रक्सौल।(vor desk)। बाबा साहब डा भीम राव अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है,जो इसे पिएगा वह दहाड़ेगा।इसी सूत्र को ध्यान में रख कर पिकअप चला कर रोजी रोटी कमाने वाले पिता ने बेटी को पढ़ाया ,लिखाया और लायक बनाया।अब बेटी ने एसडीएम बन कर न केवल माता पिता और परिवार,बल्कि,क्षेत्र का नाम रौशन किया,बल्कि,अब उसके सपने आकाश के समान है। वह कह रही है कि मेरा सपना था कि अधिकारी बनकर लाल बत्ती वाली गाड़ी में चलूंगी।लालबत्ती का जमाना तो नही रहा,लेकिन,अब ऑफिसर की कुर्सी पर बैठ कर पूरी ईमानदारी से कर्तव्य को निभाऊंगी।ग्रामीण परिवेश से जुड़े होने के वजह से मैं ग्राम विकास सहित सरकार के सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम करूंगी।
यह कहानी रक्सौल के चिकनी गांव की है। जहां दीपावली से पहले दीप जल उठे, मिठाइयां बांटी गई।विधायक प्रमोद सिन्हा,राजद नेता राम बाबू यादव से ले ले कर अन्य जन प्रतिनिधि और समाज के प्रबुद्ध जनों ने घर पहुंच कर बधाइयां दी ।सम्मानित किया।
दरअसल,जोकियारी पंचायत के चिकनी गाव निवासी रमाकांत दास पेशे से पिक अप के चालक है। उनकी पत्नी आंगन बाड़ी सेविका है।दोनो ने बेटी ज्योति रानी को काफी संघर्ष से पढ़ाया ।आज ज्योति ने बीपीएससी में 256 वा रैंक लाकर सफलता हासिल की और ऑफिसर बिटिया बीएन गई।
ज्योति ने प्रारंभिक पढ़ाई रक्सौल के नोट्रोड्रम स्कूल से की।वर्ग 7 से मैट्रिक तक के एच डब्लू विद्यालय से किया। उसके बाद ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई के लिए पटना विलियस कोचिंग ज्वाइन किया। 87प्रतिशत अंक लाकर बारहवीं पास किया।इसके बाद राजस्थान के जयपुर स्थित आर्या इन्स्टीट्यूट टेक्नोलॉजी ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज में स्कॉलरशिप के बदौलत नामांकन मिला। वहां से 2020 में 80.3 प्रतिशत अंक लाकर बी टेक की डिग्री ली। बी टेक पास करने के बाद एक कंपनी में जॉब भी हो गया था। मगर कोरोना के कारण ज्वॉइन करने में विलंब हो गया था।इस बीच उसने ठाना की समय का सदुपयोग करना है और सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी है।आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए किसी बड़े कोचिंग में भी नामांकन नही हो सकता था। इसलिए ज्योति ने सेल्फ स्टडी प्रारंभ की और इसके पहले वाले बी पी एस सी परीक्षा में भी पास कर गई थी।लेकिन अभी ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट नही मिला था ।इसीलिए रिजल्ट नही आया।लेकिन,हिम्मत नही हारी।दुबारा प्रयास किया और इस बार के परीक्षा में ज्योति ने256 रैंक लाकर सफलता का परचम लहरा दिया।अब ज्योति एस डी एमबन गई है।ज्योति इसका पूरा श्रेय माता पिता और गुरुजनों को देती है। ज्योति कहती हैं कि मुझे अपने पिता के पिक अप के चालक होने पर गर्व है।क्योंकि उन्होंने समाज के लाख मना करने के वावजूद मुझे पढ़ने के लिए बाहर निकलने पर कोई पाबंदी नहीं लगाया और मुझ पर भरोसा किया। मैंने भी उनके भरोसा को टूटने नही दिया।वह कहती हैं कि यदि सफलता पानी है तो कड़ी मेहनत और लगन के साथ लक्ष्य पर ध्यान देना होगा।सोशल मीडिया से दूरी बनानी होगी।तभी सफलता कदम चूमेगी।उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के युग में ऑन लाइन पढ़ाई राह को आसान बनाती है।इंटरनेट और यू ट्यूब से तैयारी में मुझे काफी मदद मिली।
ज्योति के पिता रामाकांत दास ने अपने बेटी के एस डी एम बनने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि मैं कभी बेटी और बेटा में फर्क महसूस नहीं किया।ज्योति शुरू से ही मेघावी थी।मैट्रिक में 96 अंक से पास हुई,तो पटना में पढ़ाई के लिए ज्योति ने जिद किया।कहा कि पापा आप मुझे ऑफिसर बनाना चाहते है ,तो,मुझ पर विश्वास कीजिए।आज रिजल्ट आने पर विश्वास नहीं हो रहा की बिटिया रानी ऑफिसर बन गई।मुझे यकीन है कि वह राज्य और देश का नाम रौशन करेगी।मां संगीता देवी ने कहा कि यह जमाना बेटियो का है,मेरी बेटी ने इसे साबित किया है और आगे भी करेगी।