● प्लास्टिक के कैरी बैग की जगह कपड़े या जूट के थैलों का प्रयोग करने की अपील
रक्सौल।( vor desk )।स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. स्वयंभू शलभ ने आज रक्सौल नगरवासियों से प्लास्टिक मुक्त रक्सौल बनाने की दिशा में साथ मिलकर आगे बढ़ने की अपील की। अपनी अपील में डॉ. शलभ ने कहा कि आज 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक की कुल 19 वस्तुओं पर यह प्रतिबंध लगाया गया है जिनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, केटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली पन्नी, निमंत्रण कार्ड पर लगाई जाने वाली पन्नी, सिगरेट के पैकेट पर लगाई जाने वाली पन्नी, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे और आइसक्रीम में लगाई जानेवाली स्टिक, इयरबड्स, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम पीवीसी व प्लास्टिक बैनर शामिल हैं। जूस, शेक, कोल्ड ड्रिंक या अन्य ठंडे पेय पदार्थों के लिए जहाँ प्लास्टिक के स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जाता है अब कागज के बने स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना होगा।
इन प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है। वहीं औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान है।
सरकार द्वारा लगाई गई इन पाबंदियों को कारगर तरीके से लागू करने और शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता जरूरी है। डॉ. शलभ ने लोगों से आग्रह किया कि प्लास्टिक के कैरी बैग की जगह कपड़े या जूट के थैलों का प्रयोग करने की आदत डालें। कहीं भी जाते समय कपड़े या जूट का थैला साथ रखें। इसके कई फायदे हैं। यह भारी वजन उठाने में सक्षम होने के साथ साथ आसानी से रिसाइकिल हो जाता है, लंबे समय तक चलता है और पर्यावरण हितैषी होता है।
शादी विवाह जैसे समारोह में अधिकतर प्लास्टिक प्लेट, गिलास और कप का इस्तेमाल किया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। हमें फिर से मिट्टी और धातु के बर्तनों की ओर लौटना होगा। चाय के लिए कुल्हड़ सबसे अच्छा विकल्प है। यह न केवल चाय का स्वाद बढ़ा देता है बल्कि मिट्टी से निर्मित होने के कारण आसानी से मिट्टी में मिल जाता है।
बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक न तो आसानी से नष्ट होता है न ही रिसाइकिल होता है। इसके नैनो कण घुल कर पानी और भूमि को प्रदूषित करते हैं। इससे भूमि बंजर होती है। यह जलीय जीवों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं साथ ही नाले के जाम होने का भी मुख्य कारण हैं। शहरों में जलजमाव का भी एक मुख्य कारण सिंगल यूज प्लास्टिक है।
डॉ. शलभ ने जोर देते हुए कहा कि यह समय की मांग है कि प्लास्टिक मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में साथ मिलकर आगे बढ़ा जाय ताकि पर्यावरण के साथ साथ जीव जंतुओं के अस्तित्व को भी बचाया जा सके। प्लास्टिक के इस्तेमाल ने हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। डॉ. शलभ ने उम्मीद जताई कि जिन आइटम को बैन किया जा रहा है उनका विकल्प भी जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा।