Monday, November 25

यूक्रेन से नेपाल के रास्ते स्वदेश पहुंचे रूपेश,कहा-परमाणु हमले की आशंका से डरे हुए हैं भारतीय छात्र!

  • काठमांडु में कोरेन्टीन रहने के बाद पूर्वी चंपारण के रूपेश पहुंचे रक्सौल इमिग्रेशन,सुनाया दर्द
  • भारतीय छात्र की गोली मार कर हत्या से गमजदा रूपेश ने मित्रों के वतन वापसी के लिए अविलंब पहल की मांग की


रक्सौल (vor desk)। युद्ध ग्रस्त देश यूक्रेन से दहशत के माहौल में छात्रों का जत्था नेपाल के रास्ते से भारतीय सीमा क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। उनके चेहरे पर युद्ध ग्रस्त देश यूक्रेन के भयावह हालात के दृश्य साफ देखे जा सकते हैं ।एक ऐसा ही छात्र नेपाल के काठमांडू से रक्सौल इमीग्रेशन ऑफिस पहुंचा ।उसने युद्ध के बनते हालात के तुरंत बाद यूक्रेन से अपने निजी खर्च पर जैसे तैसे नेपाल के काठमांडू पहुंचा। वहां फ्लाइट से उतरते ही उसे क्वॉरेंटाइन कर दिया गया। क्वॉरेंटाइन से निकलने के बाद वह मंगलवार को रक्सौल इमीग्रेशन ऑफिस पहुंचा।जहां उसने इन्ट्री कराई है और अपने देश मे प्रवेश करते हुए अपने घर का रुख कर रहे हैं। उक्त वाक्य को साझा करते हुए पूर्वी चंपारण जिले के पहाड़पुर थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर करारिया गांव निवासी रूपेश कुमार ने बताया कि वह यूक्रेन के बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई करता है। वह तृतीय वर्ष का छात्र है। इनका ‘कॉक’ का अनिवार्य एग्जाम भी जून में होने वाला था। किंतु यूक्रेन में बिगड़ते हालात के बाद उन्हें माता-पिता के दबाव पर वापस अपने वतन लौटना पड़ा ।वह तो युद्ध शुरू होने से पहले ही फ्लाइट पकड़ चुका था लेकिन जैसे ही काठमांडू पहुंचा और अपने दोस्तों से संपर्क किया,तो, सबों के हालात बद से बदतर सुना । दोस्तों ने बताया कि अब उन्हें वतन वापसी के लिए काफी मशक्कत करने पड़ रहे हैं ।जितने संख्या में छात्र वहां फंसे हुए हैं ।उतनी संख्या में भारतीय सरकार फ्लाइट की व्यवस्था नहीं कर पा रही है और यूक्रेन के पड़ोसी देश भी भारतीय छात्रों को सहयोग करते नहीं दिखाई दे रहा है। यह हालात उसे भी गम जादा कर दिया है। रूपेश ने बताया कि जिन दोस्तों के साथ हंसना खेलना किया करता था, उनके आंसू व पीड़ा के साथ खौफ भरा आवाज मुझे भी रोने को विवश कर रहे हैं। यूक्रेन के राजधानी कीव शहर पर रूसी सेना के हथियार बरस रहे हैं स्थिति काफी भयावह हो गई है ।छात्रों का भागम भाग शुरू है ।कुछ मित्र छात्र तो वतन वापसी के लिए पोलैंड भी पहुंचे ।लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ मेडिको के लिए लौटना पड़ा। वहां पहुंचने पर भी बॉर्डर से उन्हें इन्ट्री नहीं मिली ।उसके बाद भी पोलैंड पहुंचे हैं। अब देखना है उन्हें वापसी के लिए क्या किया मशक्कत खेलने पड़ते हैं ।रोमानिया बॉर्डर पर भी साथी फंसे हैं।वहां स्नो फॉल हो रहा।कोई मदद नही मिल रही।छात्र की स्थिति देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसकी आंखों से कब आंसू छलक पड़ेंगे। सजल नेत्र से अपने मित्रों को तलाश रहा था। जिन्हें वह यूक्रेन में छोड़ कर स्वदेश चल पड़ा था। माता-पिता का दबाव अगर नहीं होता तो वह अपने मित्रों को उसके हालात पर छोड़कर वतन वापसी नहीं करता।

