रक्सौल।(vor desk)।ट्रेन में मिले एक अनाथ बालिका को देख कर लोगो के आंखों में आंसू आ गए। उससे भी ज्यादा पीड़ा तब हुई जब प्रारंभिक जांच में बालिका के एच आई वी पीड़ित होने की पुष्टि हुई है।लोग पूछने लगे कि वे माता पिता कैसे थे,जो अपने फूल सी बेटी को लावारिश छोड़ गए।सरकार एच आई वी का निशुल्क इलाज भी करने की सुविधा दे रही है,तब ऐसी कौन सी मजबूरी थी,जो अपनी बेटी को यूं ही ट्रेन में छोड़ दिया।
फिलहाल,बालिका को मोतिहारी सदर अस्पताल में कन्फर्म जांच और इलाज के लिए रेफर कर दिया गया है। रक्सौल स्थित अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर राजीव रंजन कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया की जांच में उक्त डेढ़ वर्षीय बालिका न केवल अस्वस्थ पाई गई,बल्कि,कुपोषित भी थी।जांच में एच आई वी पॉजिटिव पाए जाने के बाद उसे त्वरित इलाज के लिए रेफर कर दिया गया है।उन्होंने आशंका जताई की बच्ची के माता पिता भी संक्रमित होंगे,ऐसे में इसकी पुष्टि के लिए पता लगाया जाना जरूरी है,ताकि,उनका भी इलाज हो सके।
*जांच में बच्ची पाई गई एच आई वी पॉजिटिव
प्रयास संस्था,स्वच्छ रक्सौल और जीआरपी की टीम ने बच्ची को जांच के लिए शुक्रवार को अनुमंडल अस्पताल लाया। जहां अस्पताल उपाधीक्षक डॉक्टर राजीव रंजन कुमार के देख रेख में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल डॉक्टर मुराद समेत टीम द्वारा जांच और इलाज की पहल की हुई।बच्ची की नाजुक स्वास्थ्य स्थिति को देख कर एच आई वी की जांच कराई गई,तो,पैर तले जमीन खिसक गई,क्योंकि,प्रारंभिक जांच में बच्ची एच आई वी संक्रमित पाई गई। बच्ची के माता,पिता या अभिभावक के नही रहने की वजह से कांऊसिलिंग की प्रक्रिया नही हो सकी। रेफर किए जाने के बाद उसे जीआरपी के साथ ही प्रयास के वोलेंट्रियर राज और स्वच्छ रक्सौल संस्था की टीम बच्ची को मोतिहारी बाल संरक्षण गृह(सी डब्लू सी) ले गई।स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने बताया कि सी डब्लू सी से अनुमति के बाद मोतिहारी सदर अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया जायेगा।उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना है कि बच्ची के अभिभावक को यह पता था कि यह संक्रमित है,ऐसे में वे ट्रेन में बच्ची को छोड़ गए।
*ट्रेन में मिली बच्ची:
गुरुवार की रात्रि हावड़ा – रक्सौल ट्रेन संख्या 13044 की एक स्लीपर बोगी संख्या एस 1में जी आर पी के एस्कॉर्ट टीम ने सीट पर बच्ची को रोते हुए पाया।टीम में एस्कॉर्ट दल के जवान सुरेश पोद्दार,अराधना गुप्ता,और राज देव राम शामिल थे,जो सीतामढ़ी से रक्सौल आ रहे थे।टीम द्वारा आदापुर रेलवे स्टेशन के आस पास चलती ट्रेन में लावारिश स्थिति में बच्ची को देख कर नियंत्रण में लिया गया और रक्सौल स्टेशन स्थित राजकीय रेल पुलिस कार्यालय को इसकी सूचना दी गई।रात्रि होने के कारण बच्ची जी आर पी के संरक्षण में ही रही।
*महिला जवान की हो रही तारीफ
एस्कॉर्ट टीम में शामिल जीआरपी की महिला जवान अराधना गुप्ता की तारीफ हो रही है,क्योंकि,उसने बच्ची को रोते देख संवेदनशीलता दिखाई।एक ओर जहां अपनी मां ने बच्ची को ठुकरा दिया और लावारिश छोड़ रफूचक्कर हो गई,वहीं,महिला जवान का दिल पसीज गया।उसनेममता का छांव दिया। बच्ची को जीआरपी के महिला जवान कर्तव्य निष्ठा दिखाते हुए रात्रि होने के कारण अपने पास रखा और देख भाल की।
*माता पिता की हो रही खोज
जीआरपी रक्सौल के थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि ट्रेन में लावारिश मिले बच्ची के माता पिता की खोज की जा रही है।वहीं,बच्ची को बाल सरक्षण गृह भेज दिया गया है,ताकि,उसका इलाज और देख भाल की उचित पहल हो सके।