रक्सौल।(vor desk)।अनुमंडल के सीमावर्ती महुआवा पुलिस द्वारा पकड़े गए अनाज को छोड़ने का मामला सवालों के घेरे में आ गया है।प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने खाद्यान्न कारोबारियों को 48घंटे के ‘विभागीय ट्रायल ‘के बाद ‘जजमेंट’ दे दिया।क्लीन चिट मिलने के बाद माफियाओं को राहत मिल गई ,वहीं, पुलिस को भी उसना चावल के खेप को छोड़ देना पड़ा।इस बात की जांच भी ठंडे बस्ते में चली गई की,क्या उसना चावल तस्करी के जरिए नेपाल भेजा जा रहा था?पूरे मामले में लीपापोती जम कर हुई।चर्चा है कि माफियाओं को इसके लिए पूरा मौका दिया गया।
बताते हैं कि एमओ के प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस ने जब्त उसना चावल को छोड़ दिया है।
गौरतलब है कि यह उसना चावल पी डी एस दुकान, एमडीएम और
आईसीडीएस को ही सरकारी स्तर पर उपलब्ध होता है।ऐसे में आखिर यह चावल कहा से आया?क्या पिकअप चालक से पूछ ताछ हुई ?
फिल्वक्त इस मामले को लेकर क्षेत्र में अटकलबाजियों का बाजार गर्म है।स्थानीय लोगों का कहना है कि आदापुर क्षेत्र में ऐसे ही अनाज कलाबाजारियों की धमक नही है।महज चंद कदमों की दूरी पर ही पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर पिकअप सहित पचास बोरे उसना चावल पकड़ा और उसे थाने ले आई,लेकिन चावल के श्रोत को ढूंढने में विफल रहे प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी विक्रम कुमार द्वारा 48 घंटे बाद अनाज कारोबारी को क्लीन चिट देना चर्चा का विषय बन गया है।अगर चावल सरकारी नही था तो पुलिस आखिर उसे क्यों जब्त की तथा 48 घंटे तक पिकअप चालक को अपने गिरफ्त में लेकर पूछताछ कैसे करती रही।वही, एमओ की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लाजिमी है।जब पुलिस द्वारा पकड़े गए चावल सरकारी मानक के विपरीत थे तो उसे दो दिनों तक डिस्टर्ब क्यों किया गया। बताते है कि पुलिस व विभागीय जांच पड़ताल करने के दावे के बीच अनाज कालाबाजारी के पौ बारह है।पुलिस का कहना है कि सोमवार की शाम अवैध रूप से एक पिकअप वैन पर ले जा रहे चावल को पकड़ा गया और इसकी सूचना आदापुर एमओ विक्रम कुमार को दी गई।उनसे जांचोपरांत मिले रिपोर्ट के आधार पर ही प्राथमिकी दर्ज किया जाना था।वही, एमओ विक्रम कुमार का कहना है कि पुलिस ने उसना चावल बरामद कैसे किया,वह जाने लेकिन सरकारी मानक के अनुसार पुलिस द्वारा जब्त चावल खरा नहीं उतरा।सरकारी चावल अगर होता तो उसके बोरे पर सील या सरकारी टैग होता और उसकी सिलाई में भी अंतर होता,लेकिन ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला,जिसके आधार पर उसे सरकारी चावल होने की पुष्टि किया जा सके।वही पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वरीय अधिकारियों से समझने में देरी हुई और उनके संज्ञान में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।उनका यह भी कहना है कि उसना चावल की सप्लाई केवल पीडीएस में ही नहीं होती।इसकी सप्लाई आईसीडीएस,एमडीएम में भी होती है लेकिन उक्त चावल के दाने देख सरकारी बताना मुश्किल है।इधर,स्थानीय ग्रामीणों का दावा है कि बरामद उसना चावल कोरैया के पीडीएस दुकानदारों का ही है,क्योंकि बरामद पिकअप कोरैयां गांव के दो डिलरों के दरवाजे पर ही लोडिंग करते देखा गया है,हालांकि एमओ इस दावे से इंकार कर रहे है।वही,स्थानीय सरपंच पति श्रीकांत यादव का कहना है कि बरामद चावल में कोरैया के ही दो पीडीएस डिलरों का नाम चर्चा में है।फिर अधिकारी चर्चित पीडीएस दुकानदारों के भंडार सत्यापन क्यों नही किए,स्थिति स्पष्ट हो जाती।वही, महुआवा थाना परिसर में जब्त पच्चीस किवंटल (उसना चावल प्लास्टिक के बोरे में)चावल सहित पिकअप वैन दो दिनों तक कैसे खड़ा रहा।यह गंभीर जांच का विषय है।वही,पूछे जाने पर एसडीओ रविकांत सिन्हा ने इस मामले में अनभिज्ञता जताई।
बता दे कि गत दिनों आदापुर एसएफसी गोदाम के बगल से पकड़े गए एक ट्रक सहित साढ़े छह सौ बोरे उसना चावल की जब्ती के बाद भी पुलिस व अधिकारी आरोपी मिलरों की गिरफ्तारी करने में विफल साबित हुए है और आरोपी अपने पहुंच और रसूख की बदौलत खुलेआम घूम रहे है।लोगों का मानना है कि अगर ऐसे ही लेट लतीफी जांच प्रक्रिया चली तो सवाल उठने लाजिमी है।इधर,इस आशय की पुष्टि करते हुए थानाध्यक्ष सोनी कुमारी ने बताया कि आदापुर के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी विक्रम कुमार से मिले प्रतिवेदन के आधार पर बुधवार को सरकारी अनाज नहीं होने के कारण उसे पिकअप सहित मुक्त कर दिया गया।(रिपोर्ट:पीके गुप्ता)।