रक्सौल।(vor desk)।बौद्ध भिक्षु के रूप में बिहार के बोध गया ले जाये जा रहे 23 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है।साथ ही दो लोगों को नियंत्रण में लिया गया है, जो,इन्हें ले कर बोध गया जा रहे थे।बताया गया है कि ये काठमांडू से बस द्वारा बीरगंज लाये गए थे।उसके बाद उन्हें शुक्रवार को बोधगया ले जाया जा रहा था।नियंत्रण में लिए गए दोनो नेपाली नागरिको का दावा था कि अध्ययन के लिए उन्हें बोधगया ले जाया जा रहा था।लेकिन,डॉक्यूमेंट में त्रुक्ति व पूछ ताछ में अलग अलग जानकारी के बाद मामला सन्देहास्पद बन गया।वहीं,इनके पास इन बच्चों को नेपाल से भारत मे लाने व पढ़ाई के सम्बंध में वैध दसतावेज नही होने व नेपाल से जुड़ा मामला होने की वजह से बच्चों समेत दोनो को बीरगंज प्रशासन को सौप दिया गया।जहां बच्चों को माइति नेपाल संस्था के सुपुर्द कर दिया गया।
मामला शुक्रवार के दोपहर का है।एक साथ इतने बच्चों को बौद्ध भिक्षु के रूप में रक्सौल बॉर्डर पर देखे जाने के बाद एसएसबी अलर्ट हुई।
कमाण्डेन्ट प्रियवर्त शर्मा के निर्देश पर एसएसबी की एंटी ह्युमन ट्रेफिकिंग यूनिट रक्सौल की टीम ने बिना वैध डाक्यूमेंट्स के काठमांडू से बोधगया ले जाए जा रहे 23 बच्चों को रेस्क्यू किया।संदेह के आधार पर उन्हें नियंत्रण लेने के बाद आवश्यक पूछ ताछ व जांच के बाद आवश्यक डॉक्यूमेंट न होने व सन्देहास्पद मामले की वजह से बच्चों को नेपाल के वीरगंज बॉर्डर पर इनरवा पुलिस चौकी को सौप दिया गया।जिसके बाद वीरगंज पुलिस ने स्पेशल टीम का गठन कर मामले की जांच पड़ताल की प्रक्रिया में जुटी है।ताकि,पता चले कि मामला तस्करी का है,या कुछ और।
सूत्रों ने बताया कि एसएसबी की एंटी ह्युमन ट्रेफिकिंग यूनिट (रक्सौल )के इंचार्ज इंस्पेक्टर मनोज शर्मा के नेतृत्व में शुक्रवार की दोपहर करीब 2 बजे के आसपास रक्सौल के फ्रिक्सिंग पोस्ट के पास से दो व्यक्तियों को 23 बच्चों के साथ रोका व जांच की।सभी बच्चों की उम्र 4 से 7 वर्ष थी।सभी बौद्ध भिक्षु के ड्रेस में थे।
बताया गया कि गुप्त सूचना थी कि दो व्यक्ति इन 23 बच्चों को बोधगया, बिहार में मोनेस्ट्री में शिक्षा के नाम पर ले जाते वक्त जब रक्सौल पहुंचे,तो,टीम ने इनसे शिक्षा से संबंधित पत्र की मांग की गयी तो इनके पास काठमांडू की गैर-सरकारी मोनेस्ट्री के दो पत्र थे, जिनकी नेपाल सरकार में कहीं रजिस्ट्रेशन होने की जानकारी इनसे प्राप्त नहीं हुई।फिर बोधगया, बिहार में मोनेस्ट्री के रजिस्ट्रेशन नम्बर भी नहीं बता पाए ना दिखा पाए।
मोनेस्ट्री के किसी उपयुक्त अधिकारी से बात नहीं करवा पाए।
सब बच्चें बहुत छोटी छोटी उम्र के थे लगभग 4 साल से 7 साल तक के, बच्चों के रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने के बहुत सी त्रुटियों को पाया गया जैसे उनके पते, रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर अभिवावकों के हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति द्वारा किये गए प्रतीत हो रहें हैं, कुछ फॉर्म पर अभिवावक के द्वारा अनुमति स्थान पर कोई हस्ताक्षर नहीं थे
पत्र में बच्चों की संख्या में भी त्रुटी है।
बताया गया कि नियंत्रण में लिए गए दोनों व्यक्तियों ने स्वीकार किया कि अधिक छोटे बच्चों को शिक्षा के नाम पर मोनेस्ट्री बोधगया बिहार में ले जाया जा रहा था, इसकी किसी भी प्रकार कोई सूचना/जानकारी नेपाल दूतावास, नेपाल श्रम-मंत्रालय, नेपाल सरकार, बिहार सरकार व् भारत सरकार के संज्ञान में नहीं दिया गया है।
सभी बच्चें अत्यंत गरीब परिवारों से पहाड़ी क्षेत्र से हैं व् सभी बच्चे गुरुंग व् तमांग (गोरखा) हैं।
बच्चों को सेम्बू काठमांडू में नेपाल के अलग अलग प्रदेशों के लगभग 14 जिलों से एकत्र किया गया था, काठमांडू से बस द्वारा बीरगंज लाया गया तत्पश्चात रक्सौल होते हुए बोधगया बस द्वारा ही ले जाने का प्लान था।
एसएसबी कमाण्डेन्ट प्रियव्रत शर्मा ने बताया कि बच्चें बहुत छोटे हैं उनके अभिभावक भी साथ नहीं हैं।साथ ही जो व्यक्ति इनको ले जा रहें हैं वो कोई उचित डाक्यूमेंट्स नहीं प्रस्तुत कर पा रहे हैं और जिस संस्थान की बात कर रहें हैं। वहाँ भी किसी अधिकारी से बात नहीं करवा पा रहें थे। अत: मानवीय दृष्टिकोण व् मानव तस्करी के संदेह में इन्हें रोका गया जिससे बच्चे किसी प्रकार के जोखिम में ना फंस जाएँ।
वहीं,इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण हैं बिना वैध डाक्यूमेंट्स के तथा दोनों देशों की सरकारों के संज्ञान के बिना इतने छोटे बच्चों को ले जाना अपराध में ही माना जाएगा।
रेस्क्यू में स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह सहयोगी भूमिका में रहे।जिन्होंने भूख प्यास से परेशान बच्चों को खाना पान कराया ।वहीं इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा के साथ टीम में शामिल सहायक सब इंस्पेक्टर परिशवर मुशाहारी, हेडकांस्टेबल कुलदीप कुमार, महिला कांस्टेबल शिल्पी कुमारी , कांस्टेबल योगेश कुमार की सक्रिय भूमिका रही।