रक्सौल।(vor desk)।यूक्रेन से निकलने की कोशिश में भारतीय छात्रों की बड़ी जमात पोलैंड और रोमानिया के बॉर्डर पर फंसे हुए हैं।उसमें रक्सौल समेत पूर्वी चंपारण के दर्जनों छात्र शामिल हैं,जो,मुश्किल हालातों से जूझ रहे हैं।करीब 4डिग्री ठंड और ऊपर से बॉर्डर बन्द होने से इनकी स्थिति सांप -छूछुंदर वाली हो गई है।इसमे रामगढ़वा थाना क्षेत्र के चड़वा गावँ निवासी व रघुनाथपुर हाई स्कूल के शिक्षक महमद जियाउदिन उर्फ जेया के इकलौते पुत्र महम्मद शाहिद जेया भी शामिल हैं।
जो अपने मौसेरा भाई अमानुल्लाह व रक्सौल के मित्र मनीष कुमार सिंह समेत बिहार,यूपी आदि राज्यो के डेढ़ सौ छात्रों के साथ रोमानिया बॉर्डर से लगे यूक्रेन के सीमाइ इलाके में फंसे हुए हैं।ये सभी यूक्रेन के टरनो फील स्थित नेशनल टरनोफिल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के छात्र हैं।सुगौली के घोड़ा मान सिंघा निवासी अमानुल्लाह तो जनवरी में ही प्रथम ईयर में एडमिशन लिए हैं।जबकि, दोनों थर्ड ईयर में हैं।यूक्रेन -रूस वार छिड़ने के बाद किसी तरह वे रोमानिया बोर्डर से लगे यूक्रेन के दक्षिणी पश्चिमी सीमा क्षेत्र पहुंचे हैं।वे अपने 26 साथियों के साथ एक बस को चार गुनी कीमत पर रिजर्व कर डेढ़ सौ किलो मिटर का सफर तय कर वहां शनिवार को ढाई बजे चल कर रात 9 बजे किसी तरह पहुंचे।बॉर्डर नही खुलने से वे फंस गए।इंतजार की घड़ियां खत्म नही हो रही। उनका कहना है कि वहां कोई सहायता नही मिल रही।कैम्प भी नही है।बिस्किट खत्म होने को है।खाने पीने का सब कुछ खत्म है।एटीएम से पैसे निकालने की स्थिति नही है।समान भी नही मिल रहा।वहां बॉर्डर पर करीब 18 हजार से ज्यादा की भीड़ जुटी हुई है,जो,जल्द से जल्द रोमानिया पहुँचना चाहते हैं।वहां भारत सरकार की मदद नही मिलने से वे न घर के हैं।न घाट के।इससे वे खौफ और मुश्किलों में हैं कि अब आगे क्या होगा।महम्मद शाहीद के पिता जेया सर व अम्मी जहां आरा गम में भूखे प्यासे हैं ।उनका कहना है कि भारत सरकार ने दावा किया है कि रोमानिया ,पोलैंड व स्लोभकिया बॉर्डर पहुंचे।वहां से दो फ्लाइट में 219 व 250 यानी करीब 500 लोगो को एयर इंडिया की फ्लाइट से लाया गया है।लेकिन,धरातल पर वहां फंसे भारतीय छात्रों को भारतीय दुतावास व विदेश मंत्रालय की कोई मदद नही मिल रही।उन्होंने बताया की रविवार की 2 बजे बेटे से बात हुई है।लेकिन,बॉर्डर खुलने की कोई उम्मीद नही दिख रही है।इससे मायूसी है।उनकी अपील है कि भारत सरकार भारतीयों छात्रों को सुरक्षित निकालने की पहल करे।