रक्सौल।(vor desk )।रक्सौल बाईपास रोड ‘शव ‘ठिकाने लगाने की जगह बन गई है।विगत महीने पूर्व एक महिला का शव बाईपास रोड स्थित पावरग्रिड के पास एक खंडहर नुमा मकान से बरामद हुआ था।मामले की फाइल दब गई,महिला की शिनाख्त भी नही हो सकी,न्याय की बात तो दूर है!
इस तरह की घटनाओं की कमी नही।वारदातें थम नही रही।महिलाओं पर जुल्म के विरुद्ध इंसाफ दम तोड़ती दिखती है।
ताजा मामला फिर आइसीपी बाईपास सड़क से जुड़ी हुई है। कौड़िहार चौक से आगे बाईपास को जोड़ने के लिए बने लोहा पुल के नीचे चौकाऊ वाक्या सामने आया है।क्योंकि,इस बार शव नही एक हाथ मिला है।
यह हाथ महिला का है।नाखून पर नेल पॉलिश है।हाथ जला हुआ प्रतीत होता है।यह कहना गलत नही होगा कि शरीर के अंगों को ‘कुटी -कुटी ‘काट कर फेंका गया।उसी में बेदर्दी और अमानवीय हत्या की शिकार हुई महिला का हाथ यहां फेंका पाया गया,जिसका एक ही मकसद हो सकता है ,शव को टुकड़े टुकड़े में ठिकाने लगाना।
उस पर भी गजब यह है कि यह हाथ एक दो रोज से फेंका हुआ है और क्षेत्र में चर्चा का विषय है।
नहर में पानी की बजाय कीचड़ में यह हाथ पड़ा हुआ है।और चीख चीख कर इंसाफ मांग रही है।इशारा कर रही है,मुझे देखो।कातिल को पकड़ो…!
हो सकता है कि नहर के पानी के बहाव में यह हाथ रक्सौल पहुंचा हो।या यह भी सम्भव है कि टुकड़ो में इसे यहां फेंका गया हो,और भी अंग आस पास ही हो।इससे भी इंकार नही किया जा सकता कि यह हाथ किसी श्मशान से जानवर ले आये हो,लेकिन,ऐसा शायद सम्भव नही दीखता,क्योंकि,शव जलने के बाद हो लोग वापस होते हैं।
लेकिन,नियति यह है कि कोई जानवर या जलचर भी इसे नही छुआ।पुलिस ने भी नहीं!
सूत्रों व प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि सोमवार की शाम सूचना पर रक्सौल पुलिस का दल घटनास्थल पर गया,जहां हाथ फेंका है।लेकिन, शव की जगह हाथ फेंके जाने की वजह से टीम पल्ला झाड़ कर लफड़ा मोल लेने से बचते हुए बैरंग लौट आई।
मौके पर उपस्थित स्वच्छ रक्सौल संस्था के रणजीत सिंह ने vor team को बताया कि यह हाथ फेंका हुआ है,जो कीचड़ में है।उन्होंने स्वीकार किया कि सोमवार की शाम पुलिस टीम गई थी,लेकिन,देख कर वापस लौट गई।उन्होंने पूर्वी चंपारण के एसपी डॉ कुमार आशिष से मांग किया कि इस सनसनी खेज मामले की स्वयं जांच कर क्रूरता से महिला की हत्या करने वाले कातिलों को फांसी के तख्त पर पहुंचाए।