मौत के तीन दिन बाद विवादित निजी क्लीनिक के जांच के लिए कमेटी गठित,गेट पर लटक रहा ताला,संचालक ,डॉक्टर,स्वास्थ कर्मी सभी फरार
रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल के सैनिक सड़क स्थित सिटी हेल्थ केयर नामक निजी क्लीनिक में उपचार के दौरान एक मरीज की संदिग्ध मौत के बाद हुए बवाल के मामले में अब स्वास्थ्य विभाग गंभीर दिख रहा है।स्वास्थ्य विभाग ने जांच कमेटी गठित कर जांच और करवाई का निर्देश दिया है।
पूर्वी चंपारण के सिविल सर्जन डा विनोद कुमार सिंह के निर्देश पर अनुमंडल अस्पताल प्रशासन ने जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है।तीन दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है,ताकि,अग्रतर करवाई हो सके।अस्पताल उपाधीक्षक डा राजीव रंजन कुमार ने बताया कि जांच कमेटी गठित कर दी गई है। जांच कमेटी सीनियर मेडिकल ऑफिसर डा सेराज अहमद और डा अमित कुमार जायसवाल के नेतृत्व में की गई है।उन्होंने बताया कि जांच कमेटी मरीज की मौत ,क्लीनिक की वैधता सहित विभिन्न बिंदुओं पर जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी।बता दे कि रक्सौल एसडीओ शिवाक्षी दीक्षित ने भी इस मामले में जांच कर करवाई करने की बात कही है।गौरतलब है कि मंगलवार को मरीज की मौत हुई थी। तीन दिन बीतने के बाद भी जांच और करवाई नही हो सकी थी ,जिसको ले कर स्थानीय लोगों में शासन प्रशासन के खिलाफ असंतोष और आक्रोश दिख रहा है।सामाजिक कार्यकर्ता नुरुल्लाह खान ने इस मामले में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार सरकार और क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि को घेरते हुए दोषियों पर करवाई की मांग की है।उन्होंने कहा कि केवल आरोपी क्लीनिक की ही नही रक्सौल के सभी फर्जी क्लीनिक और झोला छाप डॉक्टर के विरुद्ध जांच कर कड़ी करवाई होनी चाहिए।
बता दे कि मरीज की मौत के बाद आक्रोशित परिजनो ने जम कर हंगामा किया और क्लिनिक को घेर कर गेट में ताला बंद कर दिया था।शव क्लिनिक में करीब 24घंटे पड़ा रहा।परिजन क्लीनिक में ही शब जलाने को आमदा थे।पुलिस को समझाने बुझाने में मशक्कत करनी पड़ी।अंत में बुधवार की देर शाम परिजन खुद शव निकाल कर ले गए।पुलिस मुकदर्शक बनी रही और आवेदन का इंतजार करती रही।ना तो पुलिस ने स्वत संज्ञान लिया और ना ही शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका।घटना के बाद से ही क्लीनिक के संचालक समेत डॉक्टर,स्टाफ सभी फरार हैं और वहां ताला लटक रहा है।
इस पूरे खेल में कुछ राजनीतिज्ञ और मेडिकल माफिया मामले को रफा दफा करने में जुटे दिखे।न्याय और मानवता कराहती रही ।सूत्रों का दावा है कि शव के पोस्टमार्टम नही होने से कई रहस्य दब गए।सबसे बड़ा सवाल यह रहा कि कैंसर मरीज का निजी अस्पताल में कैसे ऑपरेशन हुआ?जबकि,वहां की ओटी और डॉक्टर,सर्जन दोनो सवालों के घेरे में हैं।क्लीनिक के बोर्ड पर ना तो डॉक्टर का नाम अंकित था और ना ही रजिस्ट्रेशन नंबर। बता दे कि क्लीनिक में इलाज के लिए भर्ती पूर्वी चंपारण के लखौरा के चैन पुर निवासी नवल किशोर महतो(40)के पेट में ट्यूमर का ऑपरेशन कथित झोला छाप डॉक्टर के द्वारा किया गया था,इसी क्रम में ब्लीडिंग होने लगी और अचानक मौत हो गई थी।आरोप है कि स्थिति बिगड़ने पर रेफर करने की जगह मरीज की मौत के बाद प्रबंधन ने मौत की जानकारी देने के बजाय डेढ़ लाख रुपए ऐंठने में जुटी रही।जिसके बाद मामला भड़क गया और क्लीनिक को घेर कर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)