रक्सौल।(vor desk )।डेढ़ वर्ष से नेपाल बॉर्डर बन्द है।जबकि भारत ने अक्टुबर 2020 में ही बॉर्डर खोल दिया है।बीरगंज 40 दिन पहले ही ग्रीन जोन बन चुका है।इसके बाद भी बॉर्डर नहीं खुल रहा।इससे दोनो देशों के सीमाई नागरिक परेशान हैं।आखिर यह कोरोना के नाम पर बहाना या फिर क्या है?यह न तो नेपाल सरकार को पता है ,न भारत सरकार को!रिश्तेदारों की शादी में शरीक होने से लोग तो वंचित हैं ही,अपनों के श्राद्ध कर्म में भी दुःख नही बांट पा रहे।उक्त बातें नेपाल के वीरगंज महानगर पालिका के मेयर विजय सरावगी ने कही।

उन्होंने कहा कि सरकार को सीमाई क्षेत्र के लोगों की मानवीय संवेदना व जरूरतों को समझना होगा।बात केवल कुटनीतिक मसला तक ही स नही,बल्कि,मानवाधिकार के हनन से भी जुड़ा है।उन्होंने कहा कि बॉर्डर बन्द तो किया गया है,लेकिन,वैक्सिनेशन आज तक नही हो सका।जबकि, कोविड संक्रमण से बचने का उपाय वैक्सिनेशन ही है,जिसमे नेपाल सरकार असफल है।यह नेपाल सरकार की कूटनीतिक विफलता है कि वह भारत से वैक्सीन हासिल नही कर सकी है।उन्होंने कहा कि बॉर्डर पर जहां तस्करी और जानवरों का खतरा है,केवल वहीं तार बाड लगना चाहिए।उन्होंने चुनौती पूर्ण लहजे में कहा-तस्करी कोई माई का लाल नही रोक सकता।उन्होंने कहा-जनस्तर सम्बन्ध मजबूत है,कोई साजिश इसे बिगाड़ नही सकती।उन्होंने कहा कि जीपी कोइराला के बाद आज तक नेपाल के राजनीतिज्ञ भारत को भरोसा नही दिला सके,जो समस्या बनी।चाइना कार्ड खेल कर भारत से उम्मीद नही की जा सकती।

गुरुवार को वीरगंज के होटल मकालू के सभागार में मानव अधिकार पत्रकार संघ द्वारा मानवाधिकार व क्रॉस बॉर्डर इश्यू पर आयोजित सेमीनार को सम्बोधित करते हुए पत्रकार महासंघ के केंद्रीय सदस्य केसी लामीछाने ने कहा कि 2001 में भारतीय सीमा पर एसएसबी व 2007 में नेपाल सीमा पर आर्म्ड पुलिस फोर्स के तैनाती के बाद से सीमा क्षेत्र में जनस्तर सम्बन्धो के देखने के तरीके में फर्क आया है,इससे समस्याएं भी खड़ी हुई है।उन्होंने कहा कि भारत को बिग ब्रदर बन कर नही बल्कि,समान व्यवहार के जरिये नेपाल के साथ रिश्तों की डोर को आगे बढ़ाना चाहिए।
वीरगंज के ठाकुर राम बहुमुखी कॉलेज के प्राध्यापक प्रो वीरेंद्र साह ने कहा कि -सीमा क्षेत्र में रोटी-बेटी का सम्बंध अच्छा होना ही काफी नहीं, बल्कि, सरकारों के स्तर पर भी सम्बन्ध बेहतर होना चाहिए।भारत और नेपाल की सरकारों के बीच मतभेद के मसलों को मिल बैठ कर सुलझाया जाना चाहिए।मॉर्डन पॉलिटिक्स में समान व्यवहार के सिद्धांत का ख्याल रखना जरूरी है।
भारतीय पक्ष की ओर से पत्रकार दीपक अग्निरथ ने सम्बोधित करते हुए कहा कि-जब तक मीडिया, राजनीतिक और नागरिक स्तर पर डायलॉग शुरू नही होगा,बात आगे नही बढ़ सकेगी।बाढ़ व कोविड बड़ी समस्या है।इस चुनौती को मिल जुल कर निपटना होगा। जलस्त्रोत के उपयोग से दोनो ओर समृद्धि आ सकती है।उन्होंने कहा कि रक्सौल में नेपाली नागरिको का स्वागत होता है,लेकिन, बॉर्डर बन्द होने के क्रम में नेपाली सुरक्षाकर्मियों ने 50 से ज्यादा भारतीय बाइक को सीज कर लिया,जिसे जुर्माना वसूल कर छोड़ा जा सकता था।भारतीय नागरिकों से दुर्व्यवहार की शिकायते मिलती रही है।बॉर्डर पर तार -बाड़ व पहचान पत्र लागू करने की बात हो रही है,लेकिन,सीमा क्षेत्र के लोगों से इस पर चर्चा कभी नही होती।उन्होंने कहा- काठमांडू-दिल्ली के चश्मे से जब तक सीमा को देखा जाता रहेगा,स्थिति नही बदलेगी। रक्सौल -बीरगंज के बीच डायलॉग से ही सीमा क्षेत्र की दशा बदलेगी।यहां के लोगों को अपने बेहतरी के लिये सरकार तक बात पहुंचानी होगी।।वहीं,पत्रकार गणेश शंकर ने कहा कि प्रोपगंडा पत्रकारिता से ही रिश्ते बिगड़ रहे हैं। दोनो ओर के मीडिया को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी।

तो,युवा पत्रकार मनोज गुप्ता ने कहा कि नेपाल की ओर से बॉर्डर पर भारत -पाकिस्तान वाली स्थिति पैदा की जा रही है,जो उचित नही।भारत ने अपने बॉर्डर को खोल रखा है।नेपाल को भी नरम हो जाना चाहिए,क्योंकि,एक हाथ से ताली नही बजती।
इस सेमिनार की अध्यक्षता हुर्जा के अध्यक्ष घनश्याम खड़का ने की।जबकि,स्वागत पत्रकार भूषण यादव ने किया।कार्यपत्र प्रस्तुति हुर्जा की पूर्व अध्यक्ष नम्रता शर्मा व पत्रकार महासंघ के केंद्रीय सदस्य केसी लामीछाने ने किया। सेमिनार में भारत की ओर से लव कुमार चौबे,रवि रंजन के अलावे नेपाल पत्रकार महासंघ के केंद्रीय सदस्य शिव पूरी, पर्सा जिला अध्यक्ष अनूप तिवारी,सचिव भूषण यादव,पूर्व अध्यक्ष श्याम बंजारा, भूषण यादव,विम्मी शर्मा,राधे श्याम पटेल ,जियालाल साह,कविता खड़का, समेत अन्य शामिल हुए।