*अपनो के घात से हुई वारदात?रेल पुलिस कर रही पीड़ित के होश में आने का इंतजार!
*पीड़ित के छाती से नही निकल सकी है गोली,शरीर पर है 14जख्म,आईसीयू में इलाज जारी!
रक्सौल।(vor desk )। रक्सौल स्टेशन से 500मीटर की दूरी पर बुधवार की सुबह साढ़े पांच बजे स्टेशन रोड में कथित रूप से ट्रेन पकड़ने जा रहे युवक को गोली और चाकू मार कर लूट पाट करने के मामले में रेल पुलिस एसपी डाo कुमार आशीष के निर्देश पर मुख्यालय -2 मुजफरपुर कैम्प बेतिया के रेल
रेल डीएसपी पंकज कुमार खुद यहां कैंप किए हुए हैं और वरीय अधिकारियों के निर्देश पर छापेमारी और जांच की मोनिटरिंग कर रहे हैं।
इधर,घटना का तार हुंडी और सटही कारोबार,नारकोटिक्स नेक्सस और भू माफियाओ से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े होने की चर्चा तेज है।
युवक की स्थिति गंभीर:गोली और चाकू से घायल पूर्वी चंपारण के ढाका के सोरपनिया निवासी कपिल देव प्रसाद के पुत्र धीरज कुमार (28) की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।छाती में लगी गोली नही निकल सकी है।इसके लिए ऑपरेशन की तैयारी है।हॉस्पिटल सूत्रों ने बताया कि गोली छाती में लगी है।इसके अलावा कोई 14जख्म है।पेट में चाकू गोद कर घुमा दिया गया है।ऐसे में हालत नाजुक बनी हुई है।हॉस्पिटल प्रबंधक पवन कुशवाहा ने मेडिकल टीम के हवाले से बताया कि मरीज आईसीयू में है।स्थिति में सुधार की प्रतीक्षा हो रही है।
मुश्किल से बची जिंदगी:अपराधियों ने पीछा करने के बाद घेर कर धीरज पर बुरी तरह हमला किया,जिसमे गंभीर जख्म आई। कहा जा रहा है कि परिचितों यानी अपनो के घात के कारण ही यह वारदात हुई।सूत्रों के मुताबिक,धीरज अपने पास के नोटों से भरे बैग को छिनने के क्रम में अपराधियों से भिड़ गया और गुत्थम गुत्था हुई।जिसमे बैग छीन गई,फिर भी धीरज ने हिम्मत नही हारी और अपनी जान बचाने के लिए स्टेशन की ओर भागता रहा और मदद के लिए चिल्लाता रहा ,फिर डिवाइडर पर गिर पड़ा।बाद में स्थानीय लोगों ने रेल पुलिस को सूचना दी।डंकन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां से उसे गंभीर स्थिति को देख रेफर कर दिया गया।
पुलिस ने की पूछ ताछ ,सुराग पर छापेमारी
एसआरपी हॉस्पिटल में रक्सौल और रेल पुलिस टीम ने अभय के होश आने पर बात की,जिसमे मिले इनपुट पर करवाई शुरू हुई। रेल डीएसपी पंकज कुमार ने बताया कि पीड़ित के स्थिति में सुधार होने में कुछ वक्त लगेगा।होश आने और ठीक होने पर बयान लिया जाएगा।तभी पूरा मामला सामने आएगा कि घटना का कारण क्या है।वारदात कैसे हुई।कुल कितनी रकम लूटी गई।इतनी रकम कहां से आई। कहां ले जाना था।इस दौरान रेल थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार,रेल सुरक्षा बल के इंस्पेक्टर ऋतु राज कश्यप और रक्सौल थानाध्यक्ष निरज कुमार भी उपस्थित रहे।मामले में बिहार और रेल पुलिस टीम आपसी समन्वय से कार्य कर रही है।मिले इनपुट पर कई संदिग्ध की सूची बनाई गई है,जो इस वारदात में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। रक्सौल शहर के मर्चा पट्टी में जिस आवासीय मकान में छापेमारी हुई,वहां,जांच और हिरासत में लेने के वक्त महिलाओ ने अड़ंगे डाले ,लेकिन,पुलिस टीम निर्भीक हो कर जांच में जुटी रही और वहां से कुल 15लाख रुपए बरामद की।नोट गिनने के मशीन भी बरामद हुए।
