Monday, October 7

नेपाल की देउबा सरकार ने लिया बॉर्डर खोलने का निर्णय,नए विदेश मंत्री बने नारायण खड़का,स्वागत!

रक्सौल।( vor desk)।नेपाल की देउबा सरकार ने करीब डेढ़ वर्ष से बन्द बॉर्डर को खोलने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही विदेश नीति में बदलाव का संकेत देते हुए नेपाल के परराष्ट्र( विदेश ) मंत्री नारायण खड़का को बनाया गया है।नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य रहे खड़का सँयुक्त राष्ट्र महासंघ की सभा मे नेपाली टोली का नेतृत्व करेंगे।

इस बीच, भारत से लगे नेपाल की सभी सीमा को खोलने का निर्णय मंगलवार की शाम लिया गया।कैबीनेट की हुई बैठक में यह अहम निर्णय हुआ।

इसकी जानकारी नेपाल के कानून,न्याय तथा संसदीय मामला के मंत्री सह सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने दी है।

कैबीनेट की बैठक में पूर्व के कोविड 19 व्यवस्थापन से सम्बन्धी नया नियमावली को लागू करने का निर्णय हुआ।इसे संघिय संसद से पारित किया जाएगा।

साथ ही पूर्व की ओली सरकार के कोविड 19 व्यवस्थापन से जुड़े सभी आदेश को खारिज कर दिया गया।

नए आदेश के तहत प्रधानमन्त्री के संयोजकत्व में कोभिड–18 निर्देशक समिति गठन किया गया है।समिति में स्वास्थ्यमन्त्री, गृहमन्त्री, अर्थमन्त्री, परराष्ट्रमन्त्री, उद्योगमन्त्री, मुख्यसचिव व प्रधान सेनापति सदस्य होंगे।

स्वागत :नेपाल में शेर बहादुर देउबा सरकार बनने के बाद ही बॉर्डर खुलने की आस जग गई थी।अंततः मंगलवार को सुखद निर्णय हुआ ,जो सीमा क्षेत्र वासियों के लिए मंगलकारक है। बॉर्डर को खोलने के निर्णय से सीमाई क्षेत्र में हर्ष व्याप्त हो गया है।

बॉर्डर खोलने के निर्णय का सत्याग्रह संस्था(नेपाल ) के संस्थापक चन्द्र किशोर,वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ के अध्यक्ष सुबोध गुप्ता, उपाध्यक्ष माधव राजपाल,विजिट मधेश( नेपाल ) संस्था के संयोजक ओम प्रकाश सर्राफ आदी ने स्वागत किया है।वहीं, भारतीय सीमा क्षेत्र में भी इसे सकरात्मक लिया गया है।सीमा जागरण मंच के प्रांतीय अध्यक्ष महेश अग्रवाल ,मीडिया फ़ॉर बॉर्डर हार्मोनी संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष प्रो0 उमाशंकर प्रसाद आदि ने स्वागत किया है।इनका कहना है दशहरा-दीपावली पर्व को देखते हुए बॉर्डर को खोलना स्वागत योग्य व जनस्तर सम्बन्धो के पक्ष में है।इससे रिश्ते की डोर मजबूत होगी।इस निर्णय को शीघ्र अमल में लाया जाना चाहिए,ताकि,दोनो ओर के नागरिको को आवाजाही व व्यापार में सुविधा हो।

ओली सरकार की थी वक्रदृष्टि:भारत विरोध के नाम पर राजनीति रोटी सेंकने में जुटी तत्कालीन पीएम केपी ओली की सरकार ने कोरोना कोले कर 24 मार्च 2020 से बॉर्डर को बन्द कर दिया।भारत की सीमा भी बन्द हो गई।रक्सौल बॉर्डर समेत भारतीय सीमा पर उनकी वक्र दृष्टि 2015के मधेश आंदोलन व नाकेबंदी के समय से ही थी। इस बीच कोरोना संक्रमण की आड़ में उन्होंने सीमा विवाद को मुद्दा बना कर बोर्डर बन्दी को लंबा खींचा।इस बीच नेपाल की ओली सरकार ने 29 जनवरी 2021 को भारत व चीन से जुड़ी 30 बॉर्डर को शशर्त खोलने की घोषणा की थी।लेकिन,अमल नही हुआ।तरह-तरह के बहाने बनाये गए।इससे भारतीय सीमा से लगे तराई यानी मधेश में भी आक्रोश कायम था।वीरगंज समेत विभिन्न बॉर्डर पर आंदोलन हुए,लेकिन,ओली सरकार ने एक नही सुनी।जबकि,अक्टूबर 2020 में ही भारत ने अपनी सीमा खोल दी थी।इससे भारतीय क्षेत्र में नेपाली वाहनों का का आवागमन जारी है।

उधर, नेपाल के सीमाई इलाके में बॉर्डर खोलने की मांग को ले कर आंदोलन चल रहा था।इस बीच सोमवार को होटल तथा पर्यटन व्यवसायी संघ का एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मिला,जिसके बाद वे सकरात्मक दिखे।उन्होंने आश्वासन दिया था कि बॉर्डर को खोल दिया जाएगा।भारतीय वाहनों के नेपाल आवागमन को सहज बनाया जाएगा।

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