Sunday, November 24

नेपाल के विवादित नक्शे को राष्ट्रपति विधा देवी भंडारी की मंजूरी,भारत की आपत्ति को किया नजरंदाज!

रक्सौल।( vor desk )।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ऐतिहासिक रोटी-बेटी के संबंधों का हवाला देने के बावजूद चीन की गोद में खेल रहे नेपाल के विवादित नक्शे को गुरुवार को ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने मंजूरी प्रदान कर दी. इसके पहले गुरुवार को ही नेपाल के उच्च सदन ने संविधान संशोधन विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया था. अब नए कानून के तहत नेपाल उत्तराखंड के भारतीय इलाकों में अपना वैधानिक दावा कर रहा है. हालांकि भारत पहले ही कह चुका है कि नेपाल-भारत को सभी तरह के विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत के मंच पर आना ही होगा. भारत शुरुआत से ही नेपाल के इस एकतरफा कार्रवाई को बिना किसी ऐतिहासिक सााक्ष्य के एकतरफा कार्रवाई बताया आया है.

नक्शे को आज ही उच्च सदन ने दी थी मंजूरी
नेपाल की संसद के उच्‍च सदन नेशनल असेंबली ने देश के विवादित राजनीतिक नक्शे को मंजूरी देने के दौरान सत्‍ताधारी नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने भारत पर जमीन को अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया. संसदीय दल के नेता दीनानाथ शर्मा ने कहा कि भारत ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर अवैध रूप से कब्‍जा क‍िया है और उसे नेपाली जमीन को लौटा देना चाहिए.

* दोनों सदनों में विरोध में एक भी वोट नहीं
नेपाल के नए नक्‍शे के समर्थन में नेशनल असेंबली में 57 वोट पड़े और विरोध में किसी ने वोट नहीं डाला. इस तरह से यह विधेयक सर्वसम्‍मति से उच्च सदन से पारित हो गया. वोटिंग के दौरान संसद में विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी- नेपाल ने संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन से संबंधित सरकार के विधेयक का समर्थन किया. बता दें कि नेपाल की निचली सदन पहले ही इस बिल को पूर्ण बहुमत से मंजूरी दे चुकी है. वहां भी विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा था.

क्या है मामला:

भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है. कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया थुम्भांगफे ने देश के नक्शे में बदलाव के लिए संसद में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए इसे पेश किया था.इस नए नक्शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है. भारत ने नेपाल के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए नक़्शे को मंजूर करने से इनकार किया है और कहा है की यह सिर्फ राजनीतिक हथियार है जिसका कोई आधार नहीं है. नेपाली सरकार ने विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी. कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए हालांकि कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किस लिये किया गया? नेपाल में इन दिनों राजनीति में वामपंथियों का दबदबा है। वर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा भी वामपंथी हैं और नेपाल में संविधान को अपनाए जाने के बाद वर्ष 2015 में पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें नेपाल के वामपंथी दलों का समर्थन हासिल था। केपी शर्मा अपनी भारत विरोधी भावनाओं के लिए जाने जाते हैं। वर्ष 2015 में भारत के नाकेबंदी के बाद भी उन्होंने नेपाली संविधान में बदलाव नहीं किया और भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए केपी शर्मा चीन की गोद में चले गए। नेपाल सरकार चीन के साथ एक डील कर ली. इसके तहत चीन ने अपने पोर्ट को इस्तेमाल करने की इजाज़त नेपाल को दे दी.इन दिनों बहुमत का नशा ओली के सर चढ़ कर बोल रहा है,लिहाजा, वे भारत से वार्ता की बजाए एकतरफा कार्रवाई की ओर बढ़ चले है.जबकी,भारत ने कहा था कि कोरोना से निपटने के बाद वार्ता होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected , Contact VorDesk for content and images!!