रक्सौल ।( vor desk )। ‘वरीय नागरिक सेवा मंच'(बंशम) की बैठक डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद सिंह के कौड़िहार चौक स्थित
आवासीय परिसर में आयोजित हुई। जिसमें वरीय नागरिक सेवा मंच(वंशम ) के अध्यक्ष रामपुकार सिंह के आकस्मिक निधन होने पर उनके दिवगंत आत्मा की शांति के लिए शोक सभा का आयोजन किया गया ।
इसमें वरीय नागरिक सेवा मंच के उपस्थित सदस्यों ने दो मिनट का मौन रख कर आत्मा शांति के लिए प्रार्थना की।सभी ने स्व सिंह के निधन पर गहरी संवेदना प्रकट किया।
मौके पर सम्भावना संस्था के अध्यक्ष व वंशम के संरक्षक भरत प्रसाद गुप्त ने कहा कि साहित्यिक जगत का एक सितारा और एक कलाकार मन दुनिया को छोड़ गया।लेकिन,उनकी यादे अमिट हैं।उन्होंने भोजपुरी में कविता के माध्यम से अपनी पहचान गढ़ी थी।सरल व सहज भाव के रामपुकार बाबू के कविताओं में समाज का दर्द होता था।ऐसे लोग धरती पर कम ही मिलते हैं।
वहीं, शिक्षक अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि रक्सौल ही नही चम्पारण स्तर पर एक कवि के रूप में रामपुकार सिंह जाहिल की एक अलग पहचान थी।उन्होंने निजी जिंदगी में भी कर्तव्यो को पूरा किया।सादगी से अपने जीवन को जीते हुए दुनिया से चल बसे।
भारत विकास परिषद के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने उन्हें’सरस्वती पुत्र’बताते हुए कहा कि नई पीढ़ी को राम पुकार बाबू हमेशा प्रेरित करते थे।अनेको कलाकारों को मार्गदर्शन दे कर पारंगत किया और उनके शिष्यों ने पहचान भी हासिल की।
बतादे कि मूल रूप से पूर्वी चंपारण के फुलवार-लखौरा के मूल निवासी व शहर के कौड़िहार चौक निवासी राम पुकार सिंह’जाहिल’ भोजपुरी के नामचीन कवि थे।जिनकी क्षेत्र में अलग पहचान थी।समाजिक सरोकार व कुरीति पर उनकी कविताएं केंद्रित होती थीं।एक बैंक की शाखा रक्सौल से सेवा निवृत्त स्व सिंह साहित्य प्रेमी होने के साथ संगीत पर भी गहरी पकड़ रखते थे।हारमोनियम व तबला जैसे वाद्य यंत्रों पर भी उनकी पकड़ थी।सम्भावना संस्था व भोजपुरी बौद्धिक मंच जैसे विभिन्न मंचो से उन्होंने लगातार काव्य पाठ किया।यही नही इन मंचों के अलावे विभिन्न संघ-संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी हुए।यही नही उन्होंने’ भंवर’ नामक काव्य भी लिखा,जो,एक कृति है।
उक्त कार्यक्रम वरीय नागरिक सेवा मंच(बंशम) के संरक्षक भरत प्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में आयोजित हुई ।जिसमें उपस्थित सदस्य प्रो0 डॉ0 विजय कुमार पांडेय, प्रो0 डॉ0 रघुनाथ गुप्ता,, सुरेंद्र कुमार द्विवेदी, चंद्रमा सिंह, विपिन बिहारी श्रीवास्तव, रामनरेश प्रसाद, विन्दा प्रसाद इत्यादि लोगों ने राम पुकार बाबू के निधन को अपूर्णीय क्षति बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।