Sunday, April 20

केसीटीसी कॉलेज में समारोहपूर्वक मनायी गई महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जयंती!

  • एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आयोजन
  • डॉ. स्वयंभू शलभ की यात्रा साहित्य की किताब ’संस्कृति के सोपान’ का किया गया लोकार्पण

आज दिनांक 9 अप्रैल 2025 को के०सी०टी०सी० कॉलेज रक्सौल के सभागार में महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जयंती के अवसर पर ‘एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार एवं कवि संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया जिसका विषय ’वर्तमान परिपेक्ष्य में महापंडित राहुल सांकृत्यायन की प्रासंगिकता’ से संबंधित था। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० (डॉ०) सन्त साह ने की। कार्यक्रम के संयोजक डॉ० जीछु पासवान एवं मंच संचालक श्री कृष्ण कुमार सिंह थे।

कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो० रविंद्र कुमार रवि (पूर्व कुलपति बीआरए बिहार विश्वविद्यालय), प्रो० (डॉ०) अनिल कुमार सिन्हा (सदस्य बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग), मुख्य वक्ता प्रो० सतीश कुमार राय, संकायाध्यक्ष मानविकी, प्रो. राजीव कुमार (कॉलेज निरीक्षक कला), प्रो० मंजरी वर्मा (पूर्व विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान), डॉ० हरिंद्र हिमकर, डॉ. अनीता सिन्हा (पूर्व प्राचार्य), डॉ० सत्यदेव सुमन, डॉ० स्वयंभू शलभ, डॉ० गोरख मस्ताना (कवि) के द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं महापंडित राहुल सांकृत्यायन के चित्र पर माल्यार्पण के साथ किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया। प्रथम सत्र में सेमिनार का आयोजन तथा दूसरे सत्र में कवि संगोष्ठी की गई।

        

कार्यक्रम की शुरुआत प्रो० (डॉ०) सन्त साह के अतिथि परिचय के साथ हुई। इस अवसर पर प्रो. डॉ. स्वयंभू शलभ की यात्रा संस्मरण की छठी किताब ’संस्कृति के सोपान’ का लोकार्पण सभी अतिथियों ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर डॉ. शलभ ने कहा कि यह किताब भारत के अलग अलग प्रदेशों में स्थित प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को एक लेखक की दृष्टि से देखने समझने और उस अनुभव को एक शब्दचित्र के रूप में प्रस्तुत करने का एक प्रयास है।

सेमिनार का बीज व्याख्यान प्रो० राजीव कुमार ने दिया। उन्होंने कहा कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन देशाटन के द्वारा ज्ञान प्राप्ति में बीता, उनके अनुसार सभी प्राणियों में सद्भाव रखने वाला ही पंडित कहलाता है। डॉ० हरिंद्र हिमकर ने भोजपुरी में अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया एवं पंडित जी के जीवन से परिचय कराया। मुख्य वक्ता प्रो० सतीश कुमार राय ने अपने ओजपूर्ण व्याख्यान से सभी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने इस जयंती को महामानव की जयंती के रूप में मनाने को कहा। उन्होंने बताया कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन का जीवन साधना, संकल्प एवं संघर्ष का जीवन था। उनके मन में वैराग्य का विचार बचपन से ही आ गया था। यह संपन्न परिवार से थे उन्होंने अनवरत विचारों का विश्लेषण किया और महापंडित कहलाए। उनका महत्व हर काल और हर देश में हमेशा रहा है। विश्व की संस्कृति को उन्होंने काफी नजदीक से देखा। प्रारंभ में यह आर्य समाज से जुड़े फिर 1927 में बौद्ध धर्म की ओर उन्मुख हुए। इन्होंने लंका, तिब्बत, रुस इत्यादि बहुत देशों की यात्रा की और जहां गए वहां की भाषा के ज्ञाता बन गए। राहुल जी ने समतामूलक समाज की स्थापना पर बल दिया तथा पाखंड का विरोध किया। जब तक भारतीय संस्कृति रहेगी राहुल जी की प्रासंगिकता बनी रहेगी।
डॉ. अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि पं. सांकृत्यायन के बहुआयामी व्यक्तित्व से छात्रों को प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। प्रो. डॉ. मंजरी वर्मा, प्रो. डॉ. अनीता सिन्हा, प्रो. डॉ. सत्यदेव सुमन एवं प्रो. डॉ. गोरख मस्ताना ने इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि प्राचार्य महोदय के इस पहल से रक्सौल में फिर से साहित्यिक वातावरण का सृजन हुआ है।

भोजनावकाश के बाद समारोह के दूसरे सत्र में आयोजित कवि संगोष्ठी में डॉ. सतीश राय, डॉ. विनय कुमार, अरुण गोपाल, डॉ. गोरख मस्ताना, डॉ. संत साह, कमलेश कुमार, ज्ञानेश्वर गुंजन, रविन्द्र कुमार रवि, डॉ. हरिंद्र हिमकर, मिथिलेश घायल, ऋतुराज, अजमत अली आदि ने अपनी कविताओं का पाठ किया जिसे भरपूर सराहना मिली।

कार्यक्रम में डॉ. अनामिका, डॉ. जीछू पासवान, डॉ. धनु कुमार, डॉ. शफीउल्लाह, डॉ. हजारी प्रसाद, डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ. प्रकाशचन्द शर्मा, अमित कुमार, शशि कुमार, चंचल कुमारी समेत बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं की उपस्थिति थी।

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