Monday, November 25

आयुर्वेदिक छात्रों को सर्जरी की अनुमति के विरुद्ध एलोपैथ डॉक्टर रहे हड़ताल पर,आयुष डॉक्टरों ने किया समर्थन!

रक्सौल।(vor desk )।आयुर्वेद छात्रों को सर्जरी करने की अनुमति दिए जाने के फैसले के खिलाफ रक्सौल के एलोपैथिक डॉक्टर हड़ताल पर रहे। यह हड़ताल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की अगुवाई में हुई। आज शुक्रवार को सरकारी व निजी डॉक्टर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे हड़ताल पर रहे। हालांकि इस दौरान सभी गैर-आपातकालीन और गैर-कोविड मेडिकल सेवाएं ठप रही।ओपीडी बन्द रहने से मरीजो को परेशानी हुई।सुदूर क्षेत्र से आये मरीजो को लौट जाना पड़ा।

इधर, डॉक्टरों की हड़ताल पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रक्सौल इकाई अध्यक्ष डॉ.प्रदीप कुमार व सचिव डॉ एसके सिंह ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा नियंत्रित और रिसर्च ओरिएंटेड है, हमें आयुर्वेद की विरासत और समृद्धि पर गर्व है लेकिन दोनों को मिक्स नहीं किया जाना चाहिए।

बता दें कि आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) की ओर से 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में कहा गया था कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी अब जनरल और ऑर्थोपेडिक सर्जरी के साथ आंख, नाक, कान और गले की भी सर्जरी कर सकेंगे। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन द्वारा जारी नोटिफिकेशन के जरिए भारतीय चिकित्सा पद्धति को विनियमित करने के लिए 39 जनरल सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया गया और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) विनियम, 2016 में संशोधन करते हुए आंख, कान, नाक और गले से जुड़ी 19 सर्जरी की अनुमति दी गई।

अब आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने की मंजूरी दी है जिसमें 39 जनरल सर्जरी है, जिन्हें आयुर्वेद की भाषा में ‘शल्य’ कहा जाता है और 19 तरह की सर्जरी आंख, नाक, कान और गला से जुड़ी है, जिसे ‘शालक्य’ कहा जाता है। इसी फैसले को लेकर विवाद है। सरकार इससे पहले 2016 में भी ऐसा ही नोटिफिकेशन जारी कर चुकी थी और यह अधिसूचना 2016 के पहले के मौजूदा नियमों में प्रासंगिक प्रावधानों का स्पष्टीकरण है।

इधर,आयुष चिकित्सक इस प्रवधान के समर्थन में दिखे।लौकरिया एडिशनल पीएचसी में प्रभारी डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह के नेतृत्व ओपीडी का संचालन हुआ।क्योंकि वे भी आयुष चिकित्सक( होम्योपैथिक ) हैं।
जबकि, इसे रक्सौल नीमा ने भी समर्थन किया।लेकिन, इसके सचिव डॉ0 मुराद आलम ने कहा कि यह अनुमति केवल आयुर्वेद को ही नही मिलनी चाहिए,बल्कि,यूनानी व होमियोपैथी को भी मिलना चाहिए।क्योंकि, इनका सिलेबस भी एक ही है।शल्य चिकित्सा प्राचीन पद्धति है।यह एलोपैथी का एकाधिकार से ऊपर है।उन्होंने इसके समर्थन में निःशुल्क उपचार भी किया।रक्सौल के आयुष चिकित्सक इनके समर्थन में दिखे।

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