● ज्ञापन पत्र में भारत नेपाल के सीमा क्षेत्र के सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व का चित्रण
● रक्सौल व वीरगंज को रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट एवं गांधी सर्किट से जोड़कर शांति, प्रेम और सद्भावना का विश्वस्तरीय केंद्र बनाये जाने की आवश्यकता पर जोर
रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल अनुमंडल कार्यालय में आज शिक्षाविद डॉ. स्वयंभू शलभ ने एसडीएम सुश्री शिवाक्षी दीक्षित से मुलाकात कर रक्सौल वीरगंज बॉर्डर के सर्वांगीण विकास संबंधी एक ज्ञापन पत्र सौंपा। ज्ञापन पत्र में रक्सौल वीरगंज बॉर्डर को विकसित करने को लेकर विभिन्न विन्दुओं की ओर ध्यानाकर्षण कराते हुए बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय महत्व का शहर रक्सौल और नेपाल की आर्थिक राजधानी कहलाने वाला शहर वीरगंज, दोनों ही सीमाई शहरों में शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, व्यापार, पर्यटन, पर्यावरण, प्राकृतिक संपदा संरक्षण और आधारभूत संरचना की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। भारत और नेपाल के बीच का आपसी संबंध सदियों से चली आ रही साझी सांस्कृतिक विरासत का एक सुंदर उदाहरण है। इस मौके पर डॉ. शलभ ने अपनी किताब ‘संस्कृति के सोपान’ भी भेंट की।
ज्ञापन पत्र में आगे बताया गया है कि नेपाल के रास्ते विभिन्न देशों से भारत आने वाले पर्यटक सबसे पहले इसी सीमा पर आकर भारत दर्शन करते हैं। इस बॉर्डर के विकास से न केवल भारत नेपाल सीमा क्षेत्र का गौरव बढ़ेगा बल्कि दोनों देश के लोगों के बीच पारस्परिक संबंध भी अधिक प्रगाढ़ होंगे।
ज्ञापन पत्र में रक्सौल और वीरगंज दोनों शहरों को जुड़वां शहर के रूप में विकसित किये जाने, भारतीय सीमा पर ‘महात्मा गांधी द्वार’ के निर्माण, रक्सौल के पूरब में एक बाईपास का निर्माण कर पूरे शहर को रिंग रोड से जोड़ने, रक्सौल एयरपोर्ट के संचालन, दोनों शहरों के बीच स्थित मैत्री पुल समेत प्रमुख राजमार्ग पर वृक्षारोपण और लाइटिंग की व्यवस्था, भारत नेपाल सीमा को चिह्नित करने वाली जीवनदायिनी सरिसवा नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त कर स्वच्छ बनाने, देश विदेश के यात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए भारत नेपाल सीमा पर अधिकृत मनी एक्सचेंज काउंटर की स्थापना, दिल्ली और काठमांडू को जोड़ने वाले मुख्यमार्ग पर रक्सौल स्थित रेलवे क्रासिंग गेट पर आरओबी के निर्माण के साथ साथ इस सीमा क्षेत्र की सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर इसे रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट एवं गांधी सर्किट से जोड़कर शांति, प्रेम और सद्भावना का विश्वस्तरीय केंद्र बनाये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।