रक्सौल।(vor desk )।सोमवार को सुबह 10 बजे रक्सौल से चम्पारण सत्याग्रह पदयात्रा आदापुर के लिए प्रस्थान किया। रक्सौल के बैंक रोड, श्रीमान श्रीमती, पोस्ट आफिस, नगरपालिका एवं नहर चौक पर नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया जिसमें शिवहर के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सह समाजिक कार्यकर्ता प्रभु नारायण प्रसाद ने नगर परिषद के सामने कचरा के ढेर को देखकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाबलीपुरम में चीन के राष्ट्रपति के आगमन के समय भी समुद्र के किनारे प्लास्टीक एवं कचरा चुन रहे थे वहीं अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के रक्सौल शहर में नगरपालिका के मुख्य द्वार पर कचरों का ढेर लगा है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां के सांसद डॉ संजय जायसवाल व विधायक डॉ अजय सिंह ने अपने क्षेत्र को उपेक्षित छोड दिया है जिसके कारण यहां कि सभी सड़कें जर्जर हालत में है ।वहीं इस सीमावर्ती बापू के कर्मभूमि चम्पारण कि लाइफ लाइन घोड़ासहन नहर रोड नरकटियागंज से घोड़ासहन तक सड़क में गड्ढे हैं या गढ़े में सड़क पता नहीं चलता।ऐसी सड़क जानवरों के चलने के लायक भी नहीं है परन्तु दुर्भाग्य से इस क्षेत्र की भोली भाली गरीब जनता किसान मजदूर छोटे छोटे स्कुली बच्चे एवं बीमार लोग जान हथेली पर रखकर यात्रा करने को मजबुर है। जहां एकतरफ देश महात्मा गांधी जी की 150 वीं जयंती मना रहे हैं वहीं बापू की कर्मभूमि चम्पारण का सीमावर्ती क्षेत्र जो सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है घोर लापरवाही एवं उपेक्षा का शिकार है। रेलवे के हालात भी काफी बदतर है जहां रक्सौल से नरकटियागंज आमान परिवर्तन के पूर्व अठारह गाड़ियों का परिचालन नरकटियागंज से समस्तीपुर दरभंगा-जयनगर, बरौनी,गुहाटी लखनऊ तक होती थी वो अब महज रक्सौल नरकटियागंज दो जोड़ी ट्रेने है। पहले सिकटा, आदापुर, घोड़ासहन रेलवे स्टेशन पर मालगोदाम एवं समानों का लोडिंग अनलोडिंग होता था जिसे बन्द कर लोगों के रोजगार छीनने का काम किया गया। जहां एक तरफ देश में तेज गति से विकास हो रहा वहीं इस क्षेत्र की स्थिति आजादी के 72 वर्षों के बाद भी बदहाली के आंसू बहा रहे हैं। जहां एकतरफ देश में बड़े बड़े एक्सप्रेस हाइवे बन रहे हैं वहीं यह छोटी पगडंडी जैसे सड़क घोड़ासहन कैनाल गढ़े में तब्दील हैं।इस सड़क को बनाने के लिए पथ निर्माण मंत्री ने लोकसभा चुनाव के पूर्व शिलान्यास भी किया, चुनाव बाद टेंडर भी किया जो जनता के आंख में धूल झोंकने के शिवा कुछ भी नहीं। देश एवं प्रदेश के मुखिया बोलते हैं कि मेरी सरकार गांव गरीब किसान मजदूर के लिए काम करती हैं जबकि इस सीमावर्ती क्षेत्र में सबसे ज्यादा यही लोग रहते हैं जो आजादी के पूर्व से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबुर है। देश प्रदेश की सरकार से मांग करते हैं कि अविलंब इस सड़क को चौड़ीकरण, मोटरेबल एवं पक्की करण की जाएं नहीं तो सत्याग्रह छोड़कर क्रांतिकारी आन्दोलन करने को मजबुर हो जाएंगे।वही,स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने कहा कि 16 अक्टूबर को घोड़ासहन में समापन व सभा होगी।उसमे आगे की रणनीति घोषित की जाएगी।यदि हमारी मांग पुरी नही हुई,तो,दूसरे चरण के आंदोलन का बिगुल फूंका जाएगा। कार्यक्रम में, संयोजक प्रभु नारायण,राजन चौरसिया, रमेश सिंह, रंजीत सिंह, गिरधारी शर्राफ,राजा कलवार, शिवशंकर राम,बिटू चौरसिया, बासदेव ठाकुर,अनुल्लाह,गुरदेली, रामेश्वर प्रसाद, राधामोहन कुमार,लड्डु कुमार,एजाज, सुधीर यादव आदि शामिल थे।