Sunday, November 24

बीरगंज के गहवा माई मन्दिर में फुलापाती उत्सव का आयोजन,बिहार से बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु!

बीरगंज( नेपाल )।( vor desk )।दशहरा के मौके पर बड़ी संख्या में लोग बिहार से बीरगंज पहुंच रहे हैं और गहवा माई और बारा जिला के बरियारपुर स्थित गढ़ी माई मन्दिर में दर्शन पूजन कर रहे हैं।

इसमे सीमाई क्षेत्र के प्रत्याशी भी शामिल बताये गए हैं,जो,बिहार विधान सभा चुनाव में जीत के लिए माता के दरबार मे शीश नवाने पहुंच रहे हैं।

इसी क्रम में सप्तमी को बीरगंज में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन को उमड़े।हालांकि, उन्हें मन्दिर प्रवेश की अनुमति नही है।

लेकिन,गेट से ही पूजा अर्चना कर लौट रहे हैं।गेट पर श्रद्धालुओं की बेकाबू हुजूम में कोरोना का डर नही दिख रहा।चिकित्सकीय विशेषज्ञों का मानना है ऐसे में कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन सीमा क्षेत्र में चुनौती उतपन्न कर सकता है।

इस बीच,शारदीय नव रात्र के सप्तमी तिथि को बीरगंज के गहवा माई मन्दिर में फुलापाती का आयोजन हुआ। इस अवसर पर नेपाल सेना के चंडी प्रसाद गण बैरक से डोला यात्रा निकली।जो गाजे बाजे व सैनिक परेड के साथ गहवा माई मन्दिर पहुंची,जहां,सेना के जवानों ने सलामी दी।इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विशेष पूजन का आयोजन हुआ।

इस डोला यात्रा में पर्सा जिला के प्रमुख जिलाधिकारी आस्मान तामाङ, एसपी प्रहरी गंगा पन्त, चण्डीप्रसाद गण वीरगंज के गणपति मदनजंग राणा,बीरगंज के मेयर विजय सरावगी, उप मेयर शांति कार्की समेत गण मान्य भी शामिल हुए।

गहवा माई मन्दिर के पुजारी राधेश्याम उपाध्याय ने बताया कि प्रशासन के निर्देश पर मूल गेट से ही पूजा अर्चना की अनुमति है।श्रद्धालुओ का चढ़ावा स्वीकार किया जा रहा है।कोरोना के खतरे को ले कर यह सावधानी बरती जा रही है।


इधर,मन्दिर कमिटी के रमेश प्रसाद गुप्ता ने स्वीकार किया कि सोशल डिस्टेंस के अनुपालन में मुश्किलें आ रही हैं,लेकिन,प्रशासन के सहयोग से स्वयंसेवक श्रद्धालुओ के व्यवस्थित दर्शन के लिए प्रयासरत हैं।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने अपनी तरफ से बॉर्डर खोल दिया है,लेकिन,नेपाल की ओर से सरकार ने 15 नवम्बर तक बॉर्डर बन्द कर रखा है।लेकिन, भारतीय बॉर्डर के खुलने से जहां नेपाल सरकार दवाब में हैं और सुरक्षा चुनौती बढ़ गई है।वहीं,दोनो ओर के नागरिक दर्शन,पूजन व खरीददारी के लिए सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए खेतो व ग्रामीण रास्ते से आवाजाही में जुटे हुए हैं।बता दे कि दशहरा नेपाल का सबसे बड़ा पर्व है।

( रिपोर्ट:गणेश शंकर )

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