नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी और चीन कम्युनिष्ट पार्टी के बीच भीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मीटिंग में पुष्प कमल दहल उर्फ़ प्रचंड
काठमांडू।( vor desk )।एक ओर जहां चीन ने भारत को सबक सिखाने के लिए चीन,पाक व नेपाल के सेना के एक होने की धमकी दी है,वहीं, दूसरी ओर चीन के इशारे पर नाच रहे नेपाल की केपी ओली सरकार ने विवादित नक्शे को मान्यता के लिए संसद में संविधान संसोधन पारित किया,जिस पर राष्ट्रपति विधा भंडारी ने मुहर लगा दी।तो,इसी बीच नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (नेकपा) और चीन कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीसी) के उच्च पदाधिकारियों के बीच शुक्रवार को भीडियो कन्फ्रेन्स के जरिये एक कार्यशाला शुरु हुई है ।जो भारत को चिढ़ाने जैसा है।
चीन व नेपाल की कम्युनिष्ट पार्टियों के इस कदम ने यह साफ कर दिया है कि नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार अब उतरी पड़ोसी के साथ न केवल खुल कर पींगे बढ़ा रहा है,बल्कि, आगे की रणनीति में भी जुटा है।यह सम्मेलन चीन
कम्युनिष्ट पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित हुआ।जिसमें नेपाल से 100 केंद्रीय सदस्यों ने हिस्सा लिया।
नेकपा नेताओं का कहना है कि भीडियो कन्फ्रेन्स में दोनों देशों के नेता बीच पार्टी और देश संचालन,अन्तराष्ट्रीय मामलों संबंधी अनुभवों का आदान–प्रदान किया जाएगा ।
सीपीसी अन्तर्राष्ट्रीय विभाग, सीपीसी तिब्बत स्वशासित क्षेत्र कमिटी और नेकपा स्कूल विभाग की संयुक्त संयोजन में यह कार्यशाला आयोजित हुुुआ । स्मरणीय है, कार्यशाला में बेइजिङ स्थित सीपीसी अन्तर्राष्ट्रीय विभाग के नेताओं की ओर से नेकपा के नेताओं को सुशासन, पार्टी अनुशासन और सम–सामयिक विश्व परिस्थिति आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।
इस कार्यशाला को लेकर राजनीतिक वृत्त में आलोचना भी हो रही है । प्रजातान्त्रिक मूल्य–मान्यता से परिचालित नेपाल के राजनीतिक दल इस कार्यशाला के विरुद्ध में दिखाई दे रहे हैं । यहां तक की नेकपा के भीतर भी इस कार्यशाला को लेकर विरोधाभाष है ।
इस मीटिंग के बाद नेकपा अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि चीन के वन बेल्ट ,वन रोड की योजना से न केवल चीन से रिश्ते मजबूत होंगे,बल्कि, समृद्धि के द्वार खुलेंगे।चीन के साथ कदमताल की भी उन्होंने मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक है।उन्होंने एक चीन नीति को दुहराते हुए कहा कि इससे नेपाल चीन के रिश्ते में मजबूती आएगी।परस्पर सहयोग बढ़ेगा।