Sunday, November 24

नेपाल से फिलहाल कोई बातचीत नहीं करेगा भारत, जरूरत पड़ने पर सख्त कदम भी उठाने को तयार!

काठमांडू। (vor desk )।नेपाल के तरफ भारतीय क्षेत्रों पर दावा करते हुए एकतरफा नक्शा प्रकाशित करने और उसे संसद के जरिए संविधान का अंग बनाने के बाद भारत ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई कोई भी बात करने से इंकार कर दिया है।

तीन दिन पहले प्रधानमंत्री निवास में हुई CCS की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नेपाल के तरफ से मामले को समझे बिना जिस‌ तरह की हरकत की गई है ऐसे में द्विपक्षीय बातचीत का कोई मतलब नहीं है।

CCS की बैठक में इस समय नेपाल के कदम पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देने, द्विपक्षीय बातचीत का दिन तय नहीं करने‌ का फैसला लिए जाने की जानकारी मिली है।

भारत सरकार के पास इस बात की सूचना मिली है कि नेपाल इस मुद्दे को अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है। लेकिन इस मुद्दे पर भी भारत‌ के तरफ से यह तय किया गया है कि चाहे नेपाल भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत कुछ भी करे भारत को फिलहाल खामोश रहकर स्थिति पर पैनी नजर रखना है।

बैठक से जुड़े सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कोरोना की महामारी तक किसी भी तरह के बातचीत नहीं ‌चाहते हैं। उनका कहना है कि कोरोना पर पूरी तरह से नियंत्रण के बाद ही उस‌ समय के हालात का जायजा‌ लेकर ही बातचीत करनी है या नहीं करनी है इस पर फैसला लिया जाएगा।

नेपाल सरकार के तरफ से भारत के साथ ‌हुए कई संधि समझौते को‌ एकतरफा समाप्त करने की घोषणा की जा सकती है। इस‌ अवस्था के लिए भी भारत सरकार तैयार बैठी है कि अगर नेपाल अपने तरफ से एकतरफी रूप से भारत के साथ हुए संधि समझौते को खत्म करने की घोषणा करता है तो इससे भारत को कोई भी नुकसान नहीं है। क्योंकि हर संधि समझौते में नेपाल ही अधिक फायदे में है।

नेपाल के तरफ से नए संधि समझौता करने के लिए बार बार इपीजी रिपोर्ट स्वीकार कर उस पर अमल करने की मांग होती रही है। लेकिन भारत ने अब तय कर लिया है कि किसी भी हालत में इपीजी की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जाएगी। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इपीजी रिपोर्ट में नेपाल और भारत के बीच का जो विशेष संबंध है उसको खत्म करने की सिफारिश की गई है।

भारत ने यह साफ संदेश दिया है कि वह कूटनीतिक स्तर पर ही नेपाल के साथ हर द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाना चाह रहा है लेकिन जिस तरह से नेपाल भारतीय भूभाग को अपने में दिखा रहा है और भारत के अन्य क्षेत्रों पर भी दावा करने की तैयारी है ऐसे में जरूरत पड़ने पर सैन्य कूटनीति की भाषा में भी समझाने को तयार है।

भारत सरकार का यह मानना है कि नेपाल के सभी राजनीतिक दल अपने व्यक्तिगत, दलगत और वोट बैंक के स्वार्थ के लिए इस तरह का कदम उठा रही है। नेपाल सरकार के तरफ से संसद में पेश किए गए नक्शा के गलत प्रस्ताव का सभी दलों का‌ समर्थन मिलना आश्चर्यचकित करता है।

भारत के लिए सबसे बडा झटका मधेशी दलों का भी भारत के विपक्ष में खडा होना था। जिस मधेशी दलों की वजह से भारत पर नाकाबन्दी करने का आरोप लगता रहा है, जिस मधेशी दलों के कारण नेपाल में मोदी सरकार की सबसे अधिक किरकिरी हुई है उस मधेशी दल का भी साथ छोड़ देना भारत के लिए किसी भी सदमे से कम नहीं है।

CCS की बैठक में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि मधेशी दल सहित सभी राजनीतिक दलों के भारत के खिलाफ जाने के बावजूद भारत कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगा जिससे आम नेपाली जनता को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी हो। प्रधानमंत्री और अन्य राजनीतिक दलों की गलती की सजा नेपाल की निर्दोष जनता को नहीं मिले इसके लिए भारत कई मौके पर खामोश रह रहा है।

इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सीडिएस विपीन रावत मौजूद थे।(रिपोर्ट:पंकज दास /टी टुडे नेटवर्क )

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