*बूचड़खाने के लिए शेड की भूमि खरीद में घोटाला को ले कर डीएम से की गई शिकायत,जांच कमिटी गठित
रक्सौल।(vor desk)।गेटवे ऑफ नेपाल यानी सीमावर्ती रक्सौल का ‘नगर परिषद’ अपने नारकीय स्वरूप को ले कर बदनामी झेलता रहा है।जिसके पीछे लूट खसोट की कहानी किसी से छुपी नही है और इस तरह के आरोपों के दायरे से कोई पार्षद या अधिकारी बरी नही है।लेकिन,ताजा बदनामी ‘ गड़ बड़ घोटाला’से जुड़ी है।मजे की बात यह है कि इस मामले का भंडाफोड़ करने नगर परिषद के पार्षद व जन प्रतिनिधि ही सामने आए हैं।इस मामले को ले कर ‘विक्षुब्ध पार्षद’ अब एकजुट हुए हैं और इस मनमानी,अनियमितता और घोटाला के खिलाफ पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी कपिल शीर्षत अशोक का दरवाजा भी खट खटाया है।इस समूह ने अपना आवेदन दिखाते हुए दावा किया है कि जिलाधिकारी ने एक जांच कमिटी गठित कर दी है।जांच शीघ्र शुरू होगी।जिसमें दूध का दूध पानी का पानी होगा।
पूर्व उप सभापति काशी नाथ प्रसाद के नेतृत्व में नगर पार्षद जयमन्ती देवी के कोइरिटोला आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयेजित कर नगर परिषद के सभापति उषा देवी व कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनन्द के खिलाफ मोर्चा खोला और इस घोटाले की कहानी सुनाई।इसमे आरोप किया गया कि नगर परिषद की बोर्ड बैठक लम्बे समय से नही हुई।इसकी कागजी खानापूर्ति कर मनमानी की गई है।उनका आरोप था कि ‘स्टीयरिंग कमिटी’ ने नगर परिषद पर अघोषित कब्जा कर रखा है।उन्होंने यह भी आरोप किया कि हालात ऐसे पैदा कर दिया गया है कि किसी पार्षद का वश नही चल रहा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्षदों ने आरोप किया कि मांस, मछली व चिकेन के दुकानों( शेड ) बनाने के नाम पर यह घोटाला किया जा रहा है। जो निजी भूमी इसके लिए दो दस्तवेज के जरिये हासिल की जा रही है, उसका सरकारी दर पर मूल्यांकन नही कर अधिक मूल्यांकन प्रदर्शित कर करोड़ो रुपए का घोटाला किया गया है।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रक्सौल के आधे दर्जन पार्षदों के साथ वार्ड नंबर 10 के पार्षद रवि गुप्ता ने अपना पक्ष रखते हुए आरोप लगाया कि नगर परिषद द्वारा गुपचुप तरीके से गत 05 अक्टूबर 20 को 3. 23 डीसमील जमीन का मुल्यांकन 01 करोड़ 13 लाख 5 हजार रुपए में ख़रीदगी के लिए एक एग्रीमेन्ट पेपर बनवाया। दूसरा एग्रीमेंट उसी रोज 32. 28 डीसमील जमीन के लिए मूल्यांकन 12 करोड़ 75 लाख 12 का एग्रीमेन्ट बनवाया गया। उन्होंने बताया कि दोनो भूस्वामी के साथ बनवाए गए एग्रीमेंट में भूमि का मूल्यांकन और सरकारी मूल्यांकन में काफी अंतर है, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि नगर परिषद द्वारा सरकारी राशि का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है।दोनो एग्रीमेन्ट की जांच में घोटाला सामने आ जायेगा।
उन्होंने बताया कि खाता सं 107 खेसरा 1622 नेशनल हाइवे में है, जबकि दूसरा जमीन जिसका खाता 24 खेसरा 1627 काफी पीछे तरफ है, जहाँ जाने का कोई रास्ता नही है। जिसका मूल्यांकन भी काफी कम है। जांच से ही वास्तविक मूल्यांकन क्या है और इसमे घोटाला किये गए राशि का अंतर क्या है,यह सामने आएगा।
