रक्सौल।( vor desk )।कोरोना महामारी ने हजारों जिंदगियों को लील लिया।कोरोना संक्रमण के दुसरीं लहर में रक्सौल में भी दर्जन भर से ज्यादा मौत की सूचना है ।
महामारी की विभीषिका से बचाव की दिशा में केंद्र एवं राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं।
इसमें एक काफी सराहनीय प्रयास कोरोना चेन को तोड़ने की दिशा में लॉकडाउन की घोषणा शामिल है।लेकिन इस लॉकडाउन के बीच हर दिन मात्र 4 घंटे की छूट ने एक नई मुसीबत को जन्म दे दिया है। बाजारों की स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि महामारी को थोक में घरों की दहलीज तक पहुंचाने अघोषित प्रयास है।सुबह के सात बजे से बाजार खुलते ही सब्जी मंडी वाली भीड़ जमा हो जा रही है।इससे व्यवसायी व ग्राहक दोनो ही खतरे में हैं,जो पूरे समाज को असुरक्षित बना रही है।इससे भी बड़ी बात यह है कि महिलाएं व बच्चे भी बाजार में बेपरवाह घूम रहे हैं।
यह अलग बात है कि लोग संक्रमण को लेकर भयभीत हैं और वह अपने स्वास्थ्य की जांच करवाना नहीं चाह रहे। लेकिन हर दिन सुबह सात बजे से 11 बजे के बीच बाजारों, मंडियों में हो रही भीड़ को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि संक्रमण का अंश हर घर की चौकठ तक पहुंचने की ओर अग्रसर है।ऐसे में स्थिति पहले से भी अधिक भयावह हो सकती है।रक्सौल के मेन रोड, बैंक रोड,पोस्ट ऑफिस रोड, लोहापट्टी, मीना बाजार,चावल बाजार, सब्जी बाजार ,नागा रोड,कौड़िहार चौक,ब्लॉक रोड समेत विभिन्न इलाकों में हर दिन सैकड़ों की संख्या में ग्राहक लोगों की भीड़ हो जा रही है।कई बार तो मेला का दृश्य दिखता है।झुंड में लोग दिखते हैं।वहीं,गम्हरिया, भेलाही, समेत अन्य कस्बाई बाजार में तो जम कर नियमोलंघन होने की सूचना है।एक भी क्षेत्र ऐसा नही है,जहां व्यवसायी व आमजन आदर्श प्रस्तुत करते हुए इलाके को सुरक्षित घोषित करें।
सीमित समय की वजह से एक ही बार जहां हजारों लोग बाजारों में उतर जा रहे हैं, वहीं उनके बीच सामाजिक दूरी के नियमों की भी दिवार पूरी तरह से धराशायी नजर आ रही है।स्थिति कुछ ऐसी भयावह हो जा रही है कि 10 से 20 फिट की सड़क पर लोगों को पैदल आवागमन के लिए भी जगह नहीं बच पा रहा है।ऐसे में अगर लॉकडाउन के बीच भी बाजारों से संक्रमण चलकर लोगों के घरों तक पहुंचे और स्थिति भयावह हो, तो फिर सरकार के पास नियंत्रण के लिए भी कोई तीसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा।
यही नही दुकानदारों की लापरवाही भी कम नही।इस बार दुकानों के आगे न तो घेरा बनाया गया है।न कोई नियम का पालन हो रहा है।कुछ व्यवसायियों को छोड़ दे,तो,अधिकतर आपदा में अवसर का लाभ उठाने में ही मशगूल दिख रहे हैं।
यह मुसीबत और तब बढ़ जाती है,जब शादी ब्याह व ईद को ले कर रेडीमेड व कपड़ा दुकानदार,आभूषण विक्रेता ,टेलर और इससे जुड़े कारोबारी अपने धन्धे के लिये हथकंडे अपनाते हैं।शटर बन्द रहता है।और दुकानें चलती रहती है।दुकानों में ठूस कर ग्राहकों को बन्द कर दिया जाता है,जहां सांस लेने की भी दिक्कत हो जाती है।लेकिन,दो रुपया के चलते उन्हें न तो अपनी जान की फिक्र है,न दूसरों की।
शटर गिराने व उठाने के बीच पैसे कमाने की इस होड़ की जिम्मेवार प्रशासन भी है।क्योंकि,शादी ब्याह की जब अनुमति दी गई है,तो,इससे जुड़े कारोबार को भी रोस्टर के हिसाब से सप्ताह में दो चार दिन व्यवसाय का मौका दिया जाना चाहिए था।