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और देखे वीडियो

पूछे जाने पर उसने बताया कि काश! हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था सस्ती और सुलभ होतीतो उन्हें वतन छोड़ दूसरे देशों में महज एमबीबीएस करने नहीं जाने पडते, क्योंकि हमारा देश कभी दुनिया के लिए भी विश्व गुरु माना जाता था और दुनिया की उम्दा यूनिवर्सिटी नालंदा ,विक्रमशिला, तक्षशिला भारत में विद्यमान थी। जहां पढ़ने के लिए फाहियान जैसे विदेशी पर्यटक भी आते थे। उस देश के छात्रों को मजबूरी में एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण करने के लिए 5 साल की बजाज 6 साल का समय यूक्रेन में देना पड़ता है। अगर भारतीय शिक्षा पद्धति सर्व सुलभ होती तो हमारे देश के नौजवानों को अपना जान जोखिम में डालकर यूक्रेन जैसे देशों में पढ़ने की बेबसी नहीं होती। उसने सजल नेत्रों से बोलते ही फफक पड़ा और कहा कि सूचना मिली है कि एक भारतीय छात्र रूसी सैनिकों की गोली से मारा गया है। तब से मैं दहशत में हूँ।मन करता है दिन भर रोता रहूं ।अब तो छात्र बता रहे हैं कि उन्हें परमाणु बम हमले की आशंका रात भर सोने नहीं दे रही है कि कैसे हम बाहर निकले ।इसके लिए हर जुगाड़ आजमाने को तैयार हैं। लेकिन मौका मिलना इतना आसान नहीं है ।फ्लाइट के भाड़े भी 100 गुना 5 गुना बढ़ गए हैं ।इस पर हमारी सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही हैं ।सरकारी खर्च पर वतन वापसी के लिए बहुत कम सुविधा प्राप्त है। अभी भी 15000 छात्र यू कैन में फंसे हुए हैं। लेकिन महज 12 फ्लाइट है। सरकारी स्तर से उन्हें वापस लाने में अक्षम है ।उसके मित्र रेहान ने मोबाइल पर बताया कि मंगलवार को भारतीय दूतावास के द्वारा एडवाइजरी जारी कर यह कहा गया है कि हर हालत में आज से यूक्रेन छोड़ दें क्योंकि यूक्रेन के हालात काफी बिगड़ चुके हैं सबसे महाराष्ट्र के तनवीर अवर वैष्णवी ने रोमानिया बॉर्डर से कहा कि हमें किसी हाल में वतन वापसी के लिए लगातार मशक्कत करने पड़ रहे हैं अब देखें कामयाबी मिलती है या नहीं।इधर,इमिग्रेशन के अधिकारी रणधीर कुमार व संजीव सिंह समेत अन्य ने ढाढस बंधाया है।उसने बताया कि वह अगस्त 2021 में मुंबई से यूक्रेन के इहर्निवस्ती गया था।वहां ऑन लाइन स्टडी की इजाजत मिली है,लेकिन,जून में ऑफ लाइन एक्जाम देना अनिवार्य है,ऐसे में चिंता बनी हुई है कि आगे क्या होगा।इधर,तीन भाई व एक बहन के बीच मझले भाई रूपेश के रक्सौल पहुँचने पर माता लीलावती देवी व पिता मदन मोहन प्रसाद ने चैन की सांस ली है।खुशी के आंसू छलक पड़े।पिता नेपाल के एक कोल्ड स्टोर में कार्यरत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!