Sunday, November 24

नमामि गंगे योजना प्रोजेक्ट के द्वारा सरिसवा नदी पर दो एसटीपी प्लांट बैठाने हेतु 63 करोड़ 17 लाख रुपया राशि की स्वीकृति ,हुआ स्वागत!

रक्सौल।(vor desk)।जीवन दायिनी सरिसवा नदी प्रदूषण मुक्ति आंदोलन पूरे बिहार सहित कई राज्यों के लिए एक उदाहरण है जिसे सफलता मिलने जा रही है ।नमामि गंगे योजना प्रोजेक्ट के द्वारा सरिसवा नदी पर दो एसटीपी प्लांट बैठाने हेतु 63 करोड़ 17 लाख रुपया राशि की स्वीकृति मिल गई है जो ऐतिहासिक एवं पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता है ।उक्त बातें आज काली नगरी में नदी तट पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित करते हुए सरिसवा नदी बचाओ आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर अनिल कुमार सिन्हा ने कही।प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि यह नदी किसी भी प्रकार से कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं होने के बावजूद स्थानीय सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल एवं पत्रकारों की अपार सहयोग के कारण मुक्ति आंदोलन की सफलता इस मुकाम तक पहुंच पाई है । नगर के प्रबुद्ध नागरिकों एवं समिति के वरीय कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में उन्होंने आज पत्रकारों को टीका लगाकर एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। साथ ही डॉक्टर संजय जायसवाल को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदूषण मुक्ति के क्षेत्र में एवं तिल तिल कर करने वाले रक्सौल की जनता के हित में बहुत बड़ा कार्य संपन्न हुआ है जिसके चलते पूरा सीमांचल आपका आभारी रहेगा , आप अमर हो गए हैं। प्रदूषण का कु प्रभाव जलचर , वनस्पतियों सहित पशु पक्षी सब पर पड़ रहा है।असंभव को संभव किया है।यह आंदोलन नेपाल एवं अन्य राज्यों को दिशा निर्देश देने का कार्य करेगा । प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि यह नदी नेपाल के रामबन से निकलकर अपने अंदर हिमालय तलहटी की दुर्लभ जड़ी बूटियों को समाहित कर कल कल बहती हुई छोटी-छोटी नदियों में मिलते हुए गंगा में मिल जाती थी पर नेपाल के बारा एवं परसा जिला में औद्योगीकरण का आउटलेट अवशिष्ट नदी में प्रवाहित किया जाने के कारण गंगा सा निर्मल शुद्ध जल ,काली दुर्गंध युक्त एवं जहरीले रसायनों के साथ बहने लगी ।इस नदी के जल से 1980 -81 में कोलकाता से चलकर फादर क्रिस्टो दास रक्सौल आकर कुष्ठ रोग का इलाज किया करते थे पर यह नदी आज कुष्ठ रोग पैदा कर रही है। अनेक प्रकार की घातक बीमारियां जैसे लिवर सिरोसिस ,किडनी फेल, कैंसर, चर्म रोग ,हेपेटाइटिस एवं गैस्टिक आदि अनेकों को पैदा कर रही है जिससे सैकड़ो की मौत हो चुकी है और कई मौत से जूझ रहे हैं।स्थानीय पत्रकारों की पहल पर 2010 में सरिसवा नदी बचाओ आंदोलन समिति का गठन प्रमुख पर्यावरणविद प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार सिन्हा के नेतृत्व में हुआ और जन सहयोग से व्यापक आंदोलन प्रारंभ हुआ। नदी के तट पर 5000 लोगों ने अपने हथेलियों पर जल लेकर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए संकल्प लिया ।साथ ही भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय मार्ग को 5 घंटे तक पूर्णतया जाम कर दिया गया जिसमें स्थानीय सांसद डॉक्टर संजय जयसवाल भी आंदोलनकारियों के साथ धरना पर बैठे ।अनेकों भव्य कार्यक्रम संपन्न हुए जिसमें भारत के वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ,गोलोक बिहारी राय ,फादर क्रिस्टो दास सहित अनेक महानुभाव ने खुलकर सहयोग किया ।2000 महिलाओं ने अपने हथेलियों पर जलते हुए दीपक को लेकर प्रदूषण मुक्ति का संकल्प लिया। कई बार विशाल रैलियों का आयोजन हुआ। नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार जगदीश शर्मा सहित अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुलकर आंदोलन को समर्थन दिया ।साथ ही नेपाल के अंदर भी आंदोलन को गति देने का कार्य किया ।जन संसद का आयोजन हुआ ।