रक्सौल।(vor desk)।रक्सौल स्थित रेलवे सड़क में शुक्रवार को अतिक्रमण हटाओं अभियान चलाया गया। रक्सौल रेल प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों के अस्थाई ढंग से बन्द दुकानों,गुमटियों व ठेले को हटाया गया।चेतावनी के बावजूद नही हटाने पर इन दुकानों को ढहा दिया गया।
रक्सौल बाजार से लगे स्टेशन रोड के रामजी चौक से ले कर मुख्य पथ तक के अतिक्रमित भूभाग को बुलडोजर और जेसीबी लगाकर हटाया गया।मौके पर आरपीएफ ,जीआरपी,रक्सौल व हरैया थाना के अधिकारी व पुलिस बल तैनात दिखे।
अभियान की अगुवाई आरपीएफ के असिस्टेंट कमान्डेंट मिथिलेश कुमार राय,आई ओ डब्लू तपस राय, आरपीएफ के निरीक्षक राजकुमार,जीआरपी के एस आई ललन कुमार सिंह ने किया।
अधिकारियों के मुताबिक,इन सभी को पहले ही नोटिस की गई थी।लेकिन,अतिक्रमण नही हटाया गया।तब स्टेशन रोड के दक्षिण तरफ रामजी चौक से बाटा चौक तक 407/24 मीटर रेलवे की भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया।
आईओडब्ल्यू तापस राय ने बताया कि उक्त भुमि समीम अख्तर को लीज पर दी गयी है। जिसपर अवैध तरिका से दुकान लगाया गया था और एक नगर पार्षद सहित कई लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया था।जिसे 18 दिसंबर तक खाली करने लिए नोटिश जारी किया गया था। माईकिग कर लोगों को इसकी सूचना भी दी गयी थी।वावजूद इसके निर्धारित समय के अन्दर अतिक्रमण नही हटाए जाने पर उन्हे बल पूर्वक हटाया गया।इस दौरान लगभग आधे दर्जन दुकानोंं को जेसीबी से तोड़वाकर हटाया गया।
अतिक्रमण खाली कराने के साथ ही एरिया की घेराबंदी भी शुरू की गई।इसके लिए पहले से पूरी तैयारी की गई थी।नव निर्मित सड़क से लगे करकट की दीवार खड़ा करने की पहल जारी है।
इधर,आरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट मिथिलेश कुमार राय ने बताया कि डीआरएम ऑफिस के निर्देश पर यह अभियान चलाया गया।उन्होंने कहा कि हमे लीज किसे दिया गया,इसकी सूचना नही है।
इस बीच सीमा जागरण मंच के प्रदेश अध्यक्ष महेश अग्रवाल ने असिस्टेंट कमांडेंट श्री राय को इस सड़क पर पूर्व के लीज व बाजार की स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि इस रेलवे भूमि पर 1928 में दर्जनों लोगों को लीज दिया गया था।1995 में इसे कंटीन्यू नही किया गया और खाली करा दिया गया।यहां के लीज धारकों की मांग रही है कि उन्हें प्रथमिकता मिलनी चाहिए।क्योंकि,लीज धारकों में बेरोजगार भी शामिल हैं।उन्होंने कहा कि इस सड़क से लगे दर्जनों लोगों के घर व दुकान हैं।जिसका प्रवेश द्वार स्टेशन रोड में है।जिसे कानूनन बन्द नही किया जा सकता।
उन्होंने अवगत कराया कि पहले भी इस सड़क के बाजार से लगे सम्पर्क पथ को बन्द करने की कोशिश हुई थी।जिसके बाद आंदोलन हुआ।डीआरएम ने जांच कर इस सड़क पर बाजार से सटे सड़क निर्माण की मंजूरी दी थी।जो अब तक लंबित है।इसलिए कोई कंस्ट्रक्शन या मार्किट बनाने से पहले जन सुविधा व नियमो का भी ख्याल रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि रेलवे ने जन हित की उपेक्षा की या अन्यथा लिया तो, मामला कोर्ट जाएगा।
इधर,स्वच्छ रक्सौल संस्था के अध्यक्ष रणजीत सिंह समेत डॉ मुराद आलम,अमलेश श्रीवास्तव आदि ने एक स्वर से कहा कि रेलवे सड़क के संपर्क पथ को बन्द नही करने दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि रेलवे प्रशासन पूंजीपतियों को बसाने के लिए गरीबों को उजाड़ रही है।उन्होंने कहा कि यह अन्याय हो रहा है।जो पहले के लीज धारक व बेरोजगार लोग हैं,उन्हें उचित दर पर लीज में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
इधर,अतिक्रमणकारी बताये जा रहे दुकानदार अब बेरोजगार हो गए है।उनका कहना है कि रेलवे प्रशासन हमसे मोती रकम बतौर महीना उठाती थी।लेकिन,बार बार अनुरोध के बाद भी रसीद या लीज की पहल नही की।
बताया गया है कि करोड़ो की अवैध कमाई करने वाली रेल प्रशासन ‘चांदी की जूती’के आगे बदले तेवर में दिखी।न तो किसी को जवाब दे रही थी,न नजर मिला रही थी।’ऊपर’ का आदेश बता कर अतिक्रमण हटाये जा रही थी।इस रवैये के खिलाफ आक्रोश देखा गया।