रक्सौल।( vor desk )।पीएमओ के निर्देश के आलोक में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार ने नेपाल स्थित उद्योगों द्वारा प्रदूषित की जा रही सरिसवा नदी के मामले में विदेश मंत्रालय के माध्यम से आवश्यक कदम उठाए जाने हेतु जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एवं केंद्रीय जल आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। यह जानकारी बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एस. चंद्रशेखर ने अपीलकर्ता डॉ. स्वयंभू शलभ को पत्र द्वारा भेजी है। इस पत्र के साथ 8 पेज की सरिसवा नदी एनालिसिस रिपोर्ट भी संलग्न की गई है।
पत्र में बताया गया है कि सरिसवा नदी को प्रदूषित नदियों की प्राथमिकता कैटेगरी III में चिह्नित किया गया है। बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सरिसवा नदी के प्रदूषण से अवगत है। जानकारी के अनुसार इस नदी में बीरगंज शहर के डोमेस्टिक वेस्टेज के अतिरिक्त इस क्षेत्र में स्थित विभिन्न उद्योगों द्वारा इंडस्ट्रियल वेस्टेज भी गिराए जाते हैं। बीरगंज नेपाल का एक घनी आबादी वाला शहर है। भारतीय क्षेत्र में यह नदी कहीं भी औद्योगिक प्रदूषण से प्रभावित नहीं होती। वहीं रक्सौल अनुमंडल के अंदर तीन प्रमुख नालों का डोमेस्टिक वेस्ट/ सीवेज इस नदी में गिरता है। भारतीय जनगणना 2011 के अनुसार रक्सौल की आबादी 55532 है। सरिसवा नदी के संरक्षण और उद्धार के लिए एक्शन प्लान तैयार कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गई है। रक्सौल के सीवेज प्रबंधन के लिए राज्य सरकार चिंतन कर रही है।
सरिसवा नदी की वाटर क्वालिटी रिपोर्ट यह संकेत देती है कि यह नदी बिहार में प्रवेश करने से पहले ही पूर्णतया प्रदूषित हो जाती है। उसके बाद भारतीय क्षेत्र में इस नदी पर प्रदूषण का कोई विशेष भार नहीं है। इस स्थिति में इस नदी के संरक्षण एवं कायाकल्प करने के ऐसे किसी भी प्रयास में नेपाल सरकार को शामिल होना चाहिये। अतः इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विदेश मंत्रालय (भारत सरकार) के माध्यम से भी संबोधित किया जाना आवश्यक है।
आगे रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व में यह मामला पत्रांक B- 4025 दि. 24.7.2019 द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा उठाया जा चुका है। 19 फरवरी 2020 को जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय निगरानी समिति की बैठक में भी पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार के मुख्य सचिव द्वारा इस मामले को उठाते हुए जल शक्ति मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय एवं केंद्रीय जल आयोग से विदेश मंत्रालय के जरिये नेपाल से जुड़ी इस प्रदूषण समस्या का समाधान किये जाने का अनुरोध किया गया।