रक्सौल।( vor desk )।कोविड संक्रमण के तीसरी लहर की चेतावनी के बीच सोमवार को रक्सौल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत आयोजित शिविर में जम कर लापरवाही हुई।देश के नौनिहालों को पेट मे पाल रही गर्भवती महिलाओं की जांच में न केवल सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ी, बल्कि,भीषण गर्मी के बीच न तो पंखे की उचित व्यवस्था दिखी न पेयजल की।यही नही इस शिविर को महिला डॉक्टरो की बजाय जीएनएम व एएनएम के भरोसे छोड़ दिया गया।
ओपीडी से ही डॉक्टर सामान्य मरीज की तरह गर्भवती महिलाओं के पुर्जी देखते व पूछ कर दवा लिखते नजर आए।हालांकि,vor की टीम के पहुंचते ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एस.के सिंह व स्वास्थ्य प्रबन्धक आशिष कुमार गर्भवती महिलाओं की ठेलम ठेल भीड़ को व्यवस्थित करने व हटाने में जुटे दिखे।
लेकिन,उनके जाते ही स्थिति फिर से प्रतिकुल हो गई।मातृ एवं शिशु विभाग के हॉल में पसीने से तर बतर सैकड़ो गर्भवती महिलाएं अपनी बारी के इंतजार में भेड़ बकरियों की तरह एक दूसरे पर चढ़ी दिखीं।वहीं,केंद्र के गार्ड मूकदर्शक दिखे।उनके और उनके परिजनों के भी बैठने की माकूल व्यवस्था नही दिखी।
अल्ट्रासाउंड के लिए हंगामा,कमीशन का चक्कर:
शिविर में अल्ट्रासाउंड कराने को ले कर दो आशा कार्यकर्ता कमीशन के सवाल पर आपस मे भीड़ गईं।जिसको ले पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एसके सिंह की उपस्थिति में ही जम कर हंगामा हुआ।मशक्कत से उन्हें शांत कराया गया।बता दे कि गर्भवती महिलाओं के पेट मे पल रहे शिशु की स्थिति जांच के लिए केंद्र में अल्ट्रासाउंड जांच की व्यवस्था नही है।ऐसे में सरकारी चिकित्सकों की चांदी कट रही है।केंद्र के इर्द गिर्द दर्जनों अल्ट्रासाउंड सेंटर खुल गए हैं।ओपीडी में जांच के क्रम में डॉक्टर अस्पताल की पुर्जी या अलग पुर्जे पर कोड में अल्ट्रासाउंड के लिए लिखते हैं।
मरीजों को निर्धारित जांच केंद्र में ही जांच के लिए बाध्य किया जाता है।जहां अल्ट्रासाउंड का दर कम से कम प्रति मरीज 500 से 600 रुपये लिया जाता है।माप दण्डों का पालन भी नही होता।वहीं,निर्धारित अल्ट्रासाउंड केंद्र से डॉक्टरो को दो -तीन सौ रुपये की मोटी राशि प्रति मरीज बतौर कमीशन मिलता है।गर्भवती महिलाओं के जांच के दिवस पर खूब चांदी कटती है।इसी को ले कर सोमवार को दो आशा कार्यकर्ता आपस मे भीड़ गई,क्योंकि,उनके मनचाहा केंद्र में अल्ट्रासाउंड नही हुआ।ऐसे में कमीशन गोल हो गया।
एक आशा कार्यकर्ता शहनाज खातून ने चिल्ला चिल्ला कर हंगामा खड़ा कर दिया कि जब मरीज नयका टोला निवासी उषा देवी के लिए डॉक्टर(नाम सहित ) ने केके रिलायंस ‘ जांच केंद्र में अल्ट्रासाउंड को लिखा था,तो, उसकी जांच
सेल्फ -में केपी जांच केंद्र
में क्यों कराई गई,अब डॉक्टर मरीज को नही देख रहे हैं,कह रहे हैं मेरा लिखा पुर्जा नही है।बाद में पुरूष साथी नवल सिंह समेत अन्य ने समझा बुझा कर माहौल को शांत कराया।गौरतलब है कि अल्ट्रासाउंड के साथ लैब टेस्ट के लिए भी यह खेल चल रहा है।वहीं,अनेको दवा भी बाजार से खरीद कराई जाती है।जिससे गरीब मरीज शोषण के शिकार हो रहे हैं।सूत्रों ने बताया कि सोमवार को ही करीब डेढ़ सौ गर्भवती महिलाओं की जांच हुई,जिससे कमीशन का गणित समझा जा सकता है। इस बाबत पूछने पर स्वास्थ्य प्रबन्धक आशिष कुमार ने कहा कि लिखित शिकायत मिलने पर जांच होगी।