रक्सौल।(vor desk)।शुक्रवार को रक्सौल स्थित स्टेशन रोड समेत रेलवे परिक्षेत्र में किए गए स्थायी व अस्थायी अतिक्रमण को हटाने के लिए रेल प्रशासन ‘बुलडोजर एक्शन ‘में दिखी।
रेलवे प्रशासन के द्वारा अभियान चला कर रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाया गया।रेलवे के अधिकारी एएनई के मिश्रा के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाव अभियान चलाया गया। जिसमें रेलवे स्टेशन के सामने किए गए अतिक्रमण को कड़ी सुरक्षा के बीच हटाया गया। अतिक्रमण हटाने के दौरान स्थानीय आरपीएफ व जीआरपी पुलिस टीम मुस्तैद दिखी।इस दौरान जेसीबी के सहयोग से अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू हुआ।हालांकि कुछ अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण अभियान को देख अपने दुकान स्वयं हटा लिया। फोल्डिंग दुकान इसके जद में रही।अतिक्रमण हटाने के दौरान रेल अधिकारियों के द्वारा अतिक्रमण नहीं करने को लेकर कड़ी चेतावनी भी दी गयी।मौके पर आईओ डब्ल्यू शैलेंद्र झा, सुरेंद्र कुमार, आरपीएफ इंस्पेक्टर ऋतु राज कश्यप, एएसआई दिलिप कुमार सहित दर्जनों की संख्या में आरपीएफ व जीआरपी पुलिस के जवान मौजूद थे।
अतिक्रमण हटाओ अभियान चर्चे में:
रक्सौल में अतिक्रमण हटाओ अभियान चर्चा के केंद्र में है और रेल प्रशासन निशाने पर है।सवाल खड़े किए जा रहे हैं की होली की वसूली और अवैध कमाई बढ़ाने के लिए यह अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है या फिर स्थाई रूप से।इस पर रेल प्रशासन और सुरक्षा से जुड़े अधिकारी चुप हैं।दूसरी ओर चर्चा यह चल रही है कि मार्च क्लोजिंग को ले कर लगातार रेल के वरीय अधिकारियों का दौरा और निरीक्षण होता है।पिछले फरवरी में रक्सौल में रेल दुर्घटना से बचाव के लिए मॉक ड्रिल हुआ था,जिसमे एडीआरएम मनीष शर्मा भी पहुंचे थे।बैठक और मॉक ड्रिल के क्रम में रेल अधिकारियों की नजर इस पर पड़ी और कारवाई के आदेश जारी कर दिए गए। इस कारण फिलहाल अतिक्रमण हटाया जा रहा है।जो दौरे खत्म होने के बाद फिर से स्थिति यथावत हो जायेगी।फोल्डिंग दुकानें फिर से सजने लगेगी।ऐसा कहा जा रहा है।हालाकि,अतिक्रमण हटाने में भी भेद भाव बरते जाने का आरोप लग रहा है।
बता दे की वर्ष 1993 के आस पास यहां लीज के दुकानों को अतिक्रमण बता कर हटा दिया गया था।जहां सैकड़ो लोगों की भूमि आवंटन हुआ था,हजारों लोगों की रोजी रोटी चलती थी।उसके बाद पीड़ित काफी परेशान रहे।
बाद में स्टेशन रोड में सैकड़ों की संख्या में फोल्डिंग दुकान सजने लगी।इससे प्रति माह लाखो रुपए की अवैध कमाई रेल से जुड़े कतिपय भ्रष्ट अधिकारियों को पहुंचने लगी।रेल राजस्व को चुना लगता रहा।शिकायत के बाद भी हाजीपुर मुख्यालय से ले कर समस्तीपुर रेल मंडल तक चुप्पी साधे रही।स्थानीय जन प्रतिनिधि भी लिज बहाल करने की गंभीर पहल नही की।इससे जो लोगो फोल्डिंग दुकान चलाते है अथवा लिज धारक रहे,उनकी उपेक्षा हुई और सोने की मुर्गी बने रहे।वहीं, परेउवा से ले कर स्टेशन के सामने और पुराने बस स्टेंड और मुख्य पथ तक रेलवे परिक्षेत्र में सैकड़ो दुकानें सकती रही।
चर्चा यह भी रही कि विगत वर्षो रेल सुरक्षा से जुड़े एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी के यहां पोस्टिंग के बाद काफी दिनों तक स्टेशन के सामने की दर्जनों फोल्डिंग दुकान बन्द रही।जो बाद में सेटिंग गेटिंग पर यथावत हो गई।
हालाकि,लोगों का आरोप है कि अब लिज का मामला रेल लैंड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जिम्मे हैं।मुख्य पथ से रामजी चौक तक लिज का विवाद कोर्ट में है।बावजूद,पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली हो रही है।रेल प्रशासन चुप है।
पूछने पर आइओडब्लू शैलेंद्र कुमार ने बताया कि अब रेल भूमि का लिज बंद है। यह मामला रेल अथॉरिटी ऑफ इंडिया देखती है।जहां तक रेल भूमि से अतिक्रमण हटाने का मामला है,इसके लिए बिहार प्रशासन से सहयोग लेना पड़ता है।दंडाधिकारी के नियुक्त होने के बाद अभियान चलाया जाता है।बल की कमी भी आड़े आती है।उन्होंने बताया कि वरीय अधिकारियों के आदेश पर कारवाई शुरू हुई है।
कहीं रेल डीएसपी की रिपोर्ट पर तो नही हुई करवाई?
पिछले दिनों रक्सौल रेलवे स्टेशन के पास और सिंचाई विभाग के दफ्तर के आगे हुंडी कारोबारी के कैरियर धीरज कुमार से चाकू और गोली मार कर मोटी रकम लूट ली गई। जब लूट हो रही थी,तो,धीरज चिल्लाता रहा,कोई मदद को आगे नही आया।रेल डीएसपी पंकज कुमार ने जब जांच की तो सामने आया कि फोल्डिंग दुकाने खुली थी।वाक्या देखा।न तो पुलिस को सूचना दी और ना ही मदद की।बाद में डीएसपी पंकज कुमार ने चाय समेत विभिन्न दुकान संचालकों को इकट्ठा कर परेड कराया और चेतावनी दी थी।इस बारे में उन्होंने दुकानों को हटाने और संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित की थी।इधर,इन फोल्डिंग दुकानों को हटाए जाने के बाद रेल रोड से आने जाने वाले यात्री और आम लोग असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।हादसे और लूट पाट का डर सताने लगा है।