बता दे कि सरकार ने किराना,सब्जी,अनाज,फल,दूध जैसी अन्य वस्तुओं के लिए सुबह के सात बजे से 11 बजे तक दुकानों को खोलने की अनुमति दे रखी है।आलम यह है कि 11 बजे तक बाजार व सड़को पर इतनी भीड़ हो जाती है कि पता ही नही चलता कि लॉक डाउन है भी या नही।जब सायरन बजाती प्रशासन की वाहन निकलती है,तो,भगदड़ मचती है,फिर वही हाल कायम हो जाता है।
उधर,ईद व लग्न को ले कर भी भीड़ है।इसमे कपड़ा,रेडीमेड व आभूषण की दुकान,टेलर को बन्द रखने के निर्देश हैं।जिससे परेशानी बढ़ गई है।
नतीजा यह है कि चोरी छिपे कारोबार चल रहा है।शटर बन्द करने और खोल कर बेचने का अंदाज पुलिस वालों को भी मात दे रही है।
व्यवसायियों का कहना है कि सरकार को शादी पर ही रोक लगा देनी चाहिए थी।कुछ खास व्यवसाय के हितों की अनदेखी की गई है,जो जरूरत से जुड़ी है।एक व्यापारी ने सवाल किया कि सारा काम मोबाइल व कम्यूटर पर केंद्रित है।लेकिन, इसे भी बन्द कर दिया गया है।जिसके बन्द होने से सारा काम ही ठप्प हो जाता है!क्या यह नही लगता कि एयर कंडीशनर कमरों में बैठ कर ऑफिसरों ने फैसला लिया है?
लेकिन,शहर के बुद्धिजीवी इस चोरी छिपे हो रहे व्यापार की प्रवृर्ती की आलोचना कर रहे हैं।उनका कहना है कि जान रहेगी,तो व्यवसाय चलता रहेगा।आगे भी कमाई होगी।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि दुकानों में ग्राहकों के झुंड को घुसा कर शटर या गेट बन्द कर दिया जाता है।कुछ लोग बाहर पहरा में रहते हैं।बन्द दुकान मे गरीब कर्मचारी या खुद दुकान संचालक भी होते हैं।पता नही कौन संक्रमित्त है,कौन नही।ऐसे में यदि संक्रमण फैले तो कौन जिम्मेवार होगा?उन्होंने कहा कि यह ‘ ‘क्राइम’ है।यह माफी योग्य नही है,क्योंकि,खुद के अलावे आप दूसरों की जान से भी खेल रहे हैं।
एक व्यापारी ने बताया कि जब कोविड गाइड लाइंस को ध्यान में रखते हुए हम दुकानें बंद रखते हैं, और कुछ लोग कमाने में मशगूल रहते हैं,तो कसक बढ़ जाती है।ऐसे कुछ लोगों से जान का जोखिम भी बढ़ जाता है और देखा देखी के होड़ की प्रवृर्ती भी।
यह स्थिति यही खत्म नही होती,शाम ढलते ही लोग हवा खाने व हाल चाल जानने सड़क पर घूमने लगते हैं।बिना मास्क व दो गज दूरी के गप्प लड़ाने में मशगूल रहते हैं,जो कम खतरनाक नही।
रही सही कसर शादी ब्याह में धूम धाम से निकले वीआइपी लोग निकाल देते हैं।जो महिला -पुरूष के समूह के साथ बच्चों को लिए गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हैं।
कुछ लोग कोविड को मजाक में लेते हैं।इसके अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हैं।लेकिन,जब देश के विशेषज्ञ चिकित्सक तीसरे लहर की चेतावनी दे रहे हो,तो निश्चय ही आने वाले संकट को ले कर सभी को सतर्क हो जाना चाहिए।
सीमावर्ती शहर रक्सौल बॉर्डर के कारण पहले से ही रिस्क में है।यहां प्रतिदिन 20 से 30 संक्रमित मिल रहे हैं।अब तक दर्जनों मौत हो चुकी है।स्थिति दिन ब दिन बिगड़ रही है।बावजूद इस तरह की लापरवाही मौत को दावत की तरह है।
दूसरी ओर प्रशासन के लचीले रुख के कारण भी ‘लॉक डाउन ‘में मनमानी करने वालो के हौसले बुलंद हैं।
डीसीएलआर राम दुलार राम कहते हैं कि पुलिस प्रशासन सख्ती से लॉक डाउन का अनुपालन कराएगी।यदि उल्लंघन की शिकायत मिलती है,तो,कारवाई होगी।