Monday, September 23

रक्सौल हवाई अड्डे को फंक्शनल बनाने के लिए 121एकड़ अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू,जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने लिया जायजा!

रक्सौल।(vor desk)।भारत- नेपाल सीमावर्ती रक्सौल में हवाई अड्डे के संचालन में आने की उम्मीद जगी है।पीएम पैकेज बिहार 2015 में मिले 250 करोड़ रुपए का इस्तेमाल इस एयरपोर्ट को विकसित करने के लिए किया जाएगा। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मास्टर प्लान के तहत रक्सौल हवाई अड्डे के लिए अतिरिक्त जरूरी भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।इसको ले कर पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने गुरूवार को रक्सौल हवाई अड‍्डा का निरीक्षण किया।साथ ही इस हवाई अड्डे को संचालन में लाने के लिए आवश्यक जमीन अधिग्रहण की अद्यतन स्थिति का जायजा भी लिया। इस दौरान पहले से चल रही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को उन्होंने ससमय पूरा करने का निर्देश दिया। रक्सौल पहुंचने के साथ ही उन्होंने एयरपोर्ट पर पहुंच कर आवश्यक कागजातों को देखा और जो भी कमी है,उसे जल्द दूर करने का विशेष निर्देश दिया।जिलाधिकारी श्री जोरवाल ने बताया कि रक्सौल में अतिरिक्त रूप से121एकड़ जमीन की जरुरत है।पहले से ही अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।प्रक्रिया पूर्ण होते ही संबंधित विभाग को रिपोर्ट भेजी जाएगी,ताकि,हवाई अड्डे के संचालन की अग्रतर प्रक्रिया शुरू हो सके।निरीक्षण के दौरान उनके साथ एसपी कांतेष कुमार मिश्रा भी थे।इस मौके पर उपस्थित अनुमंडल पदाधिकारी सुश्री शिवाक्षी दीक्षित, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी धीरेन्द्र कुमार,प्रखंड विकास पदाधिकारी जय प्रकाश कुमार, सीओ शेखर राज समेत अन्य पदाधिकारियों को भी इस संबंध में निर्देशित किया।

बता दे कि सिविल विमानन निदेशालय के निर्देश पर मास्टर प्लान के तहत रक्सौल में हवाई अड्डा संचालन के लिए जरूरी 121एकड़ अतिरिक्त जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है।यह भूमि अधिग्रहण राज्य सरकार को करनी है।भूमि उपलब्ध होने के बाद हवाई अड्डे के संचालन में लाने यानी फंक्शनल बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।बिहार सरकार के निर्देश पर रक्सौल अंचल कार्यालय ने जिलाधिकारी के पत्रांक 517/प्र/7नवंबर 2023 का हवाला देते हुए विगत15मार्च2024को एक पत्र जारी कर तीन राजस्व कर्मियों समेत अंचल अमीन को अतिरिक्त भूमि संबंधित प्रतिवेदन अविलंब उपलब्ध कराने को कहा था।

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जिला प्रशासन की पहल पर कार्य प्रगति की ओर

गौरतलब है कि संसद और बिहार विधान सभा में आवाज उठने और सोशल मीडिया पर ‘रक्सौल मांगे एयरपोर्ट ‘अभियान के ट्रेंड होने के बाद वर्ष2022में तत्कालीन जिलाधिकारी कपिल शीर्षत अशोक ने इस दिशा में पहल की थी और सरकार को इसे चालू करने का प्रस्ताव भी भेजा,जिस पर अब काम बढ़ने लगा है। वर्ष2022में रक्सौल के पंटोका पंचायत स्थित इस हवाई अड्डा का नजरी नक्शा भी तैयार किया गया था,जिसमे चिकनी, एकडेरवा,सिंहपुर,चंदुली, भरत मही सहित पांच मौजे शामिल है।भारतीय भूमि पतन प्राधिकरण ने रक्सौल के लिए भूमि का कलर गुलाबी अंकित किया है।

क्या है स्थिति

जानकारी के मुताबिक, रक्सौल हवाई अड्डा में कुल रकबा 152.775 एकड़ भूमि पूर्व से ही अर्जित की गई है। हवाई अड्डा की जमाबंदी भारतीय विमान पत्तनन प्राधिकार के नाम से संधारित है।
वर्तमान में हवाई अड्डे की भूमि की चारदीवारी है। जिसके अंदर पूर्व में हवाई अड्डा भवन है। भवन जर्जर है, जिसमें एसएसबी पनटोका का दफ्तर है। इसके अलावा दस जर्जर भवन हैं। खाली जमीन पर खेत,खलिहान के काम के साथ खेल मैदान के रूप में उपयोग होता है।

1962 में एयरपोर्ट का हुआ था निर्माण

भारत-चीन के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनजर भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) ने 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद भारत-नेपाल सीमा के रक्सौल में हवाई अड्डे की स्थापना की थी।
तत्कालीन भारतीय सेना के जनरल केएम करियप्पा ने सीमा क्षेत्र का दौरा किया था, जिसमें युद्ध के दौरान सैन्य सामग्री व हवाई हमले के लिए सबसे बेहतर स्थल के रूप में चयन किया।
रक्सौल एयरपोर्ट तब दमदम एयरपोर्ट के बाद सामरिक दृष्टि कोण से देश का दूसरा बड़ा एयरपोर्ट था।
इसने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और भारतीय सेना के लिए आपातकालीन लैंडिंग रनवे के रूप में काम किया है। सेना और सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) में सूचीबद्ध किया गया है।

बताते हैं कि 1962 तक योजनाबद्ध तरीके से इसका आधुनिकीकरण व रख-रखाव चलता रहा। 1968 में रक्सौल, मुजफ्फरपुर व भागलपुर के लिए ‘कलिंगा एयर सर्विस’ शुरू हुआ। इसके बाद से सरकार ने राजस्व व सुरक्षा की दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण एयरपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया, जिससे 70 के दशक के बाद से उड़ाने बंद हो गई। इस बीच नेता-अभिनेता चुनावी सभा व आमसभा के लिए एयरपोर्ट पर आते रहे। अंतिम बार 5 अगस्त 2011 को एयर एंबुलेंस दिल्ली से रक्सौल एयरपोर्ट पर उतारा गया।

बन सकता है अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा

रक्सौल हवाई अड्डे के उड़ान योजना के तहत संचालन में आने से सीमा क्षेत्र समेत नेपाल के व्यवसायियों और नागरिकों ,स्टूडेंट्स को भी फायदा होगा।विदेशी पर्यटक भी यहां आवाजाही कर सकेंगे।जिससे क्षेत्र की तरक्की होगी।
पश्चिम चंपारण के सांसद डॉ. संजय जायसवाल के अनुसार, अपग्रेडेशन के बाद ही यह हवाई अड्डा एटीआर-72 प्रकार के विमानों को संभालने और उड़ान में सक्षम होगी। रक्सौल हवाई अड्डा 2015 में 250 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत पर प्रधान मंत्री (पीएम) पैकेज में भी शामिल है।बताते चले कि नेपाल में सिमरा और प्रस्तावित निजगढ़ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे रक्सौल से क्रमशः 12 किमी और 18 किमी दूर स्थित हैं।

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