रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल के देहाती क्षेत्र के सीमावर्ती गांव में भूमाफियाओं ने अपना कब्जा जमा लिया है। कृषि योग्य भूमि को भी भू माफिया औने पौने दाम पर खरीद कर उसे व्यावसायिक दर से प्लाटिंग करके बेच रहे हैं। इस खरीद फरोख्त के कारोबार में भूमाफियाओं का जबरदस्त सांगठनिक पैठ बन गया है। अगर कोई अपनी भूमि उनसे नहीं बेचे तो उन्हें तरह-तरह की धमकियों के साथ जमीन बेचने को मजबूर किया जा रहा है।कुछ तो ऐसे भूमाफिया भी सक्रिय है।जो किसी कमजोर या गरीब किस्म के किसान या भूस्वामी को कीमती को हड़पने के लिए बेवजह साफ सुथरे भूमि को भी विवादित बना उसे दबंगों के नाम पर बेंच देते है तथा हिंसक वारदातों के सहारे कब्जा जमाने में सफल है।रक्सौल की बेशकीमती भूमि पर बाहरी अपराधियों को सांठगाठ भी काफी सक्रिय है।अब तो यह कारोबार हिंसक रूप ले लिया है।इसके कारण कई खूनी वारदात भी घट चुके है।बावजूद,यह भारी मुनाफे का अवैध कारोबार खूब फलने फूलने लगा है।
कुछ ऐसा ही मामला भारत नेपाल के सीमाई पंटोका पंचायत के धुपवा टोला के मौजे वृत गांव के किसानों का है, जिनके गांव में भू माफियाओं के द्वारा उनकी कृषि योग्य भूमि को जबरिया तौर पर औने पौने दाम पर खरीदने के लिए दबाव दिया जा रहा है। कुछ कमजोर किस्म के किसान उनके झांसे में आकर अपनी भूमि को बेच भी दिए हैं।इस तरह सैकड़ो एकड़ कृषि योग्य भूमि बिना किसी सरकारी प्रक्रिया के व्यावसायिक और आवासीय भूमि में तब्दील कर दिया गया है। गोल्डन सिटी नाम से बने मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स के रूप में एक बहुत ही बड़े भूखंड को अपने कब्जे में कर लिया गया है। यहां तक की जमीन कारोबारी वैसे प्लॉट को भी अपने घेराबंदी में ले लिए हैं,जो अपनी कृषि योग्य भूमि बेचे नहीं हैं तथा किसान अपने कब्जे में रखे हैं।अब तो उन्हें तरह-तरह की धमकियां दी जा रही है तथा उन्हें जमीन बेचने के लिए लगातार भूमाफियाओं के द्वारा मजबूर किया जा रहा है। बावजूद,दर्जनों किसानों ने इस मामले को लेकर महीनों से अनुमंडल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं,लेकिन उनके समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। हद तो तब हो गई, जब पिछले साल अपनी खेती करने जाने के लिए किसानों को रास्ता नहीं दिए गया। इससे दर्जनों किसान अपनी फसल नहीं उपजा सके। दाने-दाने को मोहताज कुछ किसानों ने राजन प्रसाद गुप्ता के नेतृत्व में तत्कालीन एसडीएम रविकांत सिंहा को 5अगस्त 2023को इस समस्या से अवगत करा न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने तत्काल इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भू स्थल का मुआयना किया तथा किसानों की समस्याओं से रूबरू होकर गोल्डन सिटी के प्रोपराइटर मोहम्मद सद्दाम को अबिलंब इन किसानों को खेती करने के लिए जाने वाले ट्रैक्टर हल सहित अन्य कृषि उपकरणों को उनके खेतों तक बेरोकटोक आवाजाही का निर्देश दिया।