Monday, November 25

नेकपा प्रचंड -माधव गुट के नेपाल बन्द से जन जीवन रहा अस्त व्यस्त,जनकपुर में दो पूर्व मंत्री समेत दर्जनों जख्मी!

बीरगंज।(नेपाल )।( vor desk )।सियासी संकट से जूझ रहे नेपाल में इन दिनों संसद भंग होने से लगातार विरोध प्रदर्शन जारी हैं। इस बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के द्वारा संसद विघटन व संवैधानिक निकाय में नियुक्ति फैसले के खिलाफ नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल प्रचंड धड़े द्वारा आज चार फरवरी को ओली सरकार के विरोध में आहूत देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर दिखा। इस दौरान परिवहन सेवाएं, बाजार और शिक्षण संस्थान पूरी बंद रहे।

रक्सौल सीमा से लगे बीरगंज में नेकपा ( प्रचंड-माधव गुट) ने विरोध प्रदर्शन के साथ प्रधानमंत्री केपी ओली के खिलाफ खूब नारेबाजी की।टायर फूंके।सड़क अवरुध्द किये,बाजार बंद कराया।यही स्थिति बारा जिला मुख्यालय कलैया की रही।

इस दौरान बीरगंज पुलिस ने शांति भंग करने के आरोप में पार्टी के बीरगंज महानगर कमिटी के अध्यक्ष रहबर अंसारी समेत 31 नेताओं -कार्यकर्ताओं को नियत्रण में लिया। कलैया में भी आधा दर्जन कार्यकर्ताओ को नियंत्रण में लिया गया।कई जगह पुलिस से झड़प भी हुई।इस तरह देश भर में 188 कार्यकर्ताओं को नियत्रंण में लिया गया,जिन्हें ,शाम पांच बजे के बाद मुक्त कर दिया गया।पुलिस सूत्रों के मुताबिक,करीब 86 वाहनों में तोड़ फोड़ हुई।एक वाहन को जला दिया गया।
इस क्रम में जनकपुर में विरोध प्रदर्शन में पुलिस झड़प हुई।वाहन में तोड़ फोड़ रोकने के लिए प्रशासन ने फायरिंग की और अश्रु गैस के गोले छोड़े।जिसमे पूर्व मंत्री राम चन्द्र झा व मातृका यादव समेत दो दर्जन से ज्यादा जख्मी हुए।जबकि, दर्जन भर कार्यकर्ताओं को नियंत्रण में लिया गया।

पार्टी के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ का कहना था कि अलग-अलग संविधानिक निकायों में नव नियुक्त सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाने के फैसले के खिलाफ प्रचंड गुट ने यह हड़ताल बुलाई ।
दरअसल, तीन फरवरी बुधवार को चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा ने करीब चार दर्जन लोगों को विभिन्न संविधानिक निकायों में शपथ दिलाई। इस दौरान राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी भी मौजूद थी ।
इससे देश में राजनीतिक सरगर्मी एक बार फिर बढ़ गई है।
संसद भंग करने के खिलाफ एक फरवरी को संसद के पास विरोध कर रहे छात्रों की पुलिस के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद से ही आक्रोश था।
बता दें कि एक फरवरी को यह झड़प सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के ऑल नेपाल नेशनल फ्री स्टूडेंट यूनियन (एएनएनएफएसयू) से जुड़े प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई थी। इससे पहले 31 जनवरी को तीन पूर्व नेपाली प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल, माधव कुमार नेपाल और झलनाथ खनल ने रविवार को संसद भंग किए जाने के खिलाफ काठमांडो के मैत्रीघर में विरोध प्रदर्शन किया था ।

इस आम हड़ताल को सफल बनाने के लिए बुधवार की सन्ध्या देश व्यापी तौर पर मशाल जूलुस निकाला गया।आज एक दिवसीय हड़ताल के समापन पर शिर्ष नेताओं ने इसे सफल बताया है।और कहा कि आगामी दिनों संयुक्त आंदोलन शुरू होगा, जिसमे लोकतांत्रिक शक्तियॉ भी शामिल होगी।जिसका उद्देश्य निरंकुश केपी ओली सरकार को सत्ता से हटाना होगा।

बता दे कि प्रधानमंत्री केपी ओली ने संसद का विघटन करने के साथ ही आम चुनाव की घोषणा कर दी थी।इसके बाद से ही नेपाल की सतारुढ़ पार्टी नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी में दो धड़े की रस्सा कशी तेज हो चली है।

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