रक्सौल।(vor desk)।एशिया लेवल पर गौतम बुद्ध के गृह त्याग के कोरिडोर की तलाश शुरू हो गई है।इस कार्य को पूरा करने के लिए सार्क फाउंडेशन,काठमांडू से जुड़ी टीम ने शोध शुरू कर दिया है।इसके लिए तथागत गौतम बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल के लुंबिनी से तराई इलाके होकर वाया बिरगंज(भिस्वा) रक्सौल के रास्ते केसरिया आदि स्थलों का अध्ययन किया जा रहा है।इस अध्ययन में गौतम बुद्ध से जुड़े स्थलों वैशाली,रमपुरवा, लौरियां, बोधगया,सारनाथ,कुशीनगर तक का अवलोकन किया गया है।ऐतिहासिक सूत्रों के मुताबिक, विश्व के सबसे बड़े और प्राचीन बौद्ध स्तूप केसरिया में मिलने के बाद चम्पारण भूमि पर देश दुनिया की नजर है।इसी क्रम में सार्क फाउंडेशन,काठमांडू की टीम ने इस दिशा में एक अति महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी शोध और अनुसंधान की पहल की है,जिससे पता चल सके कि नेपाल के कपिलवस्तु स्थित लुंबिनी से जब बुद्ध निकले तो किन किन मार्ग और स्थल से चल कर वे बोध गया पहुंचे। जहां उन्हें बोधित्सव की प्राप्ति हुई।यह शोध भारत नेपाल रिश्ते को भी मजबूत करने के साथ नया आयाम देगा,तो बिरगंज (नेपाल) व रक्सौल(भारत) के बुद्ध सर्किट से जुड़ने से अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी स्थापित होगी।इसको ले कर सार्क फाउंडेशन से जुड़े नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार कनक मणि दीक्षित और चंद्र किशोर झा (सत्याग्रह,नेपाल के संस्थापक) ने विगत दिनों केसरिया,नंदन गढ़- लौरिया समेत वैशाली में बुद्ध प्रवास और यात्रा से जुड़े भूमि का दौरा किया और इस प्रोजेक्ट पर शीघ्र ही कार्य शुरू करने के संकेत दिए।इस क्रम में पुरातत्वविद राम शरण अग्रवाल समेत स्थानीय विशेषज्ञ भी साथ रहे।इस बारे में इस मिशन से जुड़े चंद्र किशोर झा ने बताया की हमारी टीम ने बुद्ध से जुड़े स्थलों का प्रारंभिक स्थलगत अवलोकन किया है और इसके बाद नेपाल भारत समेत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस बारे में चर्चा परिचर्चा के साथ ही गहन और जमीनी शोध अनुसंधान की पहल हो रही है,क्योंकि,इस दिशा में कोई ठोस और विस्तृत शोंध नहीं हो सका है।इतिहास, तथ्य,साक्ष्य और स्थल गत अन्वेषण के बाद इसकी रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध सर्किट की योजना को नई दिशा देगा।नेपाल भारत समेत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बौद्ध सर्किट को विकसित करने प्रयास जारी है।
बता दे कि भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 16मई 2022 को लुंबनी यात्रा के दौरान अपने तत्कालीन समकक्षी शेर बहादुर देउबा के साथ लुंबिनी मठ क्षेत्र में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बुद्धिस्ट कल्चर एंड हेरिटेज की आधारशिला रखी।जो अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (नई दिल्ली) के द्वारा निर्मित किया जा रहा है।इस मौके पर उन्होंने भारत नेपाल के बीच बौद्ध सर्किट को विकसित करने की घोषणा की थी।
बुद्ध से जुड़े स्थलो के संरक्षण पर जोर:नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार कनक मणि दीक्षित ने बिहार के केसरिया, लौरिया,नंदन गढ़,राम पुरवा आदि के दौरे के बाद बुद्ध से जुड़े अवशेषों को संजोने और विकसित करने पर जोर दिया है।उन्होंने केसरिया बौद्ध स्तूप के हालात पर चिंता भी जताई है।
उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ गौतम ने अपने विचारो से पूरी दुनिया को बांध लिया है।भारत और नेपाल भी बंधे हैं। बुद्ध के विचार आज दुनियां के लिए प्रासंगिक बन गए हैं।उनसे जुड़े ऐतिहासिक साक्ष्य आज भी जीवंत और धरोहर के रूप में है।जिन्हे गंभीरता के साथ संरक्षित करने की जरूरत है।जिस रास्ते बग्घी या पद यात्रा में सिद्धार्थ गौतम बोध गया गए,वैसे एक एक जगह और परिपथ के चिन्हित करने की जरूरत है।क्योंकि,इस गौरव शाली यात्रा के बाद ही वे भगवान बुद्ध बने।(रिपोर्ट: पीके गुप्ता)