कृषि भूमि पर हाउसिंग कोलनी बनाने और विपरीत स्थिति पैदा करने को उन्होंने फिल्मी ड्रामा बताते हुए फटकार भी लगाई थी। कुछ दिन स्थिति सामान्य रहा, लेकिन बाद में उनके जाते ही पुनः माफियाओं ने किसानों के कृषि उपकरणों को खेतों तक ले जाने से मना कर दिया तथा रास्ता ब्लॉक करके चारदीवारी लगवा कर गेट लगा दिया। इससे परेशान किसान अपने खेतों में जुताई बुआई नहीं कर सके, जिससे कोई फसल नहीं लगाया जा सका और किसानों का खेत परती रह गया। इससे आहत किसानों ने पुनः एसडीएम शिवाक्षी दीक्षित से मिलकर अपने समस्याओं से अवगत कराया तथा इस समस्या से निजात दिलाने की अपील की। इस मामले को लेकर गंभीर एसडीओ शिवाक्षी दीक्षित ने किसानों को मंगलवार को अपने अनुमंडल कार्यालय कक्ष में बुलाया था। इसी दरम्यान डीएम सौरभ जोरवाल का भी आगमन हो गया। किसानों के भीड़ को देखते ही जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने किसानों की समस्याओं से रूबरू हुए तथा एसडीओ को अविलंब इस मामले के निष्पादन का निर्देश दिया।उन्होंने सीओ विजय कुमार का भी क्लास लगाया और तुरंत स्थल जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।वहीं,पीड़ित मंजू देवी जाकिर हुसैन,बलीराम प्रसाद आदि ने एक स्वर से न्याय और सुरक्षा का गुहार लगाते हुए बताया कि नेपाल के गुंडा बदमाश धमकाते हैं और शराब पी कर गलत हरकत कर जमे रहते है। हमे खेती कर जीविका चलाने और सुरक्षा दिया जाए ताकि चैन से रह सकें।इसे सुन कर डीएम श्री जोरवाल ने डीएसपी धीरज कुमार को विधि व्यवस्था को ले कर जरूरी निर्देश दिए और साफ कहा कि तुरंत मामले पर करवाई शुरू करें।उपरांत,एसडीओ ने अपने कार्यालय कक्ष में दोनों पक्षों को बुलाया तथा कहा कि किसानों को अपने खेतों तक आने-जाने के लिए हर हाल में रास्ता देने होंगे। अन्यथा की स्थिति में आवाजाही रोक-टोक करने पर संबंध व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। उसके बाद दोनों पक्षों में रजामंदी हुई और किसानों को उनके खेतों तक जाने के लिए ट्रैक्टर हल आदि कृषि उपकरण ले जाने का निर्देश मिला। बता दे की बगैर विभागीय स्वीकृति के किसी भी कृषि योग्य भूमि को औने पौने दामों पर खरीद कर उसका स्वरूप परिवर्तित करने का अधिकार किसी व्यक्ति को नहीं है तथा कृषि योग्य भूमि को आवासीय भूमि में तब्दील करने के लिए कोई कानूनी वैध अधिकार आम लोगों को हासिल नहीं है।अगर किसी भूमि का स्वरूप परिवर्तित किया जाता है तो इसके लिए राजस्व और भूमि सुधार विभाग से स्वीकृति लेने होते हैं तथा बाजार मूल्य के अनुसार निबंधन शुल्क के साथ ही भूमि के वास्तविक कीमत का 10% राजस्व निबंधन विभाग को चुकाना होता है। इस बाबत अनुमंडल अधिकारी शिवाक्षी दीक्षित का कहना है कि किसी भी किसान को उनके खेतों तक आवाजाही करने के लिए रोकना कानूनी जुर्म है।दोषी व्यक्ति के खिलाफ सुसंगत भादवि की धारा के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसके लिए किसी भी किसान को जबरदस्ती उनकी भूमि बेचने या बंधक रखने के लिए विवस नहीं किया जा सकता।……..।इधर,इस निर्देश से भू माफियाओं में हड़कंप है,जो कृषि भूमि को व्यवसायिक उपयोग में ले रहे हैं और इस अवैध कार्य से करोड़ो कमा रहे हैं।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)