रक्सौल।(vor desk)। रक्सौल में श्री रौनियार वैश्य बंधु समिति द्वारा अंतिम हिंदू सम्राट महाराज हेमचन्द्र विक्रमादित्य हेमू का राज्याभिषेक सह विजय उत्सव दिवस मनाया गया।शहर के श्री राम जानकी विवाह भवन के सभागार में शनिवार की शाम आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत महाराज हेमू के तैल चित्र पर पुष्प् चढ़ाकर और दीप प्रज्वलित कर किया गया। जिसकी अध्यक्षता समिति के अनुमंडल अध्यक्ष शिव पूजन प्रसाद ने की। उन्होंने कहा कि रौनियार समाज सामूहिक प्रयास से संगठित हो कर राजनीति में भागीदारी करें,बिना समाजिक एवं राजनीतिक भागीदारी के समाज का उत्थान अधूरा है।उन्होंने कहा कि रौनियार कुलभूषण हेमू साह नमक का कारोबार कर जीविकोपार्जन करने वाले एक व्यवसाई परिवार से थे,जिन्होंने अपनी सूझ बूझ ,बुद्धिमता,शौर्य और पराक्रम के बूते हिंदुस्तान के अंतिम अंतिम हिंदू सम्राट के रूप में 7 अक्टूबर 1556 को गद्दी संभाली थी,इसीलिए आज के दिन हम विजय दिवस मनाते हैं।उन्होंने मुगलों से 22बार लड़ाई लड़ी,यदि उन्हें छल से नहीं मारा गया होता,तो,हिंदुस्तान का इतिहास कुछ और होता।उन्होंने कहा कि रौनियार वैश्य समाज सदियों से कुर्बानी देते आया है।महाराजा हेमु हिंदुओं और देशवासियों के लिए आदर्श व प्रेरणा स्त्रोत हैं।उनके इतिहास से हमें सीखने और आगे बढ़ने की जरूरत है।
वहीं,अपने संबोधन में नगर पार्षद रवि गुप्ता,भाजपा नेता राज कुमार गुप्ता,चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के सचिव राज कुमार गुप्ता,आर्टिटेक्ट जिवेश नंदन,सुशील कुमार रौनियार आदि ने कहा कि देश में बड़े पैमाने पर रौनियार समाज के लोग रहते हैं,उन्हे हक और अधिकार नही मिल पा रहा। हमारे समाज को राजनीति से अलग थलग किया गया है।अब समय आ गया है कि समाज को जागरूक कर राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाए।महाराज हेमू के राज्याभिषेक दिवस पर यह शपथ लें कि हम सभी समाज को एकजुट और संगठित बनाएंगे।शिक्षित बनेंगे।
उन्होंने कहा कि अपने रण कौशल व सफल सैन्य व्यूह रचना के बल पर भारत मां का सपूत हेमू सम्राट बने थे।असाधारण प्रतिभा के बल पर साधारण परिवार के हेमू का हेमचन्द्र विक्रमादित्य बनना भारतीय इतिहास की दुर्लभ घटना है। हेमू ने आगरा व तुगलकाबाद को फतह करते हुए दिल्ली के पुराना किला पहुंचकर सम्राट का ओहदा और निष्पक्ष न्याय की प्रतीक विक्रमाजीत अथवा विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी। उन्होंने कहा कि वीर हेमू को पूर्व राज्याभिषेक से पहले हेमचंद्र को जो अन्य लड़ाइयां लड़नी पड़ी।
उन्होंने बताया कि अफगान सामंतों को दबाने के बाद हेमू ने मुगलों को दबाने की पहल की।
हेमू के पास उस जमाने के हिसाब से दूसरों से उन्नत हथियार थे। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि देशभक्ति के जज्बे के अलावा हेमू को अपने हथियार निर्माण के अनुभव व कुशल व्यूह रचना की कला ने भी सम्राट की गद्दी तक पहुंचाया।
कार्यक्रम में नारायण प्रसाद, शिव शंकर प्रसाद,रामजी प्रसाद गुप्ता,राजेश कुमार( शिक्षक),राजकुमार गुप्ता(शिक्षक),रमेश गुप्ता,डा अजय कुमार,दीपक कुमार,राम कुमार गुप्ता समेत अन्य उपस्थित थे।