रक्सौल।( vor desk )।मस्तिष्क ज्वर अथवा दिमागी बुखार के संक्रमण को रोकने के लिए रक्सौल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सह अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एस के सिंह की अध्यक्षता में सघन जागरूकता अभियान चलाया गया।जिसमें नगर परिषद के वार्ड संख्या-24 में चौपाल लगा कर दिमागी बुखार के लक्षण, बचाव, प्राथमिक इलाज एवं सरकारी सुविधाओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई।
बताया गया कि एईएस व जेई एवं चमकी बुखार एक घातक बीमारी है।जो 6 माह से 15वर्ष के बच्चों को चपेट में लेती है।बच्चों को तेज धूप में न निकलने दें।साफ़ सफाई का ध्यान रखें।रात में भूखे पेट न सोने दें।लक्षण दिखते ही अस्पताल पहुंचाए, नही तो जान जाने का खतरा हो सकता है।
बता दे कि विगत 4 अप्रैल को नगर परिषद रक्सौल के वार्ड संख्या-24 के अस्थायी निवासी प्रोफेसर सैफुल्लाह के 6माह के पुत्र जमील को दस्त और उल्टियाँ आने लगी जिसे स्थानीय चिकित्सक से ईलाज कराया गया था। परन्तु स्वास्थ्य में अधिक बिगाड़ होने के कारण विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से ईलाज कराने के उपरांत एस के एम सी एच (मुजफ्फरपुर) में भर्ती कराया गया जहाँ दिमागी बुखार के आधार पर ईलाज जारी है।
इसी कारण सतर्कता -जागरूकता के उद्देश्य से उक्त वार्ड में गली गली घूम कर लोगों के बीच पम्पलेट, ओ आर एस एवं पेरासिटामोल की दवा भी बांटी गई तथा जागरूकता अभियान चलाया गया।
चौपाल में डॉ एस के सिंह एवं डॉ मुराद आलम के द्वारा दिमागी बुखार के विषयान्तर्गत विस्तृत रूप से चर्चा किया।बताया गया कि लक्षण दिखते ही बच्चे को अविलंब अस्पताल पहुंचाएं,ताकि ससमय इलाज शुरू हो सके।अस्पताल में निशुल्क,इलाज, दवा व एम्बुलेंस की व्यवस्था है। चौपाल में बी एच एम आशीष कुमार,यूनिसेफ के बी एम सी अनिल कुमार,फार्मासिस्ट अली इरफ़ान, ए एन एम वंदना कुमारी,पर्यवेक्षक राजेश,धुरेन्दर पासवान, सेविका कुमारी पुष्पा रानी, सुमित्रा देवी, पूनम ठाकुर, जीविका कुमारी प्रियात्मा,मुन्ना इत्यादि उपस्थित रहे।