● डॉ. शलभ ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री को लिखा पत्र
● अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद सीतामढ़ी में माता सीता का भव्य मंदिर बनाये जाने की जन आकांक्षा से कराया अवगत
रक्सौल।(vor desk)। रक्सौल और वीरगंज को रामायण सर्किट से जोड़कर विश्वस्तरीय धार्मिक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किये जाने की मांग शिक्षाविद डॉ. स्वयंभू शलभ ने की है। इस संदर्भ में डॉ. शलभ ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय पर्यटन मंत्री को पत्र भेजा है जिसमें अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद भगवान राम और माता सीता से जुड़े अन्य स्थलों को भी विकसित किये जाने की बात कही गई है। सीतामढ़ी में माता सीता का भव्य मंदिर बनाये जाने की जन आकांक्षा से भी अवगत कराया गया है।
अपने पत्र में डॉ. शलभ ने बताया है कि माता सीता की जन्म स्थली पुनौरा धाम, सीतामढ़ी (बिहार) रक्सौल से मात्र 80 किमी की दूरी पर स्थित है। माता सीता का मायका जनकपुरधाम (नेपाल) रक्सौल से लगभग 160 किमी दूरी पर और वाल्मीकिनगर (बिहार) स्थित महर्षि वाल्मीकि का आश्रम रक्सौल से लगभग 150 किमी की दूरी पर स्थित है। आगे बताया है कि माता सीता के जीवन में सीतामढ़ी, जनकपुर धाम और वाल्मीकिनगर का विशेष महत्व है। ये तीनों स्थल रक्सौल से सड़क और रेल मार्ग से जुड़े हुये हैं। रक्सौल और वीरगंज को रामायण सर्किट में जोड़कर इन सभी स्थलों को धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाने की आवश्यकता है।
अपने पत्र में डॉ. शलभ ने भारत नेपाल के आपसी संबंधों के बारे में उल्लेख करते हुए कहा है कि भारत और नेपाल के बीच का आपसी संबंध सदियों से चली आ रही साझी सांस्कृतिक विरासत का एक सुंदर उदाहरण है। समान आस्था, परंपरा और संस्कृति के पोषक इन दोनों देशों के कण कण में आध्यात्मिक भाव और सांस्कृतिक चेतना प्रवाहित होती है।
इस सीमा क्षेत्र के महत्व के बारे में बताते हुए कहा है कि नेपाल की आर्थिक राजधानी कहलाने वाला वीरगंज और अंतरराष्ट्रीय महत्व का शहर कहलाने वाला रक्सौल, दोनों ही सीमाई शहरों में पर्यटन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। नेपाल के रास्ते विभिन्न देशों से भारत आने वाले पर्यटक सबसे पहले इसी सीमा पर आकर भारत दर्शन करते हैं। नेपाल के मुख्य द्वार पर अवस्थित इस क्षेत्र को रामायण सर्किट से जोड़कर विश्वस्तरीय धार्मिक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किये जाने की आवश्यकता है।