चीनी अतिक्रमण के खिलाफ बीरगंज में जबरदस्त प्रदर्शन
रक्सौल।( vor desk )।चीन ने नेपाल की भूमि को कब्जाना शुरु कर दिया है।उसकी नजर माउंट एवरेस्ट पर भी है।नेपाल की ओली सरकार इस मुद्दे पर ढीला सुस्ती रवैया में है।जिसको ले राजधानी काठमांडू समेत देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। तो,बीरगंज में युवा सड़क पर उतर कर गो बैक चाइना का नारा बुलंद कर रहे हैं।चीन कीविस्तारवादी नीतियों के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाते हुए ओली सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।उनका कहना है कि नेपाल के हुम्ला जिल्ला के नाम्खा गाउँपालिका वडा नं.6 लिमी स्थित नेपाली भुमि को अतिक्रमण कर लिया गया है।पीएम ओली चुप हैं।लेकिन,चुप्पी से काम नही चलेगा।
बीरगंज में जुलूस प्रदर्शन के बाद नव जनकल्याण युवा संजाल (बीरगंज )पर्सा ने घण्टा घर मे एक सभा का आयोजन करके चेतावनी दी कि पीएम ओली मौन व्रत तोड़े,नेपाल की जमीन चीन से वापस लें।
इस दौरान गो बैक चाइना,चीनी अतिक्रमण बन्द करो,अतिक्रमित भूमि जल्द वापस करो जैसे नारे खूब गूंजे।
प्लेकार्ड को हाथों में लेकर युवा संजाल नामक संस्था के युवाओं द्वारा चीन के इस विस्तारवादी कार्य का बिरोध करते हुए जम कर नारेबाजी की।इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व नव जनकल्याण युवा संजाल के अध्यक्ष सगिर अली कर रहे थे।
मौके पर प्रमुख वक्ता अली हसन , बिशिष्ट वक्ता विक्की राज पटेल , नुर आलम, विकास मेहता ने कहा कि ओली सरकार को चीन से बात करे।नेपाली भूमि को चीन के कब्जे से मुक्त कराए।इस दौरान संजय सर्राफ , प्रकाश पटेल,अविनाश यादव, कन्हैया साह, बिकास मेहता, संदीप पटेल, समीर हवारी , साहिल हसन , मुन्ना अंसारी , रहम अंसारी, शेष शहनवाज , नवीजान हवारी , भिम पंडित, कृष्णा पटेल , अंकुश पटेल , नितेश पटेल , अनिश पटेल अलीहसन , दिपक पटेल आदि उपस्थित थे।
वहीं, नेपाली कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेपाल विद्यार्थी संघ (नेविसंघ) ने भी शनिवार की सन्ध्या विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन नेविसंघ के उपाध्यक्ष विकेश पटेल के नेतृत्व में हुआ।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि चीन ने हमारी दोस्ती का गलत लाभ लेकर उल्टा हमें आंख दिखाई है। प्रदर्शन का हक भी नेपाली पुलिस हमसे छीन रही है। हमारे साथ दमनकारी नीति अपना रही है। लेकिन,हम चुप नही रहेंगे।अपने अधिकार के लिए हम लड़ते रहेंगे।
बता दे कि चीन ने हुमला में नेपाली भूमि अतिक्रमण कर पक्का निर्माण कर लिया है।जहां नेपाली फोर्स को भी नही जाने दिया जा रहा।इस मामले को बिना चीन का नाम लिए आज यूएनओ में उठाया है।