रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल के कौड़िहार चौक से लगे सैनिक सड़क स्थित सिटी हेल्थ केयर नामक क्लीनिक में उपचार के दौरान एक मरीज की संदिग्ध मौत के मामले में दो दिन बाद भी करवाई नही हो सकी है। रक्सौल एसडीओ शिवाक्षी दीक्षित और जिले के सिविल सर्जन डा विनोद कुमार सिंह ने जांच कर करवाई करने की बात कही है।बावजूद,अब तक ना तो जांच टीम पहुंची और ना ही कोई करवाई हुई दिखती है, जिससे शासन प्रशासन के खिलाफ असंतोष और आक्रोश दिख रहा है।इस बारे में एक ओर अंबेडकर ज्ञान मंच ने बीमार मजदूर की इलाज के दौरान हुई मौत के मामले में करवाई नही होने पर सड़क पर ऊतरने की चेतावनी दी है।एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है।वहीं,सामाजिक कार्यकर्ता नुरुल्लाह खान ने बिहार सरकार और क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों को घेरते हुए दोषियों पर करवाई की मांग की है।उन्होंने कहा कि केवल आरोपी क्लीनिक की ही नही रक्सौल के सभी फर्जी क्लीनिक और झोला छाप डॉक्टर के विरुद्ध जांच कर कड़ी करवाई होनी चाहिए।इस तरह से मौत का तांडव बर्दाश्त के काबिल नही है।
बता दे कि मरीज की मौत के बाद आक्रोशित परिजनो ने जम कर हंगामा किया और क्लिनिक को घेर कर गेट में ताला बंद कर दिया था।मृतक की पत्नी धर्म शिला देवी का आरोप था कि सिटी हेल्थ केयर में डेढ़ लाख रुपए इलाज के नाम पर वसूले गए और गांव के घरारी का तीन धुर जमीन बेच कर यह पैसा देना पड़ा।बावजूद उनके साथ धोखा हुआ।सही इलाज नही हुआ।
बता दे कि पूर्वी चंपारण के लखौरा के चैनपुर निवासी नवल किशोर महतो(40 ) की संदिग्ध मौत मंगलवार की शाम में हुई थी।वे आठ दिनों से भर्ती थे।बताया जा रहा है कि उन्हें कैंसर था।डॉक्टरों ने पेट में ट्यूमर बताया और ऑपरेशन कर दिया।अभी टांका भी नही कटा था कि ब्लीडिंग होने लगी और अचानक मौत हो गई।स्थिति बिगड़ने पर रेफर करने की जगह प्रबंधन लापरवाह रही।यही नही मौत की सूचना परिजनो को नहीं दी और वे पैसा ऐंठने के चक्कर में जुटे रहे।जिसके बाद बात बिगड़ी और हंगामा हुआ।शव क्लिनिक में करीब 24घंटे पड़ा रहा। अंत में परिजन खुद शव निकाल कर ले गए।पुलिस मुकदर्शक बनी रही।इस मामले की जांच चौबीस घंटे बाद भी नही हो सकी है। क्लीनिक के संचालक समेत डॉक्टर,स्टाफ सभी फरार हैं और वहां ताला लटक रहा है।सूत्रों का दावा है कि ‘मौत की इस दुकान ‘को दुबारा खोलने की तैयारी है।
बताया गया है कि मृतक के परिजन विरोध प्रदर्शन के साथ ही रक्सौल थाना तक की दौड़ लगाते रहे।पुलिस से भी उनकी शिकायत रही कि वो प्रबंधन का पक्ष ले रही है।जिसको ले कर तू तू मैं मैं तक हुई।इस मामले में एसडीओ शिवाक्षी दीक्षित ने भी स्वीकार किया कि वहां पुलिस को अपना काम नही करने दिया गया।दुबारा पुलिस टीम को भेजा गया।उन्होंने कहा कि परिजनो को आवेदन देने को कहा गया है।मामले में प्राथमिकी दर्ज होगी।जांच और करवाई की जायेगी।
हालाकि,इस मामले में बुधवार की देर शाम परिजन मृतक का शव क्लीनिक से ले गए।सूत्रों ने बताया कि क्लीनिक प्रबंधन और परिजनो ने आपस में समझौता कर लिया।इस पूरे प्रकरण में पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बनी रही।शव निकालते वक्त स्थानीय लोगों ने सवाल किए तो मृतक के पुत्र सुमन महतो ने कहा की न्याय मिल गया। जब पूछा गया कि न्याय कैसे मिला,तो,बकझक और धक्का धुक्की भी हुई।हालाकि,परिजन किसी तरह शव निकाल कर ले जाने में सफल रहे।
दावा किया गया है कि इस पूरे खेल में कुछ राजनीतिज्ञ,एक मुखिया समेत मेडिकल माफिया मामले को रफा दफा करने में जुटे रहे।
पूरे मामले में पुलिस ने ना तो शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और ना ही स्वत:संज्ञान लेते हुए अग्रतर करवाई की।पुलिस आवेदन मिलने का इंतजार करती रही है। और मामला रफा दफा करने की कवायद मुकाम की ओर बढ़ती रही।पोस्टमार्टम नही होने से कई रहस्य दब गए।सबसे बड़ा सवाल यह रहा कि कैंसर मरीज का निजी अस्पताल में कैसे ऑपरेशन हुआ?जबकि,वहां के ओटी और सर्जन दोनो सवालों के घेरे में हैं।क्लीनिक के बोर्ड पर ना तो डॉक्टर का नाम लिखा था और ना ही रजिस्ट्रेशन का नंबर।बोर्ड पर दिए नंबर पर कॉल रिसीव करने वाली एक महिला स्वास्थ्य कर्मी सीता ने दावा किया कि आरोप गलत है।हमे बदनाम किया जा रहा।मामला खत्म हो गया है।इधर,स्थानीय लोग काफी गुस्से में हैं क्योंकि कौडिहार चौक एरिया फर्जी क्लीनिक और झोला छाप डॉक्टर का गढ़ बन गया है।शोषण और लापरवाही के नित नए मामले आते है ,पर उनके विरुद्ध कोई करवाई नही होती।जिससे उनका मनोबल बढ़ा रहता है।भोले भाले मरीज ठगी के शिकार होने के साथ ही जान गंवाने को विवश दिखते हैं।
इस बारे में पूछने पर रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा राजीव रंजन कुमार ने बताया कि इस बारे में स्वास्थ्य विभाग को अवगत करा दिया गया है।विभागीय निर्देश पर अग्रतर करवाई की जायेगी।