Monday, November 25

रक्सौल में भूमि विवाद को ले कर खूनी टकराव की आशंका,बंका प्रसाद की जड़ी बूटी दुकान का विवाद बढ़ा!

बंका प्रसाद का जड़ी बूटी दुकान: डीएसपी ने अपने उपस्थिति में खुलवाया दुकान ,कहा-सभी पक्ष को कागजात के साथ उपस्थित होने का निर्देश

-जेल से बेल पर आए दूसरे पक्ष ने मीडिया से कहा-जमीन हमने रजिस्ट्री कराई है,हमारा मालिकाना हक है,सुधा देवी मांग रही 25 लाख रुपये

रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल में भू -माफियाओं की बढ़ती सक्रियता और तेजी से बढ़ता भूमि विवाद हिंसक मोड़ की ओर बढ़ता दिख रहा है।जिसमे आगे के दिनों में खूनी सँघर्ष व हत्या हिंसा की घटनाओं की आशंका से इंकार नही किया जा सकता।हो सकता है कि जिस तरह रक्सौल के जमीन की कीमत की तुलना मुम्बई से होती रही है,वैसे ही आगामी दिनों जमीन कब्जे की पृष्ठभूमि ‘मुम्बईया शैली’ के हत्या हिंसा की चर्चा से जुड़ जाए।इस हालात को ले कर पुलिस प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है और कई सवालों के साथ उंगलियां उठाई जा रही है।

दरअसल,शहर के मिर्चा पट्टी में सुधा देवी के जड़ी बूटी दुकान की घटना के बाद शहर में इस तरह की चर्चा तेज है। इससे एक ओर जहां सशंकित हैं।वहीं,शुक्रवार की घटना से एक बार फिर यह प्रसंग चर्चे में हैं।

इस दुकान को ले कर पिछले दिनों विवाद की शुरुआत हुई।पुलिस ने सुधा देवी के आवेदन पर करवाई करते दुकान का ताला खुलवा कर पॉजिशन दिलवाते हुए समान को फिर से रखवाया और सुरक्षा बंदोबस्त किया था।इस मामले में 9 लोगों को नामजद करते हुए चार लोगों को जेल भेज दिया गया था।पुलिस ने शांति व्यवस्था भंग करने को ले कर खुद से दर्जन भर लोगों को नामजद करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी।वहीं,सुधा देवी समेत अन्य 9 पर मौजे निवासी सीमा देवी ने भी प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

ताजा वाक्या शुक्रवार को यह हुआ कि जेल गए चारो आरोपी बेल पर आने के बाद उक्त दुकान पर पहुंचे और दावा किया कि यह दुकान हमारी है।हमे फंसाया जा रहा है।सीसीटीवी फुटेज चेक जांच की जा सकती है।इससे सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।इस मामले में मुकेश कुमार, कृष्णा कुमार, सोनू कुमार व राधेश्याम कुमार ने कहा कि हम निर्दोष हैं।उन्होंने कहा कि सुधा देवी दुकान खाली करने के लिए 25 लाख रुपये की मांग कर रही है।उसने ही साजिश रची।खुद से लूट पाट का नाटक रचा और हमे फंसाया।
बताया गया कि अहले सुबह उक्त दुकान पर पहुच अपना ताला लगा दिया और पुनः खाली करने को भी कहा।लिहाजा दुकान बन्द रही।

इस दौरान उक्त लोगों ने मीडिया को बुलाया और दावा किया कि यह जमीन हमने रजिस्ट्री करा ली है और मालिकाना हक हमारा है,हमारे पास पूरी कागजात है। इसलिए दुकान में तालाबंदी किया हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि जब मामला न्यायालय के अधीन है तो दुकान क्यों खुलेगा?

इधर, सुधा देवी फिर पुलिस की शरण में गई और आरोप लगाया कि उनलोगों द्वारा हम परिजनों को धमकाया जा रहा है।जमीन उनकी नही है। वे लोग जबरन खाली कराना चाहते हैं।उन्होंने कहा कि वे हमारे मकान मालिक नही है,क्योंकि ,इस दुकान का किराया मैं मकान मालिक अजय मस्करा को देती हूं।उन्होंने खाली करने को नही कहा है।इसलिए मैं खाली कैसे कर दूं?मुझे कानून पर भरोसा है ।मुझे न्याय जरूर मिलेगा।

इस वाकये को ले कर बवेला बढ़ने के बाद फिर से पुलिस सक्रिय हुई,इससे पहले की माहौल बिगड़ता,डीएसपी सागर कुमार झा इस बार ‘एक्शन’ में आ गए।

डीएसपी सह आईपीएस सागर कुमार झा व इंस्पेक्टर अभय कुमार सदल बल विवादित स्थल पर पहुँच उक्त दुकान के ताले को खुलवाया और दुकान संचालन में आया।

उन्होंने कहा कि 5 दिनों के अंदर दोनों पक्षों के कागजातों के अनुसार इस मामले के निष्पादन के लिए अग्रतर कार्यवाही की जाएगी।

सुधा देवी का कहना है कि वे चार पीढ़ी से बंका प्रसाद की जड़ी बूटी दुकान इस मकान में चल रहा है।यह मेरे ससुर जी की दुकान है,जिससे हमारे घर की रोजी रोटी चलती है।उसका किराया हम अजय मस्करा को देते हैं।

बतलाते हैं कि इस मकान में कुल 11 दुकान है।दूसरे पक्ष का यह भी दावा सामने आया है कि सुधा देवी को छोड़ कर सभी का एग्रीमेंट बनाया है।

मजे की बात यह है कि पूरे प्रकरण पर मकान का किराया उठा रहे मकान मालिक अजय मस्करा की रहस्यमय चुप्पी बनी हुई है।

इस दुकान पर जो विबाद हो रहा है,वह कुछ दिन पूर्व से जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे दावे प्रतिदावे का हिस्सा है। सुधा देवी को पोजीशन इसीलिए बरकरार है कि उस मकान में उनकी दुकान वर्षों से चली आ रही है।अब सुधा देवी का भी दावा है कि उन्होंने इस दुकान के भूमि का मालिकाना हक हासिल करने के लिए लाखो रुपये दे कर महादानामा भी करा रखा है।

क्या कहते हैं अधिवक्ता:
इस पूरे प्रकरण में अधिवक्ता रविन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि चुकी विवादित बने भूमि पर अवस्थित मकान के एक हिस्से में सुधा देवी का परिवार 90 वर्षो से दुकान करता आ रहा है,ऐसे में पॉजीशन को चैलेंज नही किया जा सकता।

लेकिन,अगर दूसरा पक्ष जमीन पर मालिकाना हक का दावा करता है,तो,दुकान खाली कराने का जरिया आपसी सहमति या फिर न्यायालय के जरिये ही सम्भव है।वह भी बशर्ते कि टिनेंट ( किरायेदारी कानून )एक्ट का उल्लंघन कर रहा हो या फिर मकान मालिक को अपनी जरूरत हो।

यदि मामला न्यायालय में है,तो पुलिस का काम विधि व्यवस्था बनाये रखना है।यदि कोई पक्ष शांति भंग करता है,तो पुलिस कानूनी कार्रवाई कर सकती है।उन्होंने कहा कि यह सिविल सूट व टाइटल का मामला है।पुलिस को निष्पक्ष ढंग से अपना काम करना चाहिए।

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