रकम को ले कर सवाल कायम:
रेल डीएसपी पंकज कुमार का कहना है कि मामले में 15लाख की लूट हुई थी।लूटी हुई रकम बरामद कर ली गई है।लेकिन,शहर में चर्चा और अटकलों का बाजार गर्म है।दबे जुबान से लूटी गई रकम काफी मोटी बताई जा रही है।यह भी चर्चा चल रही है कि यह रकम’ नोट कारोबार’से जुड़ा था।
सटही काउंटर बना चर्चा का केंद्र, क्या है कनेक्शन:
रेल पुलिस यह दावा कर रही है कि धीरज पटना से मोतिहारी आ रहा था।लेकिन,उसे नींद लग गई और गलती से रक्सौल आ गया है।फिर वह ट्रेन पकड़ने जा रहा था।इस बीच उसने एक व्यक्ति से मुलाकात की।।लेकिन,सवाल है की इतनी बड़ी रकम रखा व्यक्ति इतना लापरवाह कैसे हो सकता है?आखिर वह कौन व्यक्ति था,जिससे वह मिला था?क्या धीरज के साथ कोई और भी था?पुलिस ने यह खुलासा नही किया है कि लूटी गई रकम नेपाली थी या भारतीय।वहीं,यह भी सामने नही आया है कि बरामद रकम नेपाली है या भारतीय।
इसके अलावा बड़ी बात यह है कि घटना के बाद मुख्य पथ पर ‘रेल रेलिंग’में संचालित दर्जनों अवैध सटही काउंटर अचानक बंद कैसे हो गए। सटही संचालक भूमिगत क्यों हुए?यह स्थिति शक बढ़ाता है और उनकी संलिप्प्ता की ओर इंगित करता है।सूत्रों का दावा है की vor team की रिपोर्ट के बाद कुछ सटही काउंटर वाली चौकियों को हटाया भी गया।वहीं,सूत्रों ने बताया कि रेल पुलिस ने पहुंच कर विडियो ग्राफी कराई और इस बारे में पूछ ताछ भी की।जिसके बाद शटर वाली दुकानों के सटही कारोबारी ताला मार कर गायब हो गए।सूत्रों के मुताबिक,संदिग्ध छ्वी वाले सटही कारोबारियों की लिस्ट बनाई गई है और उनको निशाने पर रखा गया है।
क्या बरामद रकम लूटी हुई रकम है?हथियार कहा गई?
शहर के मरचा पट्टी से बरामद 15लाख की रकम क्या लूट की रकम है?यह सवाल कायम है।बताते हैं कि जो रकम बरामद हुई , वह भी कथित रूप से सटही कारोबार से जुड़े लोगों से बरामद हुई।वहां से नोट गिनने का कोई दो मशीन बरामद होना भी सवाल खड़े करता है कि क्या लुटेरा गिरोह को भी इसकी जरूरत है? यदि है तो समझा जा सकता है कि गिरोह कितना आधुनिक और संगठित था।इस घटना में पकड़े गए लोगों को भूमिका क्या थी,इसका खुलासा बाकी है।घटना में प्रयुक्त हथियार के बरामद होने की सूचना नही मिली है।हालाकि,दो लोगों को रेल पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद उन्हें छुड़ाने के लिए शहर के कई सफेदपोश और सटही कारोबार से जुड़े चेहरे रेल थाना परिसर के इर्द गिर्द जमे थे।रेल डीएसपी के कड़क मिजाजी के आगे उनकी एक नही चली।सूचना है कि हिरासत में ली गई दो महिलाओ को पूछ ताछ के बाद निर्देशों के साथ छोड़ दिया गया है।अटकल और चर्चा यह है कि बरामद रकम काफी ज्यादा थी।लूट के वारदात में शामिल सभी लोग अभी नही पकड़े गए हैं,तो क्या और रकम उन अपराधियों पास है?या फिर यह रकम लूट की है ही नही ?क्या यह कारोबार से जुड़ी रकम है?लूट की रकम कितनी थी और कहा गई,पूरी तरह इसका खुलासा होना बाकी है। रेल एसपी डा o कुमार आशीष का कहना है कि दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है।लूटी गई पंद्रह लाख रुपए बरामद हुए हैं। मुख्य अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।ऐसे में सवाल कायम है कि आखिर मुख्य अपराधी कौन हैं?क्या यह संगठित गिरोह है।जिसका खुलासा पुलिस ब्रीफिंग में ही संभव है।