-गावँ छोड़ दिल्ली कमाने गए तीन बेटों ने मां-बाप को रखा था अलग कमरे में,मौत के बाद गांव में शोक के बीच चर्चा परिचर्चा तेज
-आदापुर के कलवारी दुबहा के निवासी थे दम्पति,बेटों के दिल्ली।रहने के वजह से घर मे लगा है ताला
रक्सौल/आदापुर।(vor desk )।ठीक ही कहा गया है कि एक माँ-बाप विषम परिस्थितियों में भी अपने कई-कई औलादों को पाल-पोष के बड़ा कर देते हैं तथा अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें ख़ुद के पैरों पर खड़ा होने के लायक़ बना देते हैं लेकिन कई औलाद मिल कर भी अपने बूढ़े माँ-बाप का सहारा नहीं बन पाते!कभी-कभी तो बुढ़ापा अपने आप को इतना असहाय महसूस करता है कि उनको अपना जीवन ही बोझ लगने लगता है तथा अंततः ग़लत क़दम उठाने पर मजबूर हो कर अपने जीवन का परित्याग कर लेते हैं!
कुछ ऐसी ही घटना कल प्रखंड आदापुर में कलवारी दुबहा निवासी भिखारी साह, उम्र-80 वर्ष तथा उनकी पत्नी के साथ घटित हुई है।हुआ यूँ कि स्वर्गीय भिखारी साह के तीन पुत्रों, राजकुमार प्रसाद उर्फ जटहा, दुखी प्रसाद एवं संजय प्रसाद अपने बूढ़े माँ-बाप को गाँव में ही अकेला छोड़ कर दिल्ली में काम करते थे। इस बीच चार-पाँच महीना पूर्व उन सबो ने उन्हें दिल्ली बुला लिया।भिखारी साह एवं उनकी पत्नी जब दिल्ली के मंडावली, चन्दर विहार में अपने बेटों के पास पहुंचे तो बेटों ने उन्हें अलग किराये का कमरा दिला कर उन्हें पुनः अकेला छोड़ दिया और उनके खाने पीने का इंतजाम में भी काफी कोताही बरती।ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि समय की बेरहमी इस कदर हालात पैदा कर दिया कि महानगर में बेटों के रहते हुए भी वे तन्हा महसूस करने लगे।ठंड में दवा और गर्म कपड़ों की दिक्कतें झेंलनी पड़ी।उसी गाँव के कुछ मज़दूर भी वहीं रहते थे जो यदा कदा उन बुज़ुर्गों को खाना पानी दे देते थे।
परन्तु उनके दुःखों की इन्तेहा ही हो गई कि भिखारी साह और उनकी पत्नी आत्महत्या करने पर विवश हो गए तथा वहीं स्थानीय रेलवे ट्रैक पर जा कर ट्रेन से कट कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लिए!
बताया गया कि यह दृश्य इतना ह्रदय विदारक रहा कि माँ -बाप कितने टुकड़े में बंटे ,इसे गिनना मुश्किल हो गया।रेल पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमार्टम को भेजा।हालांकि,ईस बाबत मृतक दम्पति के पुत्रों से सम्पर्क नही हो सका,जिससे उनका पक्ष सामने नही आ सका कि आखिर इस तरह का वाक्या क्यों घटित हुआ!
इधर,इस घटना की जानकारी जब ग्रामीणों को मिली तो गाँव में सभी लोग न केवल दुःखी हो गए।बल्कि,यह सामाजिक चिंतन का विषय बन गया कि ऐसा क्यों और कैसे हुआ?कलवारी दुबहा निवासी ई राकेश रंजन ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ये घटना बेहद हृदयविदारक है ।हिला देने वाली है।समाज मे घटित इस तरह कि घटना पतनशीलता को दर्शाती है कि मनुष्य किस कदर स्वार्थी और जड़ो से कटने वाली स्थिति में है।साथ ही कहा कि मेरे गाँव के किसी भी बुज़ुर्ग को ऐसी परेशानी आए तो कृपया ऐसा कुछ न करें बल्कि मुझे किसी भी माध्यम से सूचित करें।मैं उनके जीवनयापन का व्यवस्था मुहैया करूंगा।
में खुद यह उपस्थित था जब ये हादसा हुआ। इनके पुत्रों की लापरवाही से इस दंपति की जान गई है। इन्होंने उन्हे अलग रखा था खाने की जिमेदारी भी ढंग से पूरी नही की गई।