रक्सौल।(vor desk )।किसी भी शहर के सौंदर्यीकरण में वहाँ की मुख्य सड़क और मुख्य नाले की गुणवत्ता का खास महत्व होता है। रक्सौल मुख्य मार्ग पर निर्माणाधीन सड़क और नाले के संदर्भ में नगर परिषद स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर डॉ. स्वयंभू शलभ ने कुछ विंदुओं को डीएम मोतिहारी, एसडीएम व कार्यपालक पदाधिकारी रक्सौल के संज्ञान में देते हुए इनकी गुणवत्ता की जांच तकनीकी टीम के द्वारा कराए जाने की मांग की है।
डॉ. शलभ ने अपने पत्र में बताया है कि मुख्यमार्ग के किनारे निर्माण किये जा रहे नाले की ऊँचाई सड़क से दो फीट तक होने के कारण लोगों को अपने घर या दुकान से सड़क पर चढ़ना उतरना मुश्किल हो रहा है। मुख्य सड़क से जहाँ जहाँ गली निकलती है वहां की स्थिति और ज्यादा बिगड़ गई है। बाइक या गाड़ी को गली या घर से सड़क पर निकालना कठिन हो गया है। नाले की असामान्य ऊँचाई के कारण नाले और सड़क के बीच रैंप बनाना होगा जो सड़क पर ठोकर बनेगा जिससे सड़क की चौड़ाई भी कम हो जाएगी और दुर्घटना की आशंका भी बनी रहेगी। ऐसा ही रैंप लोगों को अपने घर या दुकान की तरफ भी बनाना होगा जिनके मकान या रास्ते का लेवल नाले से नीचे है। नाले का ऐसा डिजाइन तकनीकी दृष्टि से ठीक नहीं है।
डॉ. शलभ ने आगे लिखा है कि बरसात के दिनों में जितना पानी मुख्य सड़क पर जमा होता है और सड़क किनारे बसे लोगों के घरों का जितना पानी रोज निकलता है उसके अनुरूप नाले का डायमेंशन पर्याप्त है या नहीं और नाले की लेवलिंग ठीक से की जा रही है या नहीं, इस पर ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। यदि नाले की गहराई और लेवलिंग सही नहीं होगी तो जल निकासी की समस्या यथावत बनी रहेगी। अभी जिस तरह नाले के बेसमेंट की कास्टिंग की जा रही है उससे लेवलिंग सही हो पायेगी इसमें संदेह है। लेवलिंग के साधन के बगैर कई बार रात में बिना लाइट के भी कास्टिंग का काम किया जाता रहा है। नाले के ऊपर क्युरिंग भी ठीक से नहीं की जा रही। अभी तक के निर्मित नाले को सीधा और ऊपरी सतह के लेवल को बराबर नहीं रखा जा सका है। नाले के सभी ढक्कन पर रिंग दिया जाना भी जरूरी है अन्यथा सफाई के समय इसके ढक्कन को हटाने में भी मुसीबत होगी।
आगे बताया है कि इस सड़क को पीक्यूसी बनना है जिसमें प्रत्येक 4.5 मीटर पर डोवेल बार देना होता है जो यहाँ कई जगहों पर नहीं दिया गया है। पीक्यूसी की कास्टिंग के बाद कम से कम 14 दिन क्युरिंग होना चाहिए था जिसकी भी कमी रही। सड़क निर्माण में डीएलसी की तकनीकी गुणवत्ता और उसकी मोटाई महत्वपूर्ण होती है। यहां जीएसबी और डीएलसी का कार्य भी मानक के अनुरूप नहीं दिखा। सड़क की लेवलिंग में भी कई जगहों पर गड़बड़ी है। इन विंदुओं की जांच डीपीआर के डिटेल्स के आलोक में किया जाना जरूरी है।
आगे बताया कि डिवाइडर के एलाइनमेंट पर ध्यान देना जरूरी है ताकि सड़क के बीच का हिस्सा सीधा और सुंदर दिखे। अभी बाटा चौक के पास लगाए गए डिवाइडर का आकार प्रकार समान नहीं है। सड़क के एक साइड से दूसरे साइड में क्रॉस करने के लिए प्रमुख स्थलों पर डिवाइडर को हटाकर खाली स्पेस छोड़ना जरूरी है। उस खाली स्पेस की लंबाई भी पूरे शहर में हर जगह बराबर रखना जरूरी है।