काठमांडू/रक्सौल।( vor desk)। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व नेपाल के प्रधान मंत्री केपी ओली 10 सितम्बर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भारत-नेपाल सीमा पार पेट्रोलियम पाइपलाइन का उद्घाटन करेंगे। यह जानकारी बीरगंज स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने दी है।
इसकी पुष्टि करते हुए नेपाल के उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 10 सितम्बर को औपचारिक उद्घाटन का कार्यक्रम निर्धारित है।दोनों देशों के कार्यकारी प्रमुखों द्वारा एक स्विच दबाकर किया जाएगा जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नेपाल के प्रधानमंत्री के कार्यालय सिंह दरबार से जुड़ा होगा और एक भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय से जुड़ा होगा।इस उद्घाटन के बाद अमलेखगंज स्थित नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन डिपो और मोतिहारी स्थित इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के डिपो इस पाइपलाइन से विधिवत जुड़ जाएंगे।और इस प्रोजेक्ट के सुचारू होने से निर्बाध आपूर्ति बहाल हो जाएगी।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के कार्यकारी प्रमुख 10 सितम्बर को उस वाल्व के स्विच को दबाएंगे जो पेट्रोलियम पाइपलाइन के वाल्व को खोलेगा। इस दौरान दोनों देशों के उच्च स्तरीय सरकारी गणमाण्य के व्यक्ति मौजूद रहेंगे।
एनओसी और आईओसी ने पिछले महीने 2 लाख लीटर डीजल सप्लाई परीक्षण के जरिये मोतिहारी-अमलेखगंज परियोजना का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। आइओसी ने मोतिहारी में स्थित अपने डिपो से परीक्षण के तौर पर अमलेखगंज स्थित डिपो में डीजल सप्लाई किया था।
उल्लेखनीय है कि 10 सितम्बर को परियोजना के उद्घाटन के बाद शेष डीजल को उतारकर क्रॉस-बॉर्डर प्रोजेक्ट का वाणिज्यिक संचालन को मूर्तरूप दिया जाएगा।
कितनी लागत:
भारत और नेपाल ने 325 करोड़ रुपये की लागत वाली मोतिहारी-अमलेखगंज तेल पाइपलाइन का संचालन मंगलवार से शुरू हो जाएगा।
अमलेखगंज व सेमरा की दूरी करीब 80 किलोमीटर है।पाइप लाइन की लम्बाई कम है। कुल 69 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन परियोजना का सबसे पहले 1996 में प्रस्ताव किया गया। हालांकि, परियोजना को वास्तविक रूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में हुई काठमांडू यात्रा के बाद मिला।जबकि, इसका भुमि पूजन भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 29 सितम्बर 2018 को अमलेखगंज में किया था।तब नेपाल के आपूर्ति व वाणिज्य मंत्री मातृका यादव भी मौजूद थे।उस समय निर्माण का लक्ष्य 30 माह रखा गया था।लेकिन,यह प्रोजेक्ट एक साल में ही पूरा कर लिया गया।इसके संचालन से वार्षिक 2 अरब रुपये की ढुलाई व अन्य खर्च राशि बचत का अनुमान है।जबकि ,रक्सौल के आईओसी डिपो को भी हटा दिया जाएगा।जिससे एक ओर जहां असुरक्षा की भावना खत्म होगी।वहीं,सड़क पर टैंकर का दवाब व जाम से मुक्ति मिल सकेगी।
बता दे कि परियोजना का उद्घाटन दोनों देशों के प्रधानमंत्री नेपाल से ही करने वाले थे।लेकिन,अपरिहार्य कारण वश पीएम का नेपाल दौरा फिलहाल टल गया।इसी कारण यह उद्घाटन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होगा।