रक्सौल नगर परिषद के पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी समेत आरोपी जन प्रतिनिधियों की अग्रिम जमानत अर्जी हुआ ख़ारिज!
रक्सौल।( vor desk )।रक्सौल नगर परिषद के बहुचर्चित बूचड़खाना जमीन ख़रीदगी मे करोडों के घोटाला और संचिका गायब करने के मामले में जिला अदालत ने आरोपी अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों की जमानत अर्जी रद्द कर दी है।इससे एक ओर राहत की उम्मीद लगाए बैठे आरोपियों को मायूसी हाथ लगी है,वहीं,राजनीतिक हल्के में हलचल तेज हो गई है।विश्लेषकों का मानना है कि जिला अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका रद्द करने के बाद आरोपियों को उच्च न्यायालय का दरवाजा खट खटाने के सिवा कोई चारा नही है।वहीं,कानून विदों का कहना है कि इस मामले में आरोपियों को जेल गए बिना जमानत जमानत सम्भव नही दिखता,यदि उच्च न्यायालय ने राहत नहीं दी तो!
इधर,डीएसपी ने भी कांड का पर्यवेक्षण शुरू कर दिया है।कहा जा रहा है कि अग्रिम जमानत अर्जी रद्द होने के बाद पुलिस का ‘एक्शन ‘तेज हो सकता है।ऐसे में फरार चल रहे अधिकारियो-पार्षदों की मुसीबत बढ़ सकती है।
बता दे कि करोडो के बूचड़खाना की जमीन खरीद घोटाला की उच्च स्तरीय जांच के बाद जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक के आदेश पर रक्सौल थाना कांड संख्या 469/21 में 10 लोक सेवको पर दफा 409 समेत अन्य धाराओं के तहत दर्ज हुवा था।जिसमें जिला जज के न्यायालय में ABP3563/21 के माध्यम से रक्सौल नप के पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनंद व ABP 43/22 से वार्ड पार्षद प्रेमचंद्र प्रसाद की अग्रिम जमानत पहले ही रद्द हो गई थी।इसके बाद शनिवार को सुनवाई करते हुए माननीय जिला जज सियाराम सिंह यादव के न्यायालय में 3698/21 नगर परिषद के बड़ा बाबू सह लेखपाल चन्द्र शेखर सिंह,3682/21 सहायक मृत्युंजय मृणाल समेत 3696/21 तत्कालीन नगर परिषद उपसभापति काशी नाथ प्रसाद,3724/21 वर्तमान नगर परिषद उपसभापति रोहिणी साह, 3697 /21 राज किशोर प्रसाद,3723/21 गायत्री देवी की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कर दी।इस जमानत अर्जी के रद्द होने से आरोपियों को झटका लगा है।
बता दे कि इस मामले में प्रोटेस्ट दाखिल कर जमानत का विरोध कर रही पूर्व नगर पार्षद शबनम आरा के मुताबिक,सरकारी पीपी दिग्विजय नारायण सिन्हा के अलावे हमारे विद्वान अधिवक्ता अब्दुल गनी के जोरदार बहस व पक्ष को सुनने के बाद जिला जज महोदय ने उक्त जमानत अर्जी को ख़ारिज कर दिया।आरोपियो की ओर से अधिवक्ता पपु दुबे ने पक्ष रखा।उनके मुताबिक,हमने हाईकोर्ट में हमने कैविएट दाखिल किया है।वहां भी हम विरोध करेंगे,ताकि,जमानत न मिले।
बता दे की इस मामले पर शहर की नजर थी। अब चर्चाओं और अटकलों का दौर जारी है की अब उक्त कांड के सभी अभियुक्तों की आगे की रणनीति क्या होगी।