उन्होंने यह भी आरोप किया कि इसके लिए कार्यपालक पदाधिकारी ने 5 करोड़ 88 लाख 36 हजार 154 रुपये का चेक भी भु स्वामी के पक्ष में जारी कर दिया गया है।
उन्होंने आरोप किया कि नगर परिषद द्वारा 04 फरवरी 21 को बुचड़खाने के सेड के लिए विज्ञापन निकाला गया था। यानी भूमि खरीदारी एग्रीमेन्ट के बाद विज्ञापन निकाला गया। बिना जमीन रजिस्ट्री व भूस्वामी प्रमाण पत्र लिए शेड आवंटन का विज्ञापन आन-फानन में निकाल दिया गया।
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकारी स्तर पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया होनी चाहिए,लेकिन,इन्होंने सीधे निजी जमीन की ख़रीदगी के लिए महदानामा बना दिया।और नगर परिषद के निधि व अन्य योजना की राशि इसी में झोंक कर कंगाली के दरवाजे पर ला दिया,जबकि,यह जनता की गाढ़ी कमाई का हिस्सा है,जिस पर मनमानी नही होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि सफाईकर्मियों,नगर परिषद कर्मियों के छह छह माह से ऊपर की तनख्वाह भुगतान बाकी है।नगर के आधे दर्जन वार्ड जल जमाव के शिकार हैं।लेकिन,उन पर राशि का सदुपयोग की जगह इस तरह की बेजरूरत योजना के नाम पर लूट खसोट किया जा रहा है।काम वही हो रहा है,जो माल कमाऊ हो।विकास व जनभावना से कोई मतलब नही रह गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में कूड़ा संग्रह केंद्र व कचरा से जैविक खाद बनाने के परियोजना संचालन के लिए भी इसी तरह पूर्व में नोनेहाडीह में जमीन ली गई थी।उस जमीन पर अब कोई कार्य नही हुआ,जब इस मामले में हमने जिलाधिकारी से शिकायत की गई है,तो बाउंड्री निर्माण शुरू किया गया है।
जब उनसे यह पूछा गया कि आखिर एक वर्ष चुनाव के बाकी हैं,तब इस तरह का आरोप उठाया जा रहा है,क्या ‘आपसी सहमति’ नही बन सकी?तो उन्होंने एक स्वर से कहा कि निष्पक्षता से प्रशासन व मीडिया मामले की जांच करे ,तो,सब सच सामने होगा।पूर्व से ही पार्षदों से भेद भाव होता आ रहा है,चाहे वह सोलर लाइट का मामला हो,या वार्ड वार विकास राशि आवंटन का।उन्होंने कहा कि केवल पैसे के लिए यह सब करना है,तो,दूसरा रास्ता चुनना चाहिए।नगर परिषद को कंगाल करने और लूट के लिए जनता ने नही चुना।हमे भी अपने वार्ड की जनता को जवाब देना पड़ता है।गालियां सुननी पड़ती है।उन्होंने कहा कि इसे कुर्सी की लड़ाई से जोड़ कर नही देखा जाना चाहिए।क्योंकि, यह नगर परिषद,नगर और यहां की जनता के साथ धोखाधड़ी व घोटाला का मामला है।
उन्होंने बताया कि इस मामले की लिखित शिकायत पूर्वी चम्पारण के जिलाधिकारी को की गई है।जिसमे उच्च स्तरीय जांच की मांग की गयी है। जिसे गंभीरता से लेकर डीएम द्वारा जांच कमिटी का गठन किया गया है। उक्त प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व उपसभापति काशी नाथ प्रसाद, घनश्याम गुप्ता, पार्षद पति सह भाजपा नगर अध्यक्ष कन्हैया सर्राफ, सुरेश चौहान व पार्षद पुत्र मुन्ना कुमार शामिल थे।
इधर,इस संबंध में नगर कार्यपालक पदाधिकारी गौतम आनंद ने बताया कि सभी प्रक्रिया बोर्ड की मीटिंग से विधि सम्मत ढंग से हुई है। कुछ भी छुपाया नही गया है। सब कुछ नियम के दायरे में हुआ है।