स्थानीय लोगों का व्यापक सहयोग मिला। पर स्थानीय सांसद डॉक्टर संजय जायसवाल को छोड़कर किसी भी राजनीतिक हस्तियों ने इस गंभीर मुद्दा को नहीं अपनाया जिसका परिणाम हुआ कि राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बना। स्थानीय सांसद डॉक्टर जायसवाल इस विषय को बार-बार भारतीय संसद में उठाते रहे ,भारत के पर्यावरण मंत्री एवं विदेश मंत्री को इस विषय से अवगत कराते रहे जिसका परिणाम हुआ कि तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नेपाल सरकार को हेतौदा ,नेपाल उद्योग केंद्र केंद्र के बाद एसटीपी प्लांट लगाने के लिए करोड़ों रुपए की राशि निर्गत की पर नेपाल में किसी भी प्रकार का कोई कार्य न हो पाया। नेपाल के अंदर आंदोलन का परिणाम हुआ कि तीन अरब रुपया नदी में एसटीपी प्लांट बैठने हेतु एवं बीरगंज के नल नालों से आने वाले पानी को शुद्ध करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिला पर वह भी कार्य रूप ना ले पाया ।नेपाल के 10 लोगों की समिति रितेश त्रिपाठी के नेतृत्व ने अपने प्रतिवेदन में स्वीकार किया कि नेपाल गंदा पानी भारत में भेज कर अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन कर रहा है। अनेकों बार सरिसवा नदी समिति के तरफ से नेपाल सरकार एवं भारत सरकार सहित स्थानीय सांसद डॉक्टर जायसवाल को इस विषय से अवगत कराया जाता रहा यहां तक कि भारत के विपक्षी नेताओं को भी मांग पत्र भेजा गया ,बिहार सरकार को भी बार-बार भेजा गया पर किसी ने इसकी सुधि नहीं ली ।बिहार विधान परिषद में हरेंद्र प्रताप ने इस विषय को उठाया पर बिहार सरकार ने दो देशों की बात कह कर इस विषय को केंद्र के पाले में डाल दिया। डॉक्टर जायसवाल ने इसे अपनी प्रतिष्ठा बना लिया।आज इस नदी की मुक्ति के लिए किए गए संघर्ष का परिणाम है कि नदी प्रदूषण मुक्त होने की ओर अग्रसर हो रही है ।रक्सौल में दो एसटीपी प्लांट लगने जा रहा है जो 2 मिलियन टन जल को प्रतिदिन साफ करेगा। साथ ही रक्सौल नगर परिषद से आए आ रहे नल नालों के गंदे पानी को भी यह प्लांट प्रदूषण मुक्त कर नदी में प्रवाहित करेगा। प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि पूरा सीमांचल डॉक्टर जायसवाल के प्रति आभार व्यक्त करता है और कहा कि आभार व्यक्त करने के लिए शब्दों का अभाव हो रहा है ।उन्होंने नदी मुक्ति के अथक प्रयास के लिए स्वर्गीय फादर क्रिस्टो दास को श्रद्धांजलि अर्पित किया जिन्होंने इस आंदोलन को धार देने का काम किय।स्थानीय पत्रकार समेत डीडी न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार धीरज कुमार सिंह , नई दिल्ली,भारत के वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार , गोलोक बिहारी राय एवं पूर्व विधान पार्षद हरेंद्र प्रताप का आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस आंदोलन को गति देने में और देश विदेश स्तरीय विषय बनाने में अथक प्रयास किया । सबों के द्वारा नगर के विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा , पूर्व विधायक डा0 अजय कुमार सिंह सहित सभी जन प्रतिनिधियों, सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं एवम सभी सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले बंधुओं को धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया गया ।प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि डॉक्टर जायसवाल का अभिनंदन भव्य समारोह में किया जाएगा एवं सभी आंदोलनकारी को धन्यवाद दिया जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस को आंदोलन के कार्यवाहक अध्यक्ष सुरेश कुमार, महासचिव प्रोफेसर मनीष दुबे एवं कोषाध्यक्ष राकेश कुमार कुशवाहा ने भी संबोधित किया प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुडु सिंह, ध्रुव प्रसाद श्रीवास्तव उर्फ बड़ा बाबू,चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अरुण गुप्ता ,महासचिव ई0 आलोक श्रीवास्तव, पुष्पा बाई , संतोष छात्रवंशी ,रजनीश प्रियदर्शी ,प्रोफेसर चंद्रमा सिंह, गणेश धनोतिया ,प्रोफेसर राजकिशोर सिंह , दुर्गेश साह,नीरज कुशवाहा ,राम शर्मा आदि शामिल थे।

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