएनएम ,सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को आपदा से निपटने का प्रशिक्षण दिया गया।आपदा के समय आपातकालीन प्रतिक्रिया तकनीक के तहत रोगी का प्रारंभिक मूल्यांकन,सांस सुनिश्चित करना,रक्तस्राव रोकना, हड्डी टूटने की देख भाल करना,सीपीआर (कार्डियोपलमोनरी रिससिटेशन),गले में कुछ अटकने की स्थिति का प्रबंधन जैसे विषयों पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया।साथ ही ट्रायल के तहत आपदा के समय रोगों को नियंत्रण अभ्यास भी कराया गया।

अस्पताल परिसर में आयोजित कार्यशाला में भारत सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग से संबद्ध इनामुएल हॉस्पिटल एसोशिएशन के डिजास्टर मैनेजमेंट एंड मिटिगेशन यूनिट (डीएमएमयू ,न्यू दिल्ली) के प्रशिक्षकों की टीम ने विशेष प्रशिक्षण दिया।अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक डा राजीव रंजन कुमार और डंकन हॉस्पिटल के लाइजनिंग ऑफिसर की उपस्थिति में प्रशिक्षक मिस्टर शेम,मिस्टर गॉडविन,मिस चिंग ने प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर सहित आपदा के क्रम में आने वाली चुनौतियों से जुड़े जोखिम मूल्यांकन, आपातकालीन योजना, निकासी प्रक्रियाएँ, संचार रणनीतियाँ और प्रतिक्रिया समन्वय आदि पहलुओं पर बारीक जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान किया।इस मौके पर अस्पताल उपाधीक्षक डा राजीव रंजन ने अपने संबोधन में कहा कि आपात स्थिति और आपदाएँ कभी भी, बिना किसी चेतावनी के घटित हो सकती हैं। ऐसे में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को आपदाओं के प्रभाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और कम करने के लिए तैयार रहना जरूरी है।ये कौशल दूसरों की प्रभावी रूप से सहायता करने और आपात स्थितियों के प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक हैं।प्रशिक्षण में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक आशीष कुमार, यूनिसेफ के बीएमसी अनिल कुमार,,मूल्यांकन एवं अनुश्रवण सहायक जय प्रकाश कुमार,परिवार नियोजन परामर्शी सौरभ मिश्रा,जीएनएम अमरजीत वर्मा,मोहम्मद अरशद,रीता कुमारी,अर्चना कुमारी, मनीषा कुमारी,राजनंदिनी सिंह, वीणा कुमारी,कुमारी कुमकुम, मिनटी कुमारी,सहित अन्य उपस्थित रहे।उधर,यह प्रशिक्षण अलग अलग सत्र में रक्सौल के विभिन्न विद्यालयों और डंकन हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टूडेंट्स को भी दिया गया।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)