Sunday, November 24

बिहार का जाति आधारित गणना देश में सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति आंदोलन का मार्ग प्रशस्त करेगा :मुनेश राम

रक्सौल।(vor desk)।बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित गणना देश में सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति आंदोलन का मार्ग प्रशस्त करेगा और देश में संख्यानुपाती भागीदारी की मांग बढ़ेगी।यह संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर का सपना अधूरा था और इस अतुलनीय कार्य को आजादी के बाद सूबे बिहार सरकार ने करके सामाजिक न्याय का अदभुद नमूना पेश किया है।अब पूरे देश में शासन प्रशासन के साथ न्यायिक नियुक्तियों और सैन्य क्षेत्रों के साथ प्राइवेट सेक्टर में भी संख्यानुपाती भागीदारी के लिए संघर्ष तेज होगा।उक्त बातें अंबेडकर ज्ञान मंच के संस्थापक मुनेश राम ने जाति आधारित गणना रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर अपनी प्रतिक्रिया में कही।उन्होंने कहा कि बाबा साहेब का भी सपना था संख्या के आधार पर पचासी फीसदी आरक्षण बहुसंख्यक आबादी को मिले,जिन्हें हजारों वर्षो से दोहरी गुलामी में जकड़े रखा गया है।बाबा साहेब के कठिन संघर्षों के बाद अंग्रेजों ने वर्ष 1931 में जातीय जनगणना कराया था,जिसमें इस देश की पचासी फीसदी गरीब शोषित पीड़ित शासन प्रशासन सहित अन्य सेक्टरों में शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए है।इसके आधार पर असेंबली के लिए हुए चुनाव में सैपरेट इलेक्ट्रॉल का अधिकार बहिष्कृत जातियों को मिला,लेकिन गांधीजी ने पूना पैक्ट करा बाबा साहेब से यह महती अधिकार ले लिया। फलतः एससी, एसटी वर्ग दूसरे के सहारे अपने भविष्य के नीव रखने लगे,जो कारगर साबित नही हुआ। श्री राम ने कहा कि बाबा साहेब ने देश के प्रथम विधि मंत्री बनने पर काका कालेलकर आयोग का गठन कराया,जिस आयोग ने देश के पचासी फीसदी बहुजनोंं को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ेपन के आधार पर उन्हें आगे लाने के लिए आरक्षण देने की सिफारिश किया,जिसमें 52 फीसदी ओबीसी,22.5 फीसदी एससी–एसटी व साढ़े दस फीसदी धार्मिक रूप से पिछड़े लोग व 15 फीसदी सवर्ण जातियां शामिल थी,किंतु नेहरू मंत्री मंडल ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।इस घटना से नाराज़ बाबा साहेब ने अपने मंत्री पद से त्याग पत्र देकर सामाजिक एकजुटता की जीवन पर्यंत लड़ाई लड़ते रहे।उन्होंने कहा कि अंबेडकर के जाने के बाद इस मुहिम को बाबा साहेब के सच्चे अनुयाई बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब ने आगे बढ़ाया और पूरे देश में एक नारा दिया,जिसकी जितनी संख्या भारी,उसकी उतनी हिस्सेदारी,वोट हमारा,राज तुम्हारा..नही चलेगा,नही चलेगा को बिहार ने पर दिए है।अब यह समाज खुद के अधिकार को लेकर शासन प्रशासन में संख्यानुपाती भागीदारी के लिए ऊंची परवाज करेगा।वही,संस्थापक ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भारत का आधुनिक क्षत्रपति शाहूजी महाराज करार देते हुए आरक्षण के जनक के अधूरे कारवां को बढ़नेवाला सच्चा देशभक्त बताया।उन्होंने ने जनगणना के आंकड़ों को अध्ययन करने की सलाह देते हुए विधि सम्मत अधिकार पाने के लिए बहुजन समाज को आगे आने का आह्वान किया तथा शिक्षा हासिल करने की अपील की।

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