Sunday, November 24

कार सेवा देने वाले रक्सौल के दीपक खेतान का गुम्बद से गिर कर टूटा था पैर, ओमप्रकाश श्री राम का झंडा लिए बेचते है पान,सपना पूरा होने पर छलके आंखो से आसू!

कार सेवक ओम प्रकाश गुप्ता पान दुकान में


रक्सौल।(vor desk)।कार सेवा से राम मंदिर तक का सफर पूर्ण हो गया है।इसमें कई कार सेवक जान गंवाए,कुछ राजनीति में छाए।अनेकों ऐसे हैं,जिनके मन में राम आज भी हैं,मगर वे गुमनाम हो गए,जिन्हे पूछने वाला कोई नही।लेकिन,उनकी खुशी छुपाए नहीं छिपती। रक्सौल वीरगंज में कई लोग हैं,जो कार सेवा में शरीक हुए ।तब उनकी जान हथेली पर थी।बाद में लंबे मुकदमे के बीच अपने को बचाने की जुगत भी। रक्सौल के तब आधा दर्जन लोग कार सेवा में गए थे और 6दिसंबर को बाबरी मसजीद का ढांचा ढहाने में भी शामिल रहे।इसमें तत्कालीन बजरंग दल के नगर प्रमुख ओम प्रकाश गुप्ता,संयोजक दीपक खेतान,सागर सोनकर,सचिदानंद सिंह समेत विहिप के नेता स्व शिव भरतिया आदि शामिल रहे।ये हालत को देखते हुए तीन दिन पहले ही वहां कैंप कर गये थे,और तीन दिन बाद बस से किसी तरह लौटे। वे लक्ष्मण किला में ठहरे थे।जिस दिन ढांचा ढहा इसमें दीपक खेतान गुम्बद पर चढ़ गए थे ,काफी लोगों के चढ़ने से ईंट तोड़ते वक्त नीचे गिर गए और एक पैर टूट गया।फिर भी जय श्री राम का नारा लगाते रहे।

दीपक खेतान

बाद में साथियों ने धर्म शाला ले गए और दवा उपचार कराए।अपनी रोजी रोटी में लग गए दीपक खेतान गुमनाम योद्धा ही रहना चाहते है, कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं।वहीं, ओम प्रकाश गुप्ता छुटते ही कहते हैं कि हमे जितनी खुशी राम मंदिर बनने की है,उतनी किसी को नहीं हो सकती है।क्योंकि, हमेने अपने हाथो से इसकी नींव रख दी थी।हमने आत्म इच्छा से यह कार्य किया था,राम कार्य के लिए सेवा दी थी।इसमें अपेक्षा कैसी? इस चर्चा पर उनके आंखों से हर्ष के आंसू भी छलक आते हैं।पीड़ा भी है,जिसे व्यक्त करते हुए कहते हैं -हां दुख जरूर होता है,क्योंकि, हमे भुला दिया गया।

सचिदानंद सिंह

आज की सियासत ने हमे उपेक्षित और विस्मृत कर दिया है।कोई पूछता भी नही, जबकि,राम नाम से ही हिंदुस्तान में सरकार बन गई।वे बताते हैं कि गिरफ्तारी और मौत से घर के लोग डरे हुए थे,क्योंकि,जमाना आज के इंटरनेट का नही था।टीवी और वीसीआर, स्टील कैमरा का था।जब हम सुरक्षित लौटे तो रक्सौल  के आदर्श चौक पर घेर कर फूल माला से लाद दिया गया।शहर में ग्रुप के साथ घूमे।खूब स्वागत हुआ। वे बताते हैं कि इसके बाद हर आयोजन में साथ रहे।जब चरण पादुका यात्रा पहुंची और राम ईट के लिए सहयोग की बात आई,तो,खुल कर अभियान में रहे।शहर के राम जानकी मंदिर के पास अपने घर में पान की दुकान खोल कर जीवन यापन चलाने वाले ओम प्रकाश श्री राम का झंडा कंधे पर लिए कहते है कि प्रभु श्री राम की कृपा से कोई कमी नही है। हमे एक ही खुशी है कि राम मंदिर वहीं बनाने का जो सपना हमने देखा था,वह आज पूर्ण हो गया। यह जीवन की हार्दिक इच्छा थी,जिसे जीते जी देख लिया।सचिदानंद सिंह कहते है कि प्रभु श्री राम लल्ला को हम लोग मंदिर में देख कर जुड़ा गए।अब और क्या चाहिए।सबके सहारे हैं राम,राम के बिना नहीं है कोई काम।

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