आदापुर (vor desk)। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) 68वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया है। पूर्वी चंपारण के आदापुर निवासी नुरुल हक ने परीक्षा में 15वीं रैंक और अपने पद पर दूसरा रैंक हासिल कर डीएसपी का पद प्राप्त किया है। नुरुल के डीएसपी पद के लिए चयन की खबर मिलते ही पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। नुरुल के घर बधाई देने वाले रिश्तेदारों और मित्रो,शुभ चिंतको का तांता लग गया है।
नुरुल हक ने बताया कि उन्होंने यह सफलता सेल्फ स्टडी और कड़ी मेहनत के दम पर पाई है।
छह साल से थे जॉब में
नुरुल हक ने बताया कि मैं पिछले पांच साल से जॉब कर रहा था। हालांकि मेरे मन में हमेशा यही था कि समाज को बेहतर बनाने के लिए योगदान कर सकूं।इसी सोच के साथ मैंने 2021 में अपनी जॉब छोड़ दी।
जॉब छोड़ने के बाद मैं बीपीएससी की तैयारी में जुट गया। हालांकि मेरी शादी हो चुकी है। मुझे एक पांच साल का बेटा भी है। फिर भी मैंने अपने हौंसलों को बुलंद किया और एक बार फिर से पढ़ाई शुरु किया।
सेल्फ स्टडी के दमपर पाई सफलता
सेल्फ स्टडी के दमपर पहली बार बीपीएससी की 67वीं परीक्षा में भी बैठा। 67वीं परीक्षा में मैंने 399वीं रैंक हासिल की। रैंक के आधार पर राजस्व अधिकारी के पद पर चयनित हुआ था।
पोस्टिंग के इंतजार के साथ मैं बीपीएससी की 68वीं परीक्षा की तैयारी में जुट गया। परीक्षा दी और इस बार मेरी 15वीं रैंक आई। मेरा चयन डीएसपी के पद पर हुआ है। इससे मैं बेहद खुश हूं,हालाकि यह अंतिम मुकाम नही है।
प्रखंड के बड़हड़वा बिशुनपुरवा ग्राम निवासी नूरुल हक के पिता ऐनुल हक रेलवे के डीआरएम ऑफिस में बतौर जीप चालक के पद पर कार्यरत हैं, जो अभी दानापुर में सीनियर डीएसटी के चालक के रूप में कार्यरत हैं।उन्होंने गांव से निकल कर पटना में आशियाना बनाया और वहीं बच्चों को पढ़ाया लिखाया और उन्हे कामयाब बनाने का सपना देखा ।नूरूल की प्रारंभिक शिक्षा खगौल में सेंट जोसेफ प्राइमरी स्कूल में हुई, फिर वो तीसरी कक्षा से देहरादून के ओक ग्रोव बोर्डिंग स्कूल में पढ़े। दसवीं मे 90% और 12वीं में 92% अंक हासिल करने वाले नूरूल बचपन से ही पढ़ने में काफी मेधावी थे। उन्होंने 2015 में कोलकाता के मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट से मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री कर उन्होंने 2021तक बतौर मरीन इंजीनियर जॉब किया। नूरूल का विवाह हो चुका है और उन्हें 5 साल का एक बेटा भी है। इनकी पत्नी डॉक्टर हैं, जिनका नूरूल की सफलता में काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
छात्रों को संदेश
नुरुल हक अपनी सफलता का श्रेय माता पिता और गुरुजनों को देते हैं ।उनका छात्रों को यह संदेश है कि लक्ष्य निर्धारित करने से पहले अपना हौंसला बुलंद होना जरूरी है।लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए।ईमानदारी से किया हुआ मेहनत बेकार नहीं जाता है। उन्होंने बताया कि पिता रेलवे में कार्यरत है। मैं तीन भाई हूं। घर में शिक्षा का माहौल है। भाई नसरूल हक हैदराबाद जीपीओ में पोस्टल अधिकारी हैं।वहीं, सदरूल हक माईनिंग इंजिनियर के पद पर कार्यरत हैं।
क्या कहते हैं नुरुल के पिता
पिता ऐनुल हक ने बताया कि नुरुल बचपन से ही पढ़ने में मेधावी था।उसकी सफलता पर हमें गर्व है।हमे विश्वास है की हमारा बेटा सूबे ही नहीं एक दिन देश में नाम रौशन करेगा।