Tuesday, November 26

गेटवे ऑफ नेपाल ‘यानी रक्सौल सीमा पर अंतराष्ट्रीय द्वार निर्माण का सपना अधूरा,अहिंसा द्वार’ बनाने की उठ रही मांग!

*अगर बनेगा ‘अहिंसा द्वार’,तो,देश दुनिया को देगा सत्य,अहिंसा,मैत्री का संदेश

-बिहार के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद का भी विधायक प्रमोद सिन्हा ने कराया था ध्यानाकर्षण

-रक्सौल सीमा पर हाई मास्ट फ्लैग लगाने की योजना भी अधर में

रक्सौल।(vor desk )।गेटवे ऑफ नेपाल के रूप में विख्यात रक्सौल बॉर्डर पर अंतर्राष्ट्रीय द्वार बनाने की मांग बर्षो से कार्यान्वन की बाट जोह रहा है।यहां लम्बे समय से ‘अहिंसा द्वार’ अथवा गांधी द्वार बनाने की मांग उठती रही है।

इस बाबत मांग है कि द्वार के ऊपर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाई जाए।साथ ही भगवान बुद्ध व महावीर की प्रतिमा भी स्थापित की जाए।इसका डिजाइन देश के किसी नामचीन आर्टीकेट के द्वारा बनवाया जाए।ताकि,यह अद्वितीय व उदाहरणीय हो सके।

मैत्री पुल के पास द्वार बनाने की मांग:अहिंसा द्वार को रक्सौल-बीरगंज सड़क के मैत्री पुल के समीप भारतीय क्षेत्र में बनाने की मांग उठती रही है।इसके लिए स्थल चयन के लिए पहल जरूरी है।

मिलेगी शहर को पहचान: यदि यह द्वार बना तो नेपाल से आने जाने वाले पर्यटकों व नागरिको के लिए यह द्वार दर्शनीय होगा।साथ ही यह पता लग सकेगा की यह द्वारा भारत का प्रवेश व निकासी मार्ग है।

सन्देश:भारत व नेपाल शांति व अहिंसा के पथ प्रदर्शक रहे हैं।इस ‘अहिंसा द्वार’ से शांति-मैत्री व अहिंसा का संदेश देने की कोशिश होगी।यह विदेशी पर्यटकों के लिए भी प्रेरणादायक व दर्शनीय होगा।

शिलान्यास के बावजूद योजना अधूरी:वर्ष 2004 में सांसद सह केंद्रीय राज्य मंत्री स्व0 रघुनाथ झा ने कस्टम कार्यालय के आगे पुल के पास गांधी द्वार का शिलान्यास किया था।उससे पहले सांसद स्व0 डॉ मदन जायसवाल ने भी ग्लो साइन बोर्ड युक्त गेट वनाने की घोषणा की थी।बीते वर्षों में केंद्रीय पर्यटन विभाग व राज्य पर्यटन विभाग की टीम ने यहां दौरा कर फाइल आगे बढ़ाई।विधायक प्रमोद सिन्हा ने भी अहिंसा द्वार बनाने की पहल के संकेत दिए।लेकिन,यहाँ द्वार बनाने का सपना अब तक अधूरा ही है।

महत्व :चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समय से ही गांधी स्मृति द्वार बनाने की मांग उठती रही है।बता दें कि महात्मा गांधी रक्सौल में दो बार आये थे।जानकारों व दस्तवेजो के मुताबिक, 9 दिसंबर 1920 एवं 24 जनवरी 1927 की, दो यात्राओं को उल्लेख किया जाता रहा है।बावजूद सरकार इस दिशा में कोई सकरात्मक कदम नही उठा सकी है।केंद्रीय भूतल,सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी पत्राचार के बाद संकेत दिए थे कि गांधी स्मृति द्वार बनेगा,लेकिन कोई प्रगति नही हुई।

नेपाल सीमा पर है शंकराचार्य गेट:नेपाल के प्रमुह प्रवेश द्वार बीरगंज के प्रवेश द्वार पर शकंराचार्य द्वारा है।जिसे नेपाल गेट भी कहा जाता है।जिसे भारतीय नागरिक समेत पर्यटक भी देखने पहुंचते हैं।और वहां बने सेल्फी पॉइंट पर सेल्फी लेना नही भूलते।मीडिया फ़ॉर बॉर्डर हार्मोनी के केंद्रीय सदस्य मुनेश राम ,राजेश केशरीवाल ,लव कुमार,राकेश कुमार आदि के मुताबिक,अपने देश के प्रवेश द्वार पर गेट की कमी खलती है।उनका कहना है कि इसके लिए संस्था समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